खरीदे गए कंबल का भुगतान अब सामाजिक सुरक्षा निदेशक भी कर सकेंगे
विवाद से बचने के लिए 'कंबल एवं वस्त्र वितरण योजना' के क्रियान्वयन में संशोधन, राज्य के गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे व्यक्तियों को दिया जाता मुफ्

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। गरीबों को ठंड से बचाने के लिए राज्य सरकार हर साल लाखों कंबल खरीद कर इसका जिलों में वितरण करती है। यह काम 'कंबल एवं वस्त्र वितरण योजना' के तहत किया जाता है। महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग अंतर्गत चल रही इस योजना में राज्य सरकार ने एक संशोधन किया है। नए संशोधन के तहत खरीदे गए कंबल का भुगतान अब सामाजिक सुरक्षा निदेशक अथवा उपायुक्त द्वारा किया जाएगा। वर्तमान में कंबल की खरीद झारखंड प्रोक्योरमेंट ऑफ गुड्स एंड सर्विस मैन्युअल के तहत निदेशक अथवा जिलों के उपायुक्त द्वारा जेम पोर्टल या ई-टेंडर के द्वारा की जाती है।
विभाग द्वारा खरीदे गए कंबल का आवंटन सभी जिलों के उपायुक्तों को किया जाता है। उसके बाद उपायुक्त द्वारा इसका भुगतान किया जाता है। अब संशोधन के बाद इसका भुगतान सामाजिक सुरक्षा निदेशक भी कर सकेंगे। बता दें कि राज्य में 16 अगस्त 2019 को कंबल एवं वस्त्र वितरण योजना का लागू किया गया। इसके तहत राज्य के गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे व्यक्तियों यथा-वृद्धों, दिव्यांगों, भूमिहीनों, बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए गए लोगों तथा भिक्षुकों को सर्दी के मौसम में ठंड से बचाने के लिए मुफ्त कंबल दिया जाता है। ................................................. क्षेत्राधिकार में टकराव से बचने के लिए लिया गया है निर्णय विभाग का मानना है कि कंबल खरीद सामाजिक सुरक्षा निदेशक द्वारा किए जाने पर भी उपायुक्त द्वारा भुगतान करने से टेंडर के इकरारनामा के पालन करने में कई तरह की विंसगति उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा इकरारनामा के अनुसार किसी प्रकार का विवाद होने पर निदेशक ही जवाबदेह होते हैं। ऐसे में निदेशक एवं जिलों के बीच क्षेत्राधिकार में टकराव की स्थिति बन सकती है। साथ ही जेम पोर्टल के नियम एवं शर्तों के अनुपालन में भी समस्या आती है। ................................................. 9.20 लाख खरीदे गए कंबल का भुगतान अभी तक नहीं विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024-25 में सामाजिक सुरक्षा निदेशालय द्वारा जेम पोर्टल के माध्यम से कुल 9,20,245 कंबलों को खरीदा गया था। उसके बाद लाभुकों के बीच इसका वितरण करने के लिए इसे जिलों को आवंटित किया गया। हालांकि उपरोक्त कारणों से खरीद गए कंबलों का भुगतान अभी तक नहीं किया गया। इसे देखते हुए अगस्त 2019 की योजना में संशोधन किया गया है।
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