बोले जमशेदपुर : स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी धुरी, फिर भी वर्षों से स्थायी होने का इंतजार
नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के कर्मचारी लंबे समय से काम कर रहे हैं, लेकिन स्थायीकरण और समान वेतन की मांग कर रहे हैं। इनका वेतन केवल 18 से 20 हजार रुपये है और वेतन वृद्धि भी बहुत कम है। कई कर्मचारी...

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) को अब एनएचएम के नाम से जाना जाता है। इसके अंतर्गत एएनएम और जीएनएम के साथ ही लैब टेक्नीशियन और दूसरे कर्मचारी आते हैं। स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से काम करने के बावजूद ये कर्मचारी कांट्रैक्ट पर ही तैनात हैं। इनकी स्थिति सरकारी कर्मचारियों की तरह बेहतर नहीं है। कम वेतन और स्थायी नौकरी नहीं होने के कारण ये काफी परेशान रहते हैं। आज हिन्दुस्तान ने इन कर्मचारियों से बात की तो इनकी व्यथा सामने आई। हालांकि, ज्यादातर कर्मचारी खुलकर बात करने में परहेज कर रहे थे, लेकिन कुछलोगों ने अपनी समस्या की जानकारी दी। इन कर्मचारियों का कहना है कि वे लंबे समय से समान काम के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। वेतन वृद्धि भी सही तरीके से नहीं हो रही है। इस कारण उन्हें अपना घर चलाने, बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने के साथ ही दूसरे कार्यों में परेशानी हो रही है। उन्हें आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है। ये स्थायी कर्मचारियों के समान मेहनत करते हैं, लेकिन उसके एवज में उन्हें वह सुविधा नहीं मिलती, जो मिलनी चाहिए। वर्तमान में ज्यादातर अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र कांट्रैक्ट पर काम कर रहीं एएनएम, जीएनएम और लैब टेक्नीशियन आदि के भरोसे हैं। ऐसे में कहा जाए कि सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र इन कांट्रैक्ट कर्मियों के भरोसे हैं तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन और अन्य को 18 से 20 हजार रुपये वेतन मिलता है। वेतन में वृद्धि 5 प्रतिशत की जाती है। इन कर्मचारियों का कहना है कि इनके बाद आए दूसरे कर्मचारियों खासकर एमपीडब्ल्यू का वेतन इनसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अगर इस पद पर नई बहाली हो तो उनका वेतन काफी बेहतर होगा, लेकिन वे काम वही करेंगे, जो वर्तमान में वे लोग कर रहे हैं। इस बात को लेकर ये कर्मचारी चिंतित रहते हैं। इनका कहना है कि सरकार उन्हें जब स्थायी करेगी, तब करेगी, लेकिन तबतक तो समान काम के लिए समान वेतन का नियम लागू करते हुए उनके वेतन में वृद्धि करनी चाहिए, ताकि वे अपना घर परिवार बेहतर ढंग से चला सकें।
जिले में हैं लगभग 300 एएनएम-जीएनएम
जिले में एएनएम और जीएनएम की संख्या करीब 300 है। ये खासमहल स्थित सदर अस्पताल, एमजीएम अस्पताल के अलावा विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत हैं। उनसे पूरी तरह काम लिया जाता है, लेकिन वेतन और सुविधा के नाम पर उन्हें वह सब नहीं मिलता, जिसके ये हकदार हैं। इस कारण ये काफी परेशान रहते हैं।
स्थायीकरण के इंतजार में कई लोग रिटायरमेंट के कगार पर
कई एएनएम और जीएनएम की उम्र 50 साल से ज्यादा हो चुकी है। कई 15 साल से ज्यादा नौकरी कर चुके हैं और एक या दो साल में रिटायर भी होने वाले हैं, लेकिन अबतक उन्हें स्थायी नहीं किया गया। उनका कहना है कि स्थायीकरण के इंतजार में रिटायर होने वाले हैं, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दो रही है। संगठन द्वारा कई बार धरना-प्रदर्शन तक किया जा चुका है, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है।
काफी खर्च और ट्रेनिंग के बाद आते हैं नौकरी में
उनका कहना है कि ये डिप्लोमा करने के बाद नौकरी के लिए आते हैं। एएनएम की 2 साल और जीएनएम की 3 साल की ट्रेनिंग होती है। इसमें काफी खर्च भी होता है, लेकिन इस खर्च का उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, क्योंकि उनका वेतन सम्मानजनक नहीं है। सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
समान काम के लिए मिले समान वेतन
एएनएम, जीएनएम और लैब टेक्नीशियन सहित अन्य कर्मियों का कहना है कि ये लंबे समय से कार्यरत हैं। ऐसे में ये स्थायी होने के हकदार हैं, लेकिन स्थायी नहीं किया जा रहा है। स्थायी नहीं होने के कारण ये कई तरह की सुविधाओं से भी वंचित हैं। ये काम तो स्थायी के समान करते हैं, लेकिन वेतन स्थायी के समान नहीं है। इनका कहना है कि सभी को समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए।
नहीं मिलता पीएफ और एक्सीडेंटल बेनीफिट
एएनएम और जीएनएम को पीएफ और अन्य सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल रहा है। यही नहीं, आपात स्थिति में भी कोई लाभ नहीं मिलता। अगर काम पर आने या जाने के दौरान दुर्घटना हो जाए तो इलाज के लिए कोई राहत नहीं मिलती है। पिछले दिनों एक कर्मचारी दुर्घटना में घायल हो गई थी, लेकिन उसे मदद नहीं मिली। इस स्थिति में काफी परेशानी होती है।
समस्या
1. लंबे समय से काम करने के बावजूद स्थायीकरण नहीं हो रहा। स्थायीकरण को लेकर कई बार हो चुका है आंदोलन।
2. समान काम के लिए समान वेतन का भी लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे घर-परिवार चलाने में परेशानी हो रही है।
3. इनके बाद आने वाले सरकारी कर्मियों को उसी काम के लिए मिल रहा है ज्यादा वेतन, जिससे हो रही निराशा।
4. पीएफ और एक्सीडेंटल बेनीफिट का भी नहीं मिल रहा है लाभ, जिससे होती है परेशानी।
5. सरकार मांगों पर ध्यान नहीं देती। इससे इन कर्मचारियों को मुश्किल स्थिति में काम करना पड़ता है।
सुझाव
- लंबे समय से कार्यरत एएनएम-जीएनएम को स्थायी करने की दिशा में पहल होनी चाहिए।
- समान काम के लिए समान वेतन की मांग पर सरकार द्वारा विचार किया जाना चाहिए, ताकि वे भी अच्छा जीवन जी सकें।
- पीएम और एक्सीडेंटल बेनीफिट का लाभ भी सभी को मिलना चाहिए।
- वेतन में 5 प्रतिशत वृद्धि को और बढ़ाने की जरूरत है, ताकि सम्मानजनक वेतन मिल सके।
- अगर इन्हें कांट्रैक्ट लेबर माना जाता है तो उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
एनआरएचएम (अब एनएचएम) में सभी 15 वर्ष से काम कर रहे हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं मिल रहा। हाईकोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश भी दिया था, लेकिन वह लाभ भी उन्हें नहीं मिल रहा है। सरकार को स्थायी करना चाहिए और तबतक समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए।
रवींद्र ठाकुर, झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ
हम पूरी मेहनत से मरीजों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन हमारा भविष्य अंधकार में है। कई बार सरकार से स्थायीकरण की मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
शशि प्रभा
वेतन काफी कम है। इतने में घर चलाना काफी मुश्किल हो जाता है। समान काम के बावजूद हमें स्थायी कर्मियों की तुलना में आधा वेतन भी नहीं मिलता।
कांति
हर साल 5 प्रतिशत वेतन वृद्धि होती है, लेकिन यह महंगाई के हिसाब से बहुत कम है। स्वास्थ्यकर्मियों को तो सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए।
ज्योति कुजूर
हमारे पास पीएफ, मेडिकल या एक्सीडेंटल बेनीफिट नहीं है। अगर नौकरी के दौरान कुछ हो जाए तो कोई सुरक्षा नहीं।
संजोति
हम वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन नई भर्ती वाले मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर का वेतन हमसे ज्यादा है। ये अन्याय है।
इंदूबाला स्वांसी
काम करते हुए 15 साल हो गए। स्थायीकरण की मांग को लेकर हम कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन सरकार का रवैया उदासीन है।
ऊषा
मैं जल्द ही रिटायर हो जाऊंगी, लेकिन आजतक स्थायी नहीं हो पाई। यह बहुत ही दुखद है।
शिखा पालित
कम वेतन के कारण बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा नहीं सकते। हमारी आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।
रानी
सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र हमारे भरोसे चलते हैं, लेकिन हमें उचित वेतन और सुविधाएं नहीं मिलतीं।
सूरजमनी मुर्मू
कई विभागों में कांट्रैक्ट कर्मियों को स्थायी किया गया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग हमारी अनदेखी कर रहा है।
अनीता गोराई
अगर हम बीमार पड़ जाएं तो मेडिकल सुविधा तक नहीं मिलती। स्थायी कर्मचारियों को तो हर सुविधा मिलती है।
ज्योति बारजो
हमें सिर्फ आश्वासन मिलता है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जाते। सरकार को हमारी स्थिति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
मेरी अमृता भेंगरा
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।