Kolhan University Vice-Chancellor Discusses the Importance of Human Intelligence in AI Use मानवीय बुद्धिमत्ता व कृत्रिम बुद्धिमत्ता में संतुलन जरूरी : प्रो. गुप्ता, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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मानवीय बुद्धिमत्ता व कृत्रिम बुद्धिमत्ता में संतुलन जरूरी : प्रो. गुप्ता

कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से पहले मनुष्य की बुद्धिमत्ता जरूरी है। उन्होंने बताया कि मानव और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीच संतुलन बनाना...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSat, 12 April 2025 05:47 PM
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मानवीय बुद्धिमत्ता व कृत्रिम बुद्धिमत्ता में संतुलन जरूरी : प्रो. गुप्ता

कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(कृतिम बुद्धिमतत्ता) का उपयोग करने से पहले मनुष्य के पास अपना इंटेलिजेंस होना चाहिए, ताकि इस तकनीक का हम सही तरीके से उपयोग कर सकें। इस पर ध्यान देना होगा कि मानवीय बुद्धिमत्ता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीच संतुलन कैसे बना सकते हैं। एआई के उपयोग से हम विकास की ओर बढ़ेंगे या विनाश की ओर, इसपर गंभीरता से विचार करना होगा। वे शुक्रवार को एलबीएसएम कॉलेज में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं। देश में एआई बेरोजगारी बढ़ाएगा या घटाने में सहयोगी होगा, यह बड़ा सवाल

वैश्विक स्तर पर कृतिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव एवं चुनौतियां पर आयोजित इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र की मुख्य अतिथि कुलपति ने युवा भारत में एआई बेरोजगारी बढ़ाएगा या उसे घटाने में सहयोगी होगा, यह एक बड़ा सवाल है। संगोष्ठी का आयोजन टूकॉन रिसर्च एंड डेवलपमेंट, बेंगलुरू, प्रज्ञा रिसर्च एसोसिएशन, अखिल भारतीय जनकल्याण शैक्षिक संघ के सहयोग से किया जा रहा है। प्रो. गुप्ता ने कहा कि हमने पहले कभी नहीं सोचा था कि कोई मशीन निर्णय ले सकती है, प्रतिक्रिया कर सकती है। हमारे प्राचीन ज्ञान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीज पहले से मौजूद थे, पर आज जो एआई है, उसने कई गंभीर चुनौतियां पैदा की है, लेकिन कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। गहराई में जाकर समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। सही निर्णय करते हुए एआई का सकारात्मक उपयोग कर सकते हैं। इससे पहले उन्होंने सेमिनार का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ। एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ने स्वागत भाषण में कहा कि समय परिवर्तन के साथ तकनीक में भी बदलाव आता है। भविष्य में रोजगार सृजन में कृत्रिम बुद्धिमता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहेगी।

हमारी बौद्धिक क्षमता और व्यवहार की कॉपी करता है एआई : आनंद

सेमिनार का बीज वक्तव्य देते हुए एआई विशेषज्ञ रोहित आनंद ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता एक स्मार्ट तकनीक है, जिसपर कई शोध जारी हैं। यद्यपि इसका उपयोग काफी बढ़ा है, लेकिन दो से तीन वर्षों में इसमें कई तरह के परिवर्तन होने की संभावना है। वर्तमान में इसका सर्वाधिक प्रयोग नौकरियों में तेजी से कार्य संपादन में हो रहा है। इसी तरह शोध में, फाइलों को खोजने में इसके उपयोग बढ़ रहे हैं। यह एक मल्टी स्किल्ड तकनीक है, जो हमारी बौद्धिक क्षमता और व्यवहार की कॉपी करता है।

सेमिनार में टूकॉन रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डायरेक्टर केतन मिश्रा ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता पर बहुत सारे शोध हो रहे हैं। इसके आधारभूत ज्ञान की जानकारी सभी को होनी चाहिए। यद्यपि इस पर विश्वस्तरीय संस्थान शोध कार्य कर रहे हैं, जिसका सर्वाधिक लाभ और अध्ययनरत अगली पीढ़ी के विद्याार्थियों को होगा। ऐसे विद्यार्थी अल्फा-लेवल पार कर जाएंगे, जिससे शिक्षक-विद्यार्थी में तालमेल बनाना कठिन होगा। इसलिए एक प्रैक्टिकल फिनिशिंग होनी चाहिए। कृत्रिम बुद्धिमता की जानकारी ग्रामीणों को भी उपलब्ध करानी चाहिए। संगोष्ठी के सचिव डॉ. दीपंजय श्रीवास्तव ने कहा कि उच्च शिक्षा पर एआई उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला चुका है। हालांकि इसके समक्ष महत्वपूर्ण चुनौतियां भी हैं। कई शब्दों से विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के भावनात्मक एवं रचनात्मकता की कमी महसूस की जा सकती है।

टेक्निकल सत्र में 75 शोध आलेख पढ़े गए

उद्घाटन सत्र में ही सेमिनार की स्मारिका का विमोचन हुआ। उद्घाटन सत्र में मंच पर सबाब आलम और अपूर्व साहा भी मौजूद थे। इस अवसर पर को-ऑपरेटिव कालेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह, एबीएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ.. विजय कुमार पीयूष, घाटशिला कालेज के प्राचार्य डॉ. आरके चौधरी, शिक्षक संघ के अध्यक्ष इंदल पासवान, डॉ. अशोक रवाणी, विनोद शर्मा आदि भी मौजूद थे। उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन सेमिनार के समन्वयक डॉ. विजय प्रकाश ने किया। संचालन आईएक्यूएसी की को-आर्डिनेटर डॉ. मौसमी पॉल ने किया। सेमिनार में तीन देशों जर्मनी, यूएसए और नेपाल और झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों के विद्वान और शोधार्थी भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र के बाद आज चार टेक्निकल सत्रों में लगभग 75 शोध आलेख पढ़े गए। लगभग तीन सौ शोधार्थी और विद्वान इस सेमिनार में हिस्सा ले रहे हैं।

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