पारसनाथ पहाड़ जैनियों की भावना के अनुसार नहीं रखे जाने पर जवाब तलब
हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा, शराब और मांस की बिक्री का प्रार्थी ने लगाया है आरोप, अतिक्रमण किए जाने की भी शिकायत, पैदल पथ पर बाइक

रांची। विशेष संवाददाता जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थल पारसनाथ पहाड़ को जैन धर्मावलंबियों की भावना के अनुसार रखे जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने महाधिवक्ता से मौखिक कहा कि किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना गंभीर मामला है। धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए।
इस संबंध में जैन धर्मावलंबियों की अहमदाबाद की संस्था ज्योत ने याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि विगत कई वर्षों से पारसनाथ पहाड़ जो जैन धर्म का धार्मिक स्थल है, वहां शराब एवं मांस की बिक्री हो रही है। अतिक्रमण भी किया जा रहा है। लोग यहां पिकनिक मनाने भी आते हैं। यहां जैन धर्मावलंबियों की पैदल यात्रा होती है। पैदल यात्रा के लिए बने मार्ग पर धड़ल्ले से बाइक चलायी जा रही है। राज्य सरकार इस पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।
राज्य सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। इस धार्मिक स्थल पर शराब एवं मांस की बिक्री होने से जैन धर्मावलंबियों की भावनाएं आहत हो रही हैं। केंद्र सरकार के वन विभाग ने 5 जनवरी 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि पारसनाथ पहाड़ी पर जो भी कार्य किया जाए, वह जैन धर्म की भावना को ध्यान में रखकर किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता डैरियस खंबाटा, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, खुशबू कटारुका ने पक्ष रखा।
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