बोले हजारीबाग :ट्रैफिक जिम्मेदारी संभाल रहीं महिलाओं के लिए बने शौचालय
हजारीबाग शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए प्रमुख चौक-चौराहों पर होमगार्ड के पुरुष और महिला जवानों की तैनाती की गई है। लेकिन महिलाओं को काम के द

हजारीबाग । इन दिनों हजारीबाग के विभिन्न चौक-चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए होमगार्ड एवं जिला पुलिस बल तैनात किये गए हैं। अचानक इनकी तैनाती से मन में आशा जगी है कि आने वाले दिनों में शहर की यातायात व्यवस्था पहले से बेहतर होगी। कुछ साल पहले तक हजारीबाग में ट्रैफिक पुलिस केवल डिस्ट्रीक्ट मोड़ चौक पर देखने को मिलती थी। यह शहर का एक प्रमुख चौराहा था जहां दो राष्ट्रीय राजमार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 100 (अब 522) और राष्ट्रीय राजमार्ग 33 (अब 22) समकोण पर काटते थे। यह चौराहा वास्तव में जिला मुख्यालय का केन्द्र था। समीप ही आयुक्त, उपायुक्त, पुलिस उपमहानिरीक्षक, अधीक्षक एवं जिला स्तर के तमाम सरकारी विभाग एवं न्यायालय स्थित हैं।
इस कारण यहां भीड़ और जाम अक्सर लगता था। इस कारण डिस्ट्रीक्ट मोड़ पर ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी जरूरी थी।हजारीबाग में बाइपास बनने से भारी मालवाहनों का प्रवेश तो कम हुआ है, परंतु दोपहिया और हल्के चारपहिया वाहन, टोटो, ऑटो और पैदल चलने वालों के कारण शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। पिछले ढाई दशक में हजारीबाग में आबादी बढ़ने के साथ वाहनों की संख्या में बेहिसाब वृद्धि हुई है। लेकिन बढ़ती वाहनों की संख्या के बावजूद यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए कभी कोई ठोस पहल नहीं की गई। ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए इन दिनों चौक-चौराहों पर वर्दीधारी होमगार्ड के जवान दिख रहे हैं। लेकिन इन्हें सुरक्षा किट भी नहीं दी गई है। साथ ही ही इन्हें ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए प्रशिक्षण भी नहीं मिली है। हन होमगार्ड के जवानों को केवल मोबाइल कैमरा थमा दिया गया है। ये गाड़ियों का नंबर प्लेट का फोटो खींचकर सरकार का राजस्व बढ़ाना का ही काम कर हे हैं। । वहीं जो भी कर्मी सड़क पर तैनात हों, उनका कार्य-घंटा सुनिश्चित नहीं है। साथ ही ट्रैफिक के लिए उचित वर्दी भी नहीं है। साथ ही कान पर शोर का कम प्रभाव पड़े, उस तरह की विशेष टोपी हो ताकि इस सेवा में रहते हुए किसी तरह की शारीरिक क्षति न हो। परंतु हजारीबाग की सड़कों पर तैनात कर्मियों के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। मालूम हो कि हजारीबाग में अन्नदा चौक, बंशीलाल चौक, बिरसा चौक, झंडा चौक, इन्द्रपुरी चौक, कोर्रा चौक, पंचमंदिर चौक प्रमुख चौक हैं जहां आए दिन घंटों जाम लगता है। इनमें कुछ चौक जिला मुख्यालय के पास हैं तो कुछ शहर के मध्य में जाने के प्रमुख रास्ते हैं। डॉक्टर से दिखाने वाले मरीज, कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे, और शहर में खरीदारी करने के लिए हजारों लोग इन चौकों से गुजरते हैं। यहां ट्रैफिक पुलिस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। अलबत्ता अप्रशिक्षित कर्मी जरूर यहां तैनात हैं। इन चौकों पर ट्रैफिक लाइट और सीसीटीवी लगाकर हजारीबाग की यातायात व्यवस्था ठीक की जा सकती है। इसके लिए न तो किसी कर्मी की जरूरत है न विशेष निगरानी की।हजारीबाग जिला में कहीं भी वाहन पार्किंग की भ्ी मुचित व्यवस्था नहीं है। इस कारण जाम लगना स्वाभाविक है, भले ही ट्रैफिक पुलिस तैनात क्यों न हो। नगर निगम अपनी आय बढ़ाने के लिए खुद सड़क का अतिक्रमण कर पार्किंग जरूर बना देता है। ज्यादा लोग नहीं करते ट्रैफिक नियमों का पालन ट्रैफिक कर्मियों को समय-समय पर शैक्षणिक संस्थानों में जाकर युवाओं को यातायात व्यवस्था और सड़क नियमों की जानकारी देनी चाहिए ताकि युवक सड़क दुर्घटनाओं का कम से कम शिकार हों। आमजन के सहयोग, समन्वय और जागरुकता तथा यातायात कर्मियों के पेशेवर प्रशिक्षण, समर्पण और तकनीकी मदद से आने वाले दिनों में हजारीबाग शहरवासियों को इस समस्या से निजात दिलाया जा सकता है। होमगार्ड जवानों को ट्रैफिक नियमों का प्रशिक्षण जरूरी हजारीबाग में हर एक चौक-चौराहे पर खड़े होमगार्ड जवानों को ट्रैफिक नियमों के बारे में प्रशिक्षण देना अति आवश्यक है। बिना प्रशिक्षण के जवान ट्रैफिक व्यवस्था को नहीं सुधार पाएंगे। इस जागरुकता अभियान के तहत शहर के हर मोहल्ले में जाकर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। साथ ही सरकार से यह भी आग्रह है कि जिनकी ट्रैफिक में प्रशिक्षण हुई है, उन्हें ट्रैफिक की ही ड्यूटी दी जाए। जवानों को नहीं मिलता छाता और मेडिकल किट हजारीबाग में फिलहाल होमगार्ड के जवानों को चौक-चौराहों पर तैनात कर ट्रैफिक की समस्या को कुछ हद तक कम किया गया है। अभी गर्मी का मौसम चल रहा है और इतनी धूप में वे लोग चौराहों पर घंटों तक खड़े रहते हैं। इससे लू लगने की समस्या एवं गर्मी के कारण अन्य बीमारियां हो सकती हैं। इनसे बचाव के लिए मेडिकल किट, छाता एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान की जानी चाहिए। चौराहों पर लगे ट्रैफिक लाइट हजारीबाग में ट्रैफिक की लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए प्रशासन की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। चौक-चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था के लिए होमगार्ड तैनात किए गए हैं और बड़े शहरों की तर्ज पर ट्रैफिक लाइट लगाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। सड़क किनारे अवैध रूप से लगने वाले ठेले और पार्किंग करने वालों पर चालान की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नगर निगम और ट्रैफिक विभाग के संयुक्त प्रयासों से ही संभव है। साथ ही, लहरिया कट जैसे खतरनाक बाइक संचालन पर निगरानी और ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले बुलेट साउंड पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पूरी निष्ठा से काम करते हैं। भीड़भाड़ और गर्मी में लोगों को राहत देना ही उद्देश्य है। -चमेली कुमारी अगर लोग ट्रैफिक संकेतों का पालन करें और अनुशासन में रहें तो जाम की समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है। -सुदामा चौधरी ट्रैफिक कंट्रोल के लिए आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। सीसीटीवी और डिजिटल संकेतक काम को आसान बना सकते हैं। -कंचन पासवान प्रशिक्षण मिलने से हम बेहतर तरीके से ट्रैफिक को संभाल सकते हैं। रिफ्रेशर ट्रेनिंग मिले तो हम और प्रभावशाली सेवा दे पाएंगे। -मिथिलेश कुमार हम अपने कर्तव्य को सेवा समझकर निभा रहे हैं। लोग जब मुस्कुराते हुए धन्यवाद कहते हैं, तो सारा थकान दूर हो जाता है। -निकेश यादव वाहन चालक हेलमेट पहनना, निर्धारित गति से वाहन चलाना और गलत दिशा में न चलना ये छोटी बातें बड़ा बदलाव ला सकती हैं। -प्रेमचंद पासवान हमलोगों की सबसे बड़ी चुनौती है की विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित सड़क पार कराना। हमलोग इस पर विशेष ध्यान देते हैं। -पंकज कुमार दुबे अक्सर हमें तेज धूप और बारिश में घंटों खड़ा रहना पड़ता है, पर हमें खुशी होती है जब शहर का ट्रैफिक सामान्य बना रहता है। -चंद्रेश कुमार सड़क पर खड़े रहना मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से चुनौतीपूर्ण है, लेकिन नागरिकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए हम हमेशा तत्पर हैं। -रंजीत चौधरी
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