रखरखाव के बिना बूढ़े हो रहे पेड़ का टूट रहा धरती से नाता
कोडरमा जिले में बूढ़े पेड़ों की उम्र कम हो रही है क्योंकि उनका सही ढंग से रखरखाव नहीं किया जा रहा है। हल्की हवा से भी ये पेड़ गिर रहे हैं। नगर परिषद ने अब तक पेड़ों के संरक्षण के लिए कोई नीति नहीं...

कोडरमा, वरीय संवाददता। जिले में रखरखाव के बिना बूढ़े हो रहे पेड़ का धरती से नाता टूट रहा है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाय जा सकता है कि हल्की हवा के झोंके भी बड़े से बड़े दरखतों को धराशायी कर दे रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि पौधरोपण के समय संरक्षण और उसकी सुरक्षा पर तो ध्यान दिया जाता है, मगर जब पेड़े बड़े हो जाते हैं तो उसकी उम्र कैसे बढ़ाई जाए और उसे पोषण कैसे मिले, इन नियमों पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता है। इसी का नतीजा है कि बूढ़े हो रहे पेड़ समय से पहले ही धरती से नाता तोड़ देते हैं।
इन पेड़ों को बचाने या उसके संरक्षण के लिए विभाग के पास कोई गाइडलाइन नहीं है। झुमरी तिलैया शहर से लेकर कोडरमा और प्रखंड के तमाम जगहों पर पेड़ को चारों ओर से घरों ने घेर लिया है। पक्के निर्माण की वजह से पेड़ की जड़ों तक जलस्रोत और प्राकृतिक पोषण नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसी का कारण है कि हल्की हवा भी बड़े से बड़े दरखतों को तबाह और बर्बाद कर दे रही है। विभागीय उपेक्षा भी बन रहा है कारण कई साल से लोगों को छांव दे रहे बुढ़े पेड़ की रक्षा और सुरक्षा के लिए विभाग के पास कोई विशेष गाइडलाइन नहीं है। गाइडलाइन नहीं होने क कारण भी लोग अनदेखी करते हैं। ऐसे में विभागीय उपेक्षा के चलते इनका रखरखाव नहीं हो रहा है। सही तरीके से रखरखाव नहीं होने का नजीता है कि इनके गिरने का खतरा बढ़ गया है। साथ ही ऐसे में कई बार लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। आपसी सामंजस्य और जागरुकता से ही बचेंगे पेड़: लेमांशु झुमरी तिलैया नगर परिषद के सिटी मैनेजर लेमांशु कुमार का कहना है कि आपसी सामंजस्य और जागरुकता से ही हमारे आसपास लगे हुए नए पुराने पेड़ बच सकेंगे। पेड़ों को बचना या बचाना इस बात पर भी निर्भर करता है कि इसको लेकर समाज का नजरिया क्या है। कुछ लोग हमेशा इसी उद्देश्य में रहते हैं कि बड़े हो चुके पेड़ को काटकर हटा दिया जाए। मगर इससे पेड़ को सही तरीके से पोषण नहीं मिल पाता है। ऐसे में उनकी जड़े कमजोर पड़ जाती हैं। इसका नतीजा यह होता है कि हल्की हवा भी उन्हें धराशायी कर देती है। कोडरमा नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र में पेड़ों के रखरखाव के लिए अभी तक नहीं बनी कोई नीति झुमरी तिलैया नगर परिषद के सिटी मैनेजर लेमांशु कुमार का कहना है कि अभी तक कोडरमा नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र में पेड़ों के रखरखाव के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनी है। उनका कहना है कि सामान्य तौर पर पेड़ों को काटने से पहले जो परमिशन लेना है, यही एक नियम अबतक लागू है। इसी का पालन नगर परिषद की ओर से कराया जाता है। वैसे, हमलोग एनजीओ के माध्यम से भी पेड़ को सुरक्षित करने का अभियान पर काम करने के लिए योजना बना रहे हैं। जल्द ही इसके लिए एनजीओ को आमंत्रित किया जाएगा। झुमरीतिलैया नगर परिषद के सिटी मैनेजर लेमांशु कुमार की मानें तो फिलहाल झुमरीतिलैया शहरी क्षेत्र में ऐसे सौ से अधिक पेड़ हैं, जो पुराने हो चुके हैं। कुछ पुराने बरगद और पीपल पेड़ की तना खोखली हो चुकी है। इसके बाद भी वे हरे-भरे और खड़े हैं। मगर खतरा इसी बात का बना रहता है कि तेज आंधी-पानी में कभी बड़ी घटना भी हो सकती है। क्या कहते हैं डीएफओ कोडरमा जिला के वन प्रमंडल पदाधिकारी सौमित्र शुक्ला का कहना है कि पुराना हो या नया, सभी पेड़ों की रक्षा होनी चाहिए। मगर आंधी में कौन पेड़ गिर जाएंगे, ये बताना थोड़ा मुश्किल है। कई बार देखा जाता है कि हल्की आंधी में नए पेड़ भी गिर जाते हैं, मगर जो 50 साल से भी अधिक पुराने होते हैं वे खड़े रहते हैं। यह एक रिसर्च का विषय है। इसके लिए रांची में आइएफपी अर्थात इंडियन फॉरेस्ट प्लानिंग नाम से एक विंग है, जो पेड़ का रिसर्च करता है। इससे यह पता लगाया जाता है कि उसकी अभी आयु कितनी है। जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी सौमित्र शुक्ला का कहना है कि निर्माण होने और कांक्रिट की सड़कें बनने से धरती के नीचे पानी नहीं जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इससे पेड़ों को पोषण कम मिल रहा है। वैसे, बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया इस विषय पर तेजी से काम कर रहा है।
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