पहले रेप का आरोप फिर बताया निर्दोष,रांची में ढाई महीने से जेल में बंद शख्स को मिली बेल
मामले में मजिस्ट्रेट को अपना बयान देने के बाद वह खुद पुलिस स्टेशन गई और उन्हें बताया कि उसके द्वारा गलत मामला दर्ज किया गया है। मामला बंद कर दिया जाना चाहिए। बाद में उसे पता चला कि पुलिस ने मामला बंद नहीं किया है। लेकिन, पुलिस केस बंद नहीं करके युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

दुष्कर्म के जिस आरोप में कर्बला चौक का 22 वर्षीय युवक पिछले ढाई महीने से जेल में बंद रहा,वह निर्दोष निकला। दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली नाबालिग लड़की ने अदालत में गवाही के दौरान कहा कि पुलिस ने युवक को गलत तरीके से गिरफ्तार किया है। उसने मेरे साथ कोई गलत काम नहीं किया है। वह निर्दोष है। उसने कहा कि पुलिस जब बयान दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट के पास ले गई तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और मजिस्ट्रेट को बताया कि उसके साथ किसी ने कुछ गलत नहीं किया है। किसी के बहकावे में आकर आरोप लगाई थी।
मामले में मजिस्ट्रेट को अपना बयान देने के बाद वह खुद पुलिस स्टेशन गई और उन्हें बताया कि उसके द्वारा गलत मामला दर्ज किया गया है। मामला बंद कर दिया जाना चाहिए। बाद में उसे पता चला कि पुलिस ने मामला बंद नहीं किया है। लेकिन, पुलिस केस बंद नहीं करके युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसकी जानकारी नहीं थी। लड़की के इस बयान के बाद पोक्सो मामले के विशेष न्यायाधीश बीके श्रीवास्तव की अदालत ने ढाई महीने पुराने मामले से युवक को बरी किया।
बीते 28 फरवरी को लड़की अपने तीन साथियों के साथ ड्रामा बार एंड क्लब गई थी। जहां उसने देर रात तक पार्टी मनाई। उसके बाद अपने दोस्त आदित्य और तल्हा के साथ स्कूटी से निकली। लेकिन, रास्ते में एक्सीडेंट हो गया। इसमें आदित्य को चोट लग गई। उसका इलाज सैमफोर्ड अस्पताल में कराया। रात्रि 12 बजे तल्हा के साथ हॉस्टल के लिए निकली। हॉस्टल बंद होने के कारण होटल सिद्धि विनायक में दोनों ठहरने चले गए। शालू दीदी की सलाह पर लोअर बाजार थाने गई और पुलिस को दुष्कर्म के मामले में अपना बयान देकर मामला दर्ज कराया। उसके बाद जब पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने पुलिस को वही बयान दिया जो उसने शालू दीदी और वीर भैया के कहने पर अपने बयान में आरोप लगाया था। पुलिस ने 2 मार्च को युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बाद में गलती का एहसास हुआ।