घर का पानी गली में बहाने से पीसीसी बन गया तालाब
खोरीमहुआ के नयकाडीह गांव में जलजमाव ने सड़क को तालाब बना दिया है, जिससे स्थानीय लोग बीमार हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दशकों पुरानी जल निकासी बंद कर दी गई है, जिससे 800 से अधिक लोग प्रभावित...

खोरीमहुआ। धनवार प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत घोड़थम्बा ओपी के नयकाडीह गांव में पीसीसी रोड अब सड़क कम, जलजमाव से तालाब का रूप ले लिया है। जिससे ना सिर्फ राहगीरों को परेशानी हो रही है बल्कि स्थानीय लोग भी जल जमाव और कीचड़ भरी गंदगी से बीमार हो रहे हैं। लोगों की मानें तो इसके पीछे दशकों पुरानी जल निकासी बंद कर पानी को गली में छोड़ दिया जाना कारण है। जिससे गांव के 800 से अधिक लोग इस गंभीर समस्या से त्रस्त हैं। ग्रामीणों की मानें तो पहले जिस रास्ते से बारिश और घरेलू पानी की निकासी होती थी, उसे कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा जबरन बंद कर दिया गया है।
नतीजा-सड़क पर पानी ठहरने लगा है। फलस्वरुप मच्छरों का प्रकोप चरम पर है और संक्रमण फैलने का खतरा सिर पर मंडरा रहा है। लोगों की मानें तो पहले से ही संकरे इस पीसीसी सड़क पर जल-जमाव ने हालात और खराब कर दिए हैं। बुजुर्ग, महिलाएं और स्कूली बच्चे रोजाना इस पानी से होकर निकलने को मजबूर हैं। कई बार मोटरसाइकिल सवार लोग गिर कर चोटिल भी हो चुके हैं। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर ग्रामीणों में आक्रोश स्थानीय ग्रामीण झरी यादव, छोटू यादव, जानकी देवी, रुकनी देवी आदि लोगों ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कई बार थाना प्रभारी और पंचायत प्रतिनिधियों को आवेदन दिया। ग्रामीणों के अनुसार पंचायत स्तर पर बैठकें भी हुईं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी ने गांव वालों की उम्मीदें तोड़ दी है। जबकि कुछ ग्रामीणों का कहना है कि कुछ परिवार जान-बूझकर अपने घर का गंदा पानी सड़क पर छोड़ते हैं, जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। करीब 70 से 80 परिवार, जिनमें हर एक में 10-15 सदस्य हैं, इस समस्या से सीधे तौर पर प्रभावित है। जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने स्थानीय बीडीओ तथा एसडीएम से पहल करने की मांग की है। कहा कि अगर पहल नहीं हुई तो आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा। साथ ही मांग करते हुए कहा कि पुराने जलनिकासी मार्ग की बहाली हो। सड़क किनारे नाला/ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण हो, जलजमाव का स्थायी समाधान हो तथा मच्छर जनित रोगों से बचाव हेतु फॉगिंग की व्यवस्था कराई जाये। साथ ही कहा कि यह मामला न सिर्फ स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि ग्रामीणों की नारकीय जिंदगी की तस्वीर भी सामने लाता है। मुखिया प्रतिनिधि राधे पण्डित ने कहा कि यह समस्या पिछले दो वर्षों से है। समाधान को लेकर वहां के लोगों ने नाली निर्माण के लिए योजना भी करवाई पर कोई जमीन देने को तैयार नहीं है और न ही घर के लोग पानी निकालना बंद करना चाहते हैं। समस्या के समाधान को लेकर पिछले वर्ष सीओ से भी लोगों ने गुहार लगाई थी पर कोई पहल नहीं हुई। हम एसडीएम से आग्रह करते हैं कि यह समस्या सिर्फ स्थानीय लोगों की नही है बल्कि छोटे-छोटे बच्चों से लेकर आने जाने वाले राहगीरो के लिए भी मुसीबत है। इस पर पहल कर समस्या से निजात दिलाएं।
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