Akal Takht Bans Giani Iqbal Singh from Religious Activities Amid Serious Allegations पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह नहीं हो सकेंगे धार्मिक गतिविधि में शामिल, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह नहीं हो सकेंगे धार्मिक गतिविधि में शामिल

तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह को धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया है। यह आदेश अकाल तख्त साहिब द्वारा जारी किया गया है जब तक वे अपने खिलाफ...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरWed, 9 April 2025 06:28 PM
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पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह नहीं हो सकेंगे धार्मिक गतिविधि में शामिल

तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह को फिर से बहाल करने का प्रयास विफल हो गया। सिख पंथ की सर्वोच्च धार्मिक पीठ श्री अकाल तख्त साहिब ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए उन्हें किसी भी धार्मिक गतिविधि में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया। यह आदेश पांच सिंह साहिबानों द्वारा हुई बैठक के बाद संयुक्त रूप से जारी किया गया। आदेश के अनुसार, जबतक ज्ञानी इकबाल सिंह अकाल तख्त साहिब में पेश होकर अपना पक्ष स्पष्ट नहीं करते, उन्हें किसी भी प्रकार की धार्मिक सेवा या गतिविधि में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी। इस फैसले से ज्ञानी इकबाल सिंह को पुनः जत्थेदार बनाने की मांग करने वाले पटना साहिब प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह और उनके सहयोगी गुरमीत सिंह, हरपाल सिंह, राजा सिंह और एचएस ढिल्लन को इस निर्णय से गहरा झटका लगा है।

इस बीच, पटना के काली स्थान निवासी मनमीत सिंह ने एक पत्र भेजकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार, ज्ञानी इकबाल सिंह के बेटे ने उनके एटीएम से लगभग ढाई लाख रुपये निकाल लिए। इसके अलावा एक दस चक्का ट्रक (कीमत लगभग 40 लाख) और मुथूट फाइनेंस में 90 ग्राम सोना गिरवी रखकर 5 लाख की राशि भी प्राप्त की गई है। उन्होंने इस धनराशि की वापसी की मांग की है। पांच सिंह साहिबानों की बैठक में यह भी कहा गया कि ज्ञानी इकबाल सिंह को पहले 15 जुलाई 2024 को सेवा में रखा गया था। लेकिन अब उनपर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए बिना श्री अकाल तख्त साहिब में पेशी के वे धार्मिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते। कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने अकाल तख्त साहिब के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि समस्त सिख समाज को इस फैसले पर कड़ा पहरा देना चाहिए।

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