पारसनाथ पहाड़ को जैन धर्मावलंबियों की भावना के अनुसार बनाए रखे जाने के मामले की सुनवाई नौ को
झारखंड हाईकोर्ट ने पारसनाथ पहाड़ को जैन धर्मावलंबियों की भावना के अनुसार रखने को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने वन विभाग से जवाब देने के लिए समय मांगा। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी। याचिका...

रांची, संवाददाता। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थल पारसनाथ पहाड़ को जैन धर्मावलंबियों की भावना के अनुसार रखे जाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वन विभाग की ओर से जवाब देने के लिए समय की मांग की गई। अदालत ने आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले में अगली सुनवाई नौ अप्रैल को निर्धारित की है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने महाधिवक्ता से मौखिक कहा कि किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना गंभीर मामला है। धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए। इस संबंध में जैन धर्मावलंबियों की अहमदाबाद की संस्था ज्योत ने याचिका दाखिल की है। याचिका में बताया गया कि विगत कई वर्षों से पारसनाथ पहाड़ जो जैन धर्म का धार्मिक स्थल है, वहां शराब एवं मांस की बिक्री हो रही है। अतिक्रमण भी किया जा रहा है। लोग यहां पिकनिक मनाने भी आते हैं। यहां जैन धर्मावलंबियों की पैदल यात्रा होती है। पैदल यात्रा के लिए बने मार्ग पर धड़ल्ले से बाइक चलाई जा रही है। राज्य सरकार इस पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। राज्य सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। इस धार्मिक स्थल पर शराब एवं मांस की बिक्री होने से जैन धर्मावलंबियों की भावनाएं आहत हो रही हैं। केंद्र सरकार के वन विभाग ने पांच जनवरी 2023 को एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि पारसनाथ पहाड़ी पर जो भी कार्य किया जाए वह जैन धर्म की भावना को ध्यान में रखकर किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
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