विभावि शिक्षाशास्त्र विभाग में रवीन्द्रजयंती पर व्याख्यान
हजारीबाग में रविंद्रनाथ टैगोर की 164वीं जयंती पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। डॉ प्रमोद कुमार ने टैगोर की जीवनी और शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने टैगोर की प्रसिद्ध पंक्ति का उल्लेख करते हुए...

हजारीबाग शिक्षा प्रतिनिधि विभावि शिक्षाशास्त्र विभाग के तत्वाधान में बुधवार को रविन्द्रनाथ टैगोर की 164वी जयंती के मौके पर डॉ सुकल्याण मोइत्रा की अध्यक्षता में व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य वक्ता पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ प्रमोद कुमार ने टैगोर की जीवनी एवं शैक्षिक दर्शन पर प्रकाश डाला। कहा यदि तुम्हारी पुकार को सुनकर कोई नहीं आए तो अकेला ही चलो की पंक्ति को याद करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय उनकी इस पंक्ति ने देशवासियों में असीम साहस और आत्मविश्वास का संचार किया। एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में टैगोर की पहचान बनी।
ब्रह्म समाज के उत्थान सहित भारत के पुनर्जागरण एवं भारत की राजनीति में टैगोर परिवार के योगदान पर भी प्रकाश डाला। व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए डॉ मोइत्रा ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा संबंधी दृष्टि पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही रवींद्रनाथ टैगोर और मोहनदास करमचंद गांधी के आपसी संबंधों की जानकारी देते हुए बताया कि जहां टैगोर ने गांधी को 'महात्मा' कहा वही गांधी ने टैगोर को 'गुरुदेव' कहा। विभाग के शिक्षक डॉ मृत्युंजय प्रसाद ने विषय प्रवेश कराया । मंच संचालन डॉ विनीता बंकिरा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अमिता कुमारी ने किया। व्याख्यान में विभागीय प्राध्यापक डॉ. रजनीश कुमार , शालिनी अवधिया, डॉ कुमारी भारती, डॉ चौधरी प्रेम प्रकाश समेत प्रशिक्षु मौजूद थे ।
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