टाटानगर व चक्रधरपुर स्टेशन पर बनेगा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
टाटानगर और चक्रधरपुर स्टेशन पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाएगा। यह योजना रेलवे की स्वच्छता और पर्यावरण सुरक्षा के लिए है, जिसमें 50 करोड़ खर्च होंगे। एक वर्ष में प्लांट चालू करने का लक्ष्य...

टाटानगर व चक्रधरपुर स्टेशन पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा। रेलवे में स्वच्छता व पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनजर यह योजना बनी है। दक्षिण पूर्व जोन दोनों स्टेशनों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में 50 करोड़ खर्च करेगा। वहीं, एक वर्ष में प्लांट शुरू कराने का लक्ष्य है। इससे स्टेशन की नालियों के गंदे पानी को साफ कर नदी में बहाने के साथ कचरा हटाया जाएगा। बताया जाता है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर रेलवे पर्यावरण सुरक्षा के लिए स्टेशन व कॉलोनी समेत अन्य खाली स्थानों पर पौधारोपण भी कराने लगा है। अभी टाटानगर स्टेशन का गंदा पानी जुगसलाई से नाला होकर खरकई नदी में बहता है। रेलवे की योजना सफल होने से खरकई नदी को प्रदूषण से बचाने के साथ आसपास के क्षेत्र का वातावरण भी स्वच्छ होगा।
वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट का काम बंद
रेलवे स्टेशन के गंदे पानी का दोबारा इस्तेमाल करने के लिए टाटानगर में करोड़ों रुपये से वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट बना रहा था, लेकिन 70 प्रतिशत काम होने के बाद डेढ़ वर्ष से प्लांट कार्य बंद है। प्लांट शुरू होने से रोज 4-5 हजार गैलन से ज्यादा पानी की बचत होती। लाइन, प्लेटफॉर्म व ट्रेनों की धुलाई से बर्बाद पानी की रिसाइिलिंग के बाद धुलाई, बागवानी और शौचालय में इस्तेमाल हो जाता।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट हो गया बेकार
स्टेशन व अन्य जगहों से निकलने वाले कचरे का निस्तारण करने के लिए टाटानगर में करोड़ों रुपये सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनवाया गया, लेकिन डेढ़-दो वर्ष से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बेकार पड़ा है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट चालू होने से रेल क्षेत्र के कचरे का ढेर नहीं लगता। अभी हवा के झोंके के साथ दुर्गंध आसपास के क्षेत्रों में फैलता है। लेकिन रेलवे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के संचालन पर ध्यान नहीं दिया।
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