मिडिल स्कूल के शिक्षकों के हाई स्कूल में आने पर संशय
झारखंड में हाई स्कूलों के टीजीटी और प्लस टू स्कूलों के पीजीटी पद खत्म होने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इससे मिडिल स्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति में कमी आएगी। शिक्षक संगठनों ने इस निर्णय का विरोध किया है,...

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। झारखंड में हाई स्कूलों के स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक (टीजीटी) और प्लस टू स्कूलों के स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों (पीजीटी) के पद खत्म करने का व्यापक प्रभाव पड़ेगा। हाई स्कूल और प्लस टू स्कूल के शिक्षकों का ग्रेड पे 4600 और 4800 था और वेतन में भी अंतर था, लेकिन अब समान हो गया है। इनकी जगह माध्यमिक आचार्य (4200 ग्रेड पे) होने से अब मिडिल स्कूल के शिक्षक हाई स्कूलों में जाएंगे इस पर संशय है। मिडिल स्कूल के शिक्षकों को हाई स्कूलों की नियुक्ति में 25 फीसदी पदों पर मौका मिलता था। इससे उनके ग्रेड पे में बदलाव होता था और वेतन बढ़ता था, लेकिन अब जिस वेतनमान व ग्रेड पे पर वे योगदान किये हैं वह नये नियम के अनुसार हाई स्कूलों के माध्यमिक आचार्य के समान है। वर्षों से कार्यरत होने पर वार्षिक इंक्रीमेंट होने पर वह उससे ज्यादा भी हो गया है। ऐसे में अब मिडिल स्कूल के शिक्षक हाई स्कूलों की नियुक्ति में शामिल होंगे इसके आसार कम है। वहीं, हाई और प्लस टू स्कूलों में प्रधानाध्यापक व प्राचार्य बनने को लेकर चल रही जद्दोजहत नहीं होगी।
एक स्कूल में तीन तरह के वेतन के शिक्षक
राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों की तरह अब हाई व प्लस टू स्कूल में भी दो तरह के वेतन के शिक्षक होंगे। अब तक प्रारंभिक स्कूलों में सहायक शिक्षक और सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) कार्यरत हैं। वहीं, 2400 के ग्रेड पे पर सहायक आचार्य की बहाली प्रक्रिया चल रही है। अब हाई व प्लस टू स्कूलों में माध्यमिक आचार्यों की नियुक्ति होने से एक स्कूल में तीन तरह के वेतन वाले शिक्षक हो जाएंगे। टीजीटी, पीजीटी के अलावे माध्यमिक आचार्य को अलग-अलग वेतन मिलेगा।
शिक्षक संगठनों ने किया विरोध
टीजीटी-पीजीटी की जगह माध्यमिक आचार्य करने पर शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया है। झारखंड प्लस टू शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र ठाकुर ने कहा कि संगठन ने इसे गंभीरता से लिया है। सभी जिला कमेटी को गुरुवार को शिक्षकों का ऑनलाइन मनतव्य लेने को कहा गया है। इसके बाद एक साथ जिला कमेटी और कार्यकारिणी की बैठक होगी। इस बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव रबींद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार के इस फैसला से शिक्षा बाजारवाद का शिकार हो जाएगा। राज्य में मेधावान शिक्षकों की जरूरत है। वे एजुकेशन प्रोफेशनल नहीं बनेंगे। सरकार को तत्कालीक लाभ दिख रहा है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बेहतर नहीं होंगे।
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