दूसरे को दर्द देनेवाला व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता है: प्रशांत मुकुंद
गिरिडीह में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक प्रशांत मुकुंद प्रभु ने कहा कि दूसरों को दर्द देने वाला व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता। उन्होंने मांस खाने की आदत पर चिंता जताते हुए कहा कि यह...

गिरिडीह, प्रतिनिधि। सिहोडीह के चौधरी मोहल्ला स्थित स्तुति बैंक्वेंट पैलेस में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को कथावाचक प्रशांत मुकुंद प्रभु ने कहा कि जीवन में दूसरे को दर्द देनेवाला व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता है। जो दूसरे को दर्द देता है उसे भी दर्द मिलता है। जिन लोगों को मांस खाने की आदत होती है, उनमें भय ज्यादा होता है। मनुष्य मांस खाता है और वह मांस तीन दिनों तक उसके शरीर में पड़ा रहता है। कहा कि प्रथा के नाम पर पशु बलि पाप है। पशु हत्या करनेवाले को दंड मिलता है। कथावाचक प्रशांत मुकुंद प्रभु ने भगवान कृष्ण के वृंदावन के लीलाओं का वर्णन किया।
कहा कि श्री कृष्ण ने जन्म लेते ही अदभुत कार्य करना शुरु कर दिया। भगवान छोटे बालक के रुप में जन्म लेते है, पर विशाल कार्य करते है। भगवान श्री कृष्ण 6 दिन के थे तभी मामा कंस ने पुतना को उनके वध के लिए भेज दिया। पुतना स्वरुप बदलकर माता यशोदा को बोली कि मैं स्तनपान कराऊंगा तो बालक दिव्य हो जाएगा। माता यशोदा ने श्रीकृष्ण के दिव्य होने की लालसा में स्तनपान कराने को कहा। यहां भगवान श्री कृष्ण ने जन्म के छठे दिन ही अपनी लीला दिखानी शुरु की दी। कहा कि वृंदावन में सब भगवान के परम भक्त है। संगीतमयी प्रवचन को सुनने काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। गिरिडीह के उद्योगपति अजय बगड़िया व उनकी धर्मपत्नी संगीता बगड़िया के द्वारा बड़े ही भक्ति भाव से भागवत कथा प्रारंभ किया गया है। बताया गया कि गिरिडीह शहर को भागवत गीता के उपदेश से कल्याण करने के लिए द्वारिका दिल्ली इस्कॉन से प्रशांत मुकुट प्रभु जी पधारे हैं। उनकी वाणी एवं भागवत गीता के वचनों को सुनने मात्र से ही मानव का कल्याण हो सकता है।
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