सरियावासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित, पांच वर्षों से वाटर सप्लाई बंद
सरिया प्रखंड की नगर पंचायत में 5 वर्षों से पानी की सप्लाई बंद है, जबकि अधिकारियों ने 46 करोड़ के टेंडर का आश्वासन दिया है। जनता ने कई बार धरना प्रदर्शन किए, लेकिन कोई परिणाम नहीं मिला। स्वास्थ्य...

सरिया। सरिया प्रखंड की आबादी करीब दो लाख है जबकि नगर पंचायत क्षेत्र की आबादी 30 हजार के करीब है। जब नगर पंचायत की बात की जाये तो 05 वर्ष से यहां वाटर सप्लाई बंद है लेकिन नगर पंचायत के अधिकारी राज्य सरकार से 46 करोड़ के टेंडर होने की बात बताकर लोगों को बरगलाने में लगे हैं। इसकी सुबुगाहट तक नहीं है जबकि टैक्स के नाम पर नपं प्रतिवर्ष 40 लाख या अधिक की वसूली कर रही है। पेयजल की मांग को लेकर कई बार सड़क जाम, धरना, प्रदर्शन जैसे आंदोलन चलाए गए परंतु आमजनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया।
अब तक लोगों को विभागीय अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन से ही संतोष करना पड़ा है। बताते चलें कि वर्ष 2008 में लगभग 09 करोड़ से अधिक की लागत से शहरी क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझाने के लिए पेयजल आपूर्ति योजना को धरातल पर उतारा गया था। इसके लिए बराकर नदी में इंटेक वेल बनाया गया। वहां से पाइप लाइन बिछाकर, कोवड़िया टोला, ठाकुरबाड़ी टोला, नेताजी पार्क, बड़की सरिया, चंद्रमारणी, मंधनिया, बलिडीह, सरिया बाजार आदि मोहल्ले में पेयजलापूर्ति की व्यवस्था की गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरिया परिसर तथा झंडा चौक के पास पीडब्ल्यूडी की जमीन पर दो जलमीनार बनाए गए। अस्पताल परिसर में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया। लोगों को पेय जलापूर्ति की जाने लगी जो महज कुछ ही वर्षों तक ठीक-ठाक चली। उसके बाद विभाग की उदासीन रवैया के कारण यह योजना बेकार साबित हुई। इस योजना के तहत बने दो जल मीनार सिर्फ सफेद हाथी की तरह शहर की शोभा बढ़ाते दिख रहे हैं। क्या कहते हैं बड़की सरिया नपं के अधिकारी बड़की सरिया नगर पंचायत के अधिकारियों को मानें तो उक्त योजना ग्रामीण पेयजलापूर्ति विभाग द्वारा लागू की गई थी। परंतु कुछ ही वर्षों में पेयजल आपूर्ति बंद हो गई। बड़की सरिया को नगर पंचायत क्षेत्र घोषित होने के बाद यह योजना नगर पंचायत को हस्तांतरित कर दी गई है। इसके बाद राज्य सरकार से 46 लाख का टेंडर किया गया जो अभी प्रक्रिया में है। एक होम्योपैथ डॉक्टर के भरोसे है सरिया प्रखंड जहां तक स्वास्थ्य सेवा की बात है तो इसके लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी इस सेवा से वंचित हैं। प्रखंड के 23 पंचायत की दो लाख की आबादी आज भी निजी अस्पताल के भरोसे है। सरिया में एक स्वास्थ्य केंद्र व तीन सहायक केंद्र हैं। अनुमंडल बन जाने के बाद भी सरिया पीएससी से सीएसी नहीं बन पाया है। नाम के लिए सरिया के पीएससी सेंटर में दो डॉक्टर की ड्यूटी है जिसमें एक एमबीबीएस है एक होम्योपैथ है। आरम्भ में सरियावासियों के लिए डॉ. रजनीकांत की सेवा दी गई लेकिन उनसे अधिकतर सेवा बगोदर में ली जाती है। कहा जा सकता है कि सरिया अस्पताल एक होम्योपैथ डॉ. ललन कुमार के भरोसे है। इसके पीछे का खेल समझ से परे है लेकिन सरिया के जनप्रतिनिधि भी इस मामले में चुप्पी साधे हैं। अगर देखा जाए तो आज भी सरियावासियों को पानी व स्वास्थ्य सेवा से कोसों दूर रखा गया है जो मूलभूत सुविधा है। यह अस्पताल दुकान की तरह 10 बजे खुलता है और शाम के 3 बजे बंद हो जाता है। जब कोई घटना दुर्घटना होती है तो घायल लोगो को धनबाद, रांची, हजारीबाग, गिरिडीह जाना पड़ता है और इस दौरान कई बार घायलों को जान से भी हाथ गंवानी पड़ती है। शाम ढलते ही पूरा अस्पताल परिसर टापू बन जाता है। रात्रि सेवा के नाम पर भी कोई चिकित्सा की व्यवस्था नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 80 के दशक में इस अस्पताल में 24 घण्टे डॉक्टर की सुविधा रहती थी। दवा उपलब्ध रहती थी लेकिन समय के साथ साथ यह सभी सेवा बंद हो गयी। क्या कहते हैं चिकित्सा प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ. बिनय कुमार कहते हैं कि सरिया बगोदर के लिए डॉक्टरों का घोर अभाव है। चूंकि बगोदर में ट्रामा सेंटर है इसलिए सीएसी व ट्रामा दोनों का काम देखना रहता है। ऐसे में डॉक्टरों से उपयोगिता के हिसाब से काम लिया जा रहा है।
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