हिन्दुस्तान हास्य कवि सम्मेलन में काव्य प्रेमियों ने लगाए खूब गोते
पलामू के सिटी मेदिनीनगर में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में हजारों साहित्यप्रेमियों ने भक्ति, श्रृंगार और यथार्थ विषयक काव्य पाठ का आनंद लिया। झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कार्यक्रम का...

मेदिनीनगर। पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय सिटी मेदिनीनगर के पुलिस स्टेडियम में मंगलवार की खुशनुमा शाम में खुले आकाश के नीचे बैठकर हजारों साहित्यप्रेमियों ने हास्य-व्यंग के साथ-साथ भक्ति, श्रृंगार और यथार्थ विषयक काव्य पाठ का आनंद लिया। राष्ट्रीय दैनिक हिन्दुस्तान के तत्वावधान में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन का उदघाटन मुख्य अतिथि, झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने विशिष्ट अतिथि, पलामू के सांसद विष्णु दयाल राम, पुलिस अधीक्षक रीष्मा रमेशन, ग्रासिम केमिकल इंडस्ट्रिज के रेहला फैक्ट्री के यूनिट हेड हितेंद्र अवस्थी, रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ ईश्वर सागर चंद्रवंशी के साथ किया। अतिथि कवि पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे, डॉ विष्णु सक्सेना, स्वयं श्रीवास्तव, अजय अटपटू और सरिता सरोज भी उदघाटन सत्र में विशेष रूप से उपस्थित रहीं। दीप प्रज्ज्वलन के पूर्व मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों का हिन्दुस्तान परिवार ने स्वागत किया।
साहित्य-प्रेमी शिक्षक परशुराम तिवारी के संचालन में आयोजित उदघाटन सत्र में दीप प्रज्ज्वलन के बाद स्टेडियम में उपस्थित काव्य प्रेमियों को संबोधित करते हुए झारखंड के वित्त मंत्री ने हास्य कवि सम्मेलन आयोजित करने के लिए हिन्दुस्तान अखबार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि मनोरंजन के ऐसे अवसर से आम लोगों को मिलने से उन्हे संघर्ष के बावजूद आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती है। वित्तमंत्री ने के अपने 45 वर्षो के राजनीति जीवन में आए उतार-चढ़ाव का भी जिक्र किया। साथ ही कवि स्वयं श्रीवास्तव की चार पंक्तियों, जिस रास्ते पे चल रहे उसपर हैं छल पडे/ कुछ देर के लिए मेरे माथे पर बल पड़े/ हम सोंचने लगे कि यार लौट चलें क्या/ फिर सोंचा यार छोड़ो चल पड़े तो चल पड़ें/ को भी पढ़ा और कहा कि इससे उन्हे काफी प्रेरणा मिली है। वित्त मंत्री ने कार्यक्रम का उदघाटन करने के बाद अंत तक काव्य पाठ का आनंद उठाया। उन्होंने सभी कवियों को हृदय से आभार जताया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सह पलामू के सांसद वीडी राम ने हास्य काव्य गोष्ठी का आयोजन के लिए हिन्दुस्तान अखबार का आभार जताया। देश के सभी नामचीन कवियों का भी उन्होंने पलामू आने के लिए स्वागत किया। साथ ही पलामू के काव्यप्रेमियों का भी उत्साह बढ़ाया। उन्होंने कहा कि भागदौड़ की जिंदगी में मनोरंजन के ऐसे अवसर तनाव से बाहर निकलने और नई ऊर्जा के साथ तेजी से काम करने का मौका देते हैं। कार्यक्रम में शिरकत करते हुए अन्य अतिथियों ने भी आयोजन की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होता रहे, इसकी शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम के उतरार्द्ध में हिन्दुस्तान परिवार ने मुख्य अतिथि सह वित्त मंत्री का आभार जताया। साथ ही मुख्य प्रायोजक समेत सभी प्रायोजकों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया और उनके सक्रिय सहयोग के लिए आभार जताया।
कार्यक्रम का उदघाटन के पूर्व शहर के ग्रीनवैली इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थियों ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत कर कवियों, अतिथियों व काव्य प्रेमियों का स्वागत किया। इसके बाद शहर के गणमान्य नागरिकों ने हिन्दुस्तान परिवार की ओर से सभी कवियों व कवियित्री का शॉल और पुप्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। काव्यगोष्ठी करीब मध्य रात तक चली और पलामूवासी काव्य पाठ का आनंद उठाने के लिए ने सिफ मैदान में डटे रहे। वरन काव्य प्रस्तुति पर तालियां बजाकर कवियों को काफी उत्साहित भी किया। काव्य प्रेमी दीर्घा में सामाजिक कार्यकर्ता अरूण सिंह, ईश्वरी पांडेय, प्रशांत किशोर, रूद्र शुक्ला, अमित तिवारी, मनोज सिंह, विजय ओझा, धर्मदेव सिंह यादव, ग्रासिम के पदाधिकारी नीतेश पांडेय, अधिवक्ता शशिभूषण दुबे, विकास कुमार, कवि हरिवंश प्रभात, ओमप्रकाश प्रसाद, शुभम कुमार, रेलकर्मी मनीष मिश्रा, आशीष भारद्वाज आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।
पलामू की एक बात खास है, पलामू का आदमी एकदम झकास है : हिन्दुस्तान हास्य कवि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ से आए वरिष्ठ कवि, पदमश्री डॉ सुरेन्द्र दूबे ने-पलामू की एक बात खास है/ पलामू का आदमी एक दम झकास है/ तथा नेता चल, पटना चल, दिल्ली चल, टोपी लगा, कुर्ता पहन, मंत्री बन, हवाला कर, घोटाला कर, जेल जा, बाहर आ, फिर मंत्री.../ प्रस्तुति से खूब हंसाया और तालियां बंटी। जिस दिन मंदिर की घंटी मिल जाए अजान से.../ तथा. खामोश बस्तर हूं भाई साहब, इसीलिए पलामू में बोल रहा हूं/ कविता के माध्यम से यथार्थ को भी बखूबी रखा। उन्होंने हिन्दुस्तान अखबार का काव्य रचना के माध्यम से प्रस्तुति देते हुए कहा-हिन्दुस्तान में समाचार है, व्यापार है, विचार है, साथ ही साथ संस्कार भी है।
वरीय कवि और पेशे से चिकित्सक डा विष्णु सक्सेना ने पहले मुक्तक के माध्यम से माहौल को अपने अनुकूल बनाया। बाद में गीत के माध्यम से काव्यप्रेमियों के अंतरमन में उतरते चले गए। देर शाम में भी उन्होंने काव्यप्रेमियों को बांधेरखकर खूब तालियां बंटोरी। उन्होंने, तन और मन है पास बहुत भी, सोच-सोच में क्यों दूरी है, हम बदले तो कहा वेवफा, वो बदले तो मजबूरी है.../ रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं.../ आंख खोली तो रुक्मिणी सी लगी, बंद की आंख तो राधिका तुम लगी.../ आदि काव्य रचना को प्रस्तुत किया।
कवि स्वयं श्रीवास्तव ने यथार्थ आधारित काव्य रचनाओं को सुनाकर उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, सांसद वीडी राम आदि ने भी उन्हे खूब उत्साहित किया। उन्होंने वित्त मंत्री की पसंदीदा मुक्तक, जिस रास्ते पे चल रहे उसपर हैं छल पडे.../ दुनिया समझ रही है कि चमक गया हूं मैं, दिल ही जानता है, कितना थक गया हू मैं.../ मुझको न रोकीए न ये नजराने दीजिए, मेरा सफर अलग है, मुझे जाने दीजिए.../ गीता में कृष्ण ने अर्जुन से कहा बस यही, पहली लडाई जीतना है खुद से ही.../ जब डर पता चला, तभी ताकत पता चली.../ काव्य रचनाओं का पाठ कर वाहवाही बटोरी। कवियित्री सरिता सरोज ने, दिल की बातों को होठों पर लाना भी था, किस तरह मैं बताउं कि मेरे ख्वाबों में कोई दिवाना भी था.../ मेरा बलमा थानेदार, डराए ये हमको हर बार.../ सर छुपाने का ठिकाना चाहिए,धूप को भी शामियाना चाहिए.../ आदि रचना प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। उन्होंने काव्यगोष्ठी के आरंभ में सरस्वती वंदना भी प्रस्तुत की। काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए टीवी के कलाकार अजय अटपटू ने खूब चुटकियां ली। टेंशन छोडो हंसो हसालो रे बजाओ तालियां.../ आदि प्रस्तुति से उन्होंने महफिल को बांधकर रखा। वित्त मंत्री, सांसद, पुलिस अधीक्षक आदि का जिक्र करते हुए खूब व्यंग किया।
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