Farmers Demand Minimum Support Price for Vegetables in Ranchi बोले रांची: हरी सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मांग रहे किसान, Ranchi Hindi News - Hindustan
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बोले रांची: हरी सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मांग रहे किसान

रांची के मांडर प्रखंड के चौरेया गांव के किसानों ने सरकार से हरी सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने की मांग की। किसानों का कहना है कि मौसम, बाजार की अनियमितता और बिचौलियों के कारण...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीSun, 20 April 2025 06:03 AM
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बोले रांची: हरी सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मांग रहे किसान

रांची, संवाददाता। रांची जिले के मांडर प्रखंड स्थित चौरेया गांव वार्ड संख्या-11 में रहने वाले 80 फीसदी लोग सीधे तौर पर खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं। लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। पूरे वर्ष सब्जियों की खेती करते हैं। प्रतिदिन तकरीबन 120-125 टन हरी सब्जियों का उत्पादन होता है। लेकिन, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा। हिन्दुस्तान का बोले रांची कार्यक्रम इन्हीं किसानों के बीच हुआ। इसमें उन्होंने अपनी समस्याएं रखीं। कहा- अक्सर मौसम, बाजार की अनियमितता और बिचौलियों की वजह से नुकसान उठाना पड़ता है। मांग रखी कि सरकार सब्जियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे, इससे उन्हें सीधा लाभ मिलेगा। उन्हें लागत मूल्य से नीचे बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी। यही हाल रांची के लगभग सभी किसानों का है।

हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में मांडर प्रखंड के चौरेया गांव के किसानों ने एक स्वर में कहा कि सरकार हरी सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करे। उनका कहना था कि जब धान, गेहूं जैसी फसलों के लिए सरकार न्यूनतम मूल्य तय करती है, तो सब्जियों के लिए ऐसा क्यों नहीं। समस्याएं रखते हुए बताया कि सब्जी उत्पादक किसानों को अक्सर मौसम, बाजार की अनियमितता और बिचौलियों की वजह से नुकसान उठाना पड़ता है। अगर सरकार सब्जियों का भी न्यूनतम मूल्य तय करे, तो इससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और उन्हें लागत मूल्य से नीचे बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी।

वहीं, किसानों ने आरोप लगाया कि बाजार में ब्रांडेड के नाम पर लोकल बीज धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर असर पड़ता है। किसानों ने कहा कि इस तरह मेहनत और लागत के बाद कम गुणवत्ता वाले बीज होने से उत्पादन न के बराबर होता है। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है। किसानों ने कहा कि ऐसे दुकानदारों और कंपनियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बीज और खाद की तरह कीटनाशक दवाओं पर भी सब्सिडी की मांग की। कहा कि इससे किसानों की लागत कम हो और वे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का इस्तेमाल कर सकें।

बोले रांची कार्यक्रम में किसानों ने स्थानीय बाजारों में दूसरे राज्यों से सब्जी लेकर आ रहे व्यापारियों पर भी नाराजगी जताई। किसानों का कहना था कि ये व्यापारी सीधे गांवों में आकर बाजार को प्रभावित करते हैं और लोकल किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। उन्होंने मांग की कि बाहरी व्यापारियों को सिर्फ रांची स्थित थोक मंडियों में ही बेचने की अनुमति दी जाए, ताकि ग्रामीण किसानों की उपज का सही मूल्य मिल सके।

किसानों ने कहा, उत्पादित सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए कोल्ड स्टोरेज का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। सरकार को प्राथमिकता के आधार पर यहां एक आधुनिक कोल्ड स्टोरेज की स्थापना करनी चाहिए, जिससे किसान अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकें और उचित समय पर बेचकर लाभ कमा सकें। कोल्ड स्टोरेज की सुविधा से किसानों को अपनी उपज को औने-पौने दामों पर बेचने की मजबूरी से मुक्ति मिलेगी।

किसानों ने कहा, स्थानीय बाजारों में दूसरे राज्यों से सब्जी लेकर आने वाले व्यापारियों के कारण स्थानीय किसानों की सब्जियां नहीं बिक पाती हैं। बड़े कारोबारी किसानों से सही वजन पर खरीदारी नहीं करते हैं, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर होना पड़ता है। किसानों की मांग है कि सरकार गेंहू, चावल की तरह हरी सब्जियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करे।

प्रतिदिन 100 टन से अधिक सब्जी एक्सपोर्ट

चौरेया गांव के किसानों ने कहा कि गांव से प्रतिदिन 100 टन से अधिक सब्जियां जिले के साथ दूसरे राज्यों में भेजी जाती हैं। यहां सालों भर सभी तरह की हरी सब्जियां उगाई जाती हैं। लेकिन, यहां के किसान बुनियादी सुविधाओं का दंश झेल रहे हैं। खेती के लिए सिचाई सबसे जरूरी है। लेकिन किसानों के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। किसानों ने मांग रखी कि सरकार अपने स्तर पर किसानों के लिए हर तीन एकड़ पर एक बोरिंग की सुविधा प्रदान करे।

कीटनाशक दवा पर सरकार दे सब्सिडी

किसानों ने बताया कि कीटनाशक दवाईयों की कीमत साल-दर साल बढ़ती जा रही है। उनके मुताबिक 25 ग्राम की दवा 800-850 रुपए में मिलती है। जबकि, छिड़काव के बाद अगले दस दिनों तक ही इसका असर रहता है। इस बीच अगर बारिश हो गई तो वह खत्म। इस प्रकार फसल तैयार होने तक कई बार दवाई का छिड़काव करना पड़ता है। जिससे लागत काफी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार जिस प्रकार बीज और खाद पर सब्सिडी देती है, उसी प्रकार कीटनाशक दवाइयों पर भी सब्सिडी दे। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होगा और वे अपनी फसलों को बीमारियों और कीटों से बेहतर ढंग से बचा सकेंगे।

नकली बीज बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत

किसानों ने कहा कि नकली और मिलावटी बीज बेचने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत है। कृषि विभाग को नियमित रूप से बाजारों में छापेमारी करनी चाहिए और ऐसे लोगों को दंडित करना चाहिए। किसानों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाने की भी जरूरत है, ताकि वे नकली बीजों की पहचान कर सकें और नुकसान से बच सकें।

सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ठोस कदम उठाए

बोले रांची कार्यक्रम में किसानों ने कहा कि सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। किसानों की मांग है कि प्रत्येक तीन एकड़ भूमि पर एक सामुदायिक बोरिंग की व्यवस्था की जाए। इससे छोटे और सीमांत किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा और वे अपनी खेती को सुचारू रूप से कर पाएंगे। सरकार को जल संरक्षण व सिंचाई की आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए।

बड़े व्यापारी मंडी में सब्जियों की तौल ठीक से नहीं करते

किसानों के मुताबिक बड़े व्यापारी मंडी में सब्जियों की तौल ठीक से नहीं करते, जिससे किसानों को सीधे नुकसान होता है। बोले रांची कार्यक्रम में कई किसानों का कहना था कि उन्हें 100 किलो के बदले 96-97 किलो का ही भुगतान किया जाता है। उनकी मांग है कि मंडी व्यवस्था में पारदर्शिता लाई जाए और डिजिटल तौल मशीनों का उपयोग अनिवार्य किया जाए। धांधली करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो।

श्रमिक ढूंढ़ना बड़ी चुनौती

हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में किसानों ने कहा कि खेती के लिए श्रमिक ढूंढ़ना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। यदि सरकार हर प्रखंड से अच्छे किसान चुनकर उन्हें मनरेगा के तहत श्रमिक मुहैया कराए तो यह परेशानी दूर होगी। इसके तहत किसान इन श्रमिकों को भुगतान भी करने को तैयार हैं। इससे किसानों को समय पर श्रमिक मिल सकेंगे और मनरेगा मजदूरों को भी रोजगार मिलेगा।

समस्याएं

1. हरी सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होने से किसानों को हो रहा नुकसान।

2. स्थानीय बाजारों में दूसरे राज्यों के व्यापारी सब्जी वाहन लेकर पहुंच जाते हैं।

3. कीटनाशक दवाईयां महंगी, लागत बढ़ रहा है। एमआरपी से वास्तविक मूल्य भी अधिक।

4. मंडियों में बड़े व्यापारी सब्जियों की तौल ठीक से नहीं करते आर्थिक नुकसान होता है।

5. ब्रांडेड के नाम पर बाजार में लोकल बीज बेचे जा रहे हैं, फसल उत्पादन प्रभावित।

सुझाव

1. गेंहू-चावल की तरह हरी सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होना चाहिए।

2. स्थानीय बाजारों में केवल स्थानीय किसानों को अपनी सब्जियां बेचने की अनुमति हो।

3. कीटनाशक दवाईयों पर सब्सिडी मिले। एमआरपी भी वास्तविक मूल्य जैसी हो।

4. मंडियों में वजन में धांधली करने वाले बड़े व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

5. नकली और मिलावटी बीज बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

बोले किसान

किसान आजाद देश में हैं, लेकिन स्थिति गुलामों जैसी है। यहां मजदूर भी अपना रेट खुद तय करते हैं। पर किसानों को यह हक भी नहीं है। ‌‌‌उनके उपज की कीमत बिचौलिए व व्यापारी तय करते हैं। स्थानीय बाजार में दूसरे राज्यों से सब्जी वाहन लेकर व्यापारियों के आने पर रोक लगे, इससे किसानों को काफी नुकसान होता है।

-नंद किशोर साहू, किसान

बूढ़ा खुखरा में चार साल से कोल्ड स्टोरेज बनकर तैयार है, पर अबतक यह शुरू नहीं हुआ है। चौरेया गांव से प्रतिदिन 120-125 टन सब्जियां जिले के साथ दूसरे राज्यों में भेजी जाती हैं। लेकिन, अबतक किसानों के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। कुएं हैं, पर जलस्तर नीचे जाने से सिंचाई का लाभ नहीं मिल पाता है।

-खुदूस अंसारी, किसान

बड़े व्यापारी मंडी में सब्जियों की तौल ठीक से नहीं करते, इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

-गौतम साहू, किसान

सब्जियों के लिए भी न्यूनतम मूल्य तय होना चाहिए। इससे किसान को नुकसान नहीं होगा। कोल्ड स्टोरेज शुरू हो।

-रमेश सिंह, किसान

कभी बेहतर फसल का उत्पादन होता है, कभी नहीं। अधिकांश समय सब्जियों पर उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान रहते हैं।

-सुरेश राम, किसान

किसानों के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। कुएं हैं, पर जलस्तर नीचे चला गया है। फसल समर्थन मूल्य पर कार्य हो।

-रामधनी राम, किसान

किसान काफी मेहनत करते हैं। खाद-बीज, पर खर्च काफी बढ़ गया है। कीटनाशक तक पर महंगाई की मार है।

-अंगनू उरांव, किसान

किसान को फसलों के लिए उचित सर्थन मूल्य मिलना चाहिए। हरी सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो।

-उमेश साहू, किसान

दूसरे राज्यों से आने वाले व्यापारियों को रांची स्थित थोक बाजारों में ही व्यापार करने के लिए निर्देशित किया जाए।

-संदीप उरांव, किसान

नकली बीज का प्रचलन बढ़ गया है। किसानों की लागत भी बढ़ गई है। मेहनत के साथ श्रम और कमाई की हानी हो रही है।

-जावेद खान, किसान

हरी सब्जियों की खरीदारी के लिए भी निर्धारित दर हो। अधिकांश समय खेती से लागत भी नहीं निकाल पाते हैं।

-दयानंद राम, किसान

सरकार हर प्रखंड से अच्छे किसान चुनकर उन्हें मनरेगा के तहत श्रमिक मुहैया कराए तो कई परेशानी दूर होगी।

-परमेश्वर कच्छप, किसान

बड़े पैमाने पर सब्जियों के उत्पाादन के बावजूद क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज नहीं है। इसकी सुविधा मिले तो नुकसान कम होगा।

-अनिल राम, किसान

खाद, बीज, कीटनाशक सभी पहले से काफी महंगे हो गए हैं। फसलों का मूल्य वही है। सब्यियों का भी न्यूनतम मूल्य तय हो।

- बलराम कुमार, किसान

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