Ranchi Hostel Crisis 6000 Illegal Hostels Complicated Licensing Process बोले रांची: वैध हॉस्टल के भी रिन्यूअल और रजिस्ट्रेशन में परेशानी, Ranchi Hindi News - Hindustan
Hindi NewsJharkhand NewsRanchi NewsRanchi Hostel Crisis 6000 Illegal Hostels Complicated Licensing Process

बोले रांची: वैध हॉस्टल के भी रिन्यूअल और रजिस्ट्रेशन में परेशानी

रांची में हर साल लगभग 50 हजार विद्यार्थी पढ़ाई के लिए आते हैं, लेकिन यहाँ हॉस्टल की व्यवस्था अव्यवस्थित है। 367 रजिस्टर्ड हॉस्टल के मुकाबले 6000 से अधिक हॉस्टल अवैध रूप से चल रहे हैं। हॉस्टल ऑनर्स...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीWed, 21 May 2025 09:52 PM
share Share
Follow Us on
बोले रांची: वैध हॉस्टल के भी रिन्यूअल और रजिस्ट्रेशन में परेशानी

रांची, संवाददाता। राजधानी रांची में हर साल करीब 50 हजार विद्यार्थी पढ़ाई या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। इन विद्यार्थियों के लिए आवास की सबसे बड़ी व्यवस्था हॉस्टल के रूप में होती है। लेकिन, यह व्यवस्था आज खुद अव्यवस्था की शिकार है। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में हॉस्टल ऑनर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रांची में मात्र 367 हॉस्टल ही रजिस्टर्ड हैं। जबकि, वास्तविक में इनकी संख्या इससे कई गुना अधिक है। अनुमान है कि छह हजार से अधिक हॉस्टल बिना किसी वैध लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं। रांची के हॉस्टल ऑनर्स एसोसिएशन ने हिन्दुस्तान अखबार के बोले रांची कार्यक्रम में वैध और अवैध हॉस्टल की स्थिति को लेकर आवाज उठाई है।

उनका कहना है कि जो वैध हॉस्टल हैं, उन्हें भी रिन्यूअल और रजिस्ट्रेशन में परेशानी होती है। हॉस्टल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया न केवल जटिल है, बल्कि अव्यावहारिक भी है। हर साल लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए पूरे दस्तावेज और नक्शा फिर से जमा करना पड़ता है। कई बार इन कागजातों को हासिल करने में महीनों लग जाते हैं। इससे छोटे और मझोले हॉस्टल संचालक हतोत्साहित हो जाते हैं और अवैध संचालन की ओर बढ़ते हैं। एक और बड़ी समस्या हॉस्टलों से कचरा उठाव को लेकर है। नगर निगम तय शुल्क लेता है, लेकिन नियमित रूप से कचरा का उठाव नहीं किया जाता है। इससे छात्रों को गंदगी और दुर्गंध से गुजरना पड़ता है। इसके बावजूद निगम की ओर से कार्रवाई नहीं होती। तीन से पांच वर्ष के लिए लाइसेंस दिए जाएं हॉस्टल ऑनर्स का यह भी कहना है कि छोटे हॉस्टलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। दस बेड से कम वाले हॉस्टल बिना किसी नियम के चल रहे हैं, जिससे सुरक्षा, साफ-सफाई और प्रशासनिक नियंत्रण की स्थिति बिगड़ती जा रही है। लाइसेंस सिस्टम की अव्यवस्था भी बड़ा कारण है। फिलहाल एक साल के लिए ही रजिस्ट्रेशन जारी होता है। हर बार इसे रिन्यू करवाना होता है, जिसमें बार-बार एक ही प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है। इससे समय और पैसे की बर्बादी होती है। एसोसिएशन की मांग है कि रजिस्ट्रेशन की अवधि तीन से पांच वर्षों के लिए कर दी जाए और प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया जाए। उनका मानना है कि अगर नियमों को सरल और स्पष्ट किया जाए तो अधिकांश ऑनर्स रजिस्ट्रेशन कराने को तैयार हैं। एक मानक तय कर छोटे हॉस्टल के संचालन की अनुमति दें: हॉस्टल ऑनर्स एसोसिएशन ने यह भी सुझाव दिया है कि दस बेड से कम वाले सभी हॉस्टलों पर रोक लगे या उन्हें एक निश्चित मानक के अनुसार संचालन की अनुमति दी जाए। सरकार और प्रशासन के लिए यह वक्त है कि वह इस गड़बड़ व्यवस्था को सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए। छात्रों की सुरक्षा, स्वच्छता और सुविधा को प्राथमिकता देने की जरूरत है, ताकि रांची एक आदर्श शैक्षणिक शहर बन सके। सिर्फ एक साल का लाइसेंस, हर बार नई परेशानी रांची में हॉस्टल रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक साल के लिए होता है। इसके बाद हर साल नए सिरे से आवेदन देना होता है, जिसमें वही दस्तावेज बार-बार जमा करने पड़ते हैं। इसमें नक्शा, अग्निशमन प्रमाण पत्र, भवन सुरक्षा रिपोर्ट जैसे कई पेपर शामिल हैं। यह प्रक्रिया न सिर्फ लंबी होती है, बल्कि कई बार इसमें भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आती हैं। इससे छोटे हॉस्टल ऑनर्स बार-बार रजिस्ट्रेशन कराने से कतराते हैं। एसोसिएशन की मांग है कि रजिस्ट्रेशन तीन से पांच साल की अवधि के लिए हो। रांची में हर साल करीब 50 हजार विद्यार्थी पढ़ाई या तैयारी के लिए आते हैं। उनमें से अधिकतर बच्चे अवैध हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं । जिससे वैध हॉस्टल संचालाकों को नुकसान होता है। कचरा उठाव शुल्क तो लिया, लेकिन साफ-सफाई नहीं होती हॉस्टल ऑनर्स का कहना है कि नगर निगम कचरा उठाने के लिए प्रति हॉस्टल शुल्क लेता है, लेकिन हकीकत यह है कि कई इलाकों में हफ्तों तक कचरा नहीं उठाया जाता। इससे स्वास्थ्य संकट पैदा हो जाता है। छात्र-छात्राओं को गंदगी, दुर्गंध और बीमारियों का सामना करना पड़ता है। एसोसिएशन की मांग है कि या तो कचरा उठाव नियमित किया जाए या शुल्क वसूली बंद की जाए। समस्याएं 1. निगम सिर्फ एक साल के लिए जारी करता है हॉस्टल का लाइसेंस 2. कचरा उठाव का पैसा लेने के बाद भी नहीं होता नियमित कचरे का उठाव 3. रांची में छह हजार से अधिक लॉज और हॉस्टल अवैध रूप से संचालित 4. दस बेड से कम संख्या वाले हॉस्टल बढ़ा रहे हैं वैध हॉस्टल संचालकों की परेशानी 5. रजिस्ट्रेशन के लिए हर साल देना पड़ता है कागज और नक्शा, जिससे होती है परेशानी सुझाव 1. तीन से पांच साल तक के लिए जारी किया जाए हॉस्टल का रजिस्ट्रेशन 2. नियमित तौर पर हास्टर से हो कचरे का उठाव, तय रकम ही वसूला जाए 3. दस बेड से कम के हॉस्टल को निगम की ओर से बंद कराया जाए 4. रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल करे सरकार, जिससे हॉस्टल का रजिस्ट्रेशन बढ़े 5. सभी हॉस्टल के लिए बने नियम कानून, दस बजे के बाद कोई बाहर न रहे बोले लोग हमसे हॉस्टल के लाइसेंस के अलावा ट्रेड टैक्स भी मांगा जा रहा है। हम जो भी लीगल टैक्स है भरेंगे, लेकिन ट्रेड टैक्स नहीं भरेंगे। अवैध रूप से चल रहे हॉस्टलों को हटाया जाए, जिसकी वजह से हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों को निश्चित समय से आने और जाने पर कड़ाई बरती जाए, ताकि कोई भी बड़ी घटना का शिकार न हो। -हेमंत दास हम अवैध रूप से चल रहे हॉस्टलों से परेशान हैं, जिसका विरोध करके हम थक चुके हैं, एक जो अवैध रूप से हॉस्टल चला रहे हैं, उनको दिक्कत नहीं हो रही। इधर, हमसे कॉमर्शियल रेंट भी लिया जाता है। हम चाहते हैं लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया में सुधार हो। साथ ही एक बार में 3 सालों का लाइसेंस बने, ताकि हमें हर साल नवीनीकरण की झंझटों से निवारण मिले। -राजेश सिन्हा हर साल लाइसेंस रिन्यूअल कराना पड़ता है, जिसकी प्रक्रिया बहुत लंबी और मुश्किल होता है। प्रक्रिया को थोड़ा आसान करें। -सतीश पांडेय हमसे बेवजह हर बार ट्रेड टैक्स मांगा जाता है। हम 20-25 साल से यहां हर टैक्स भरते हैं, लेकिन हम ट्रेड टैक्स को मंजूरी नहीं देते हैं। -बिनोद साव लाइसेंस नवीकरण ऑनलाइन नहीं होता है। ऑफलाइन प्रोसेसिंग बहुत लंबा होता है। होल्डिंग टैक्स भी पहले से अधिक बढ़ गया है। -दीपक कुमार लाइसेंस रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया न सिर्फ लंबी होता है, बल्कि कई बार इसमें भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आती हैं। -बलजीत सिंह बिजली, पानी, मेंटेनेंस सबका रेंट भरते हैं, लेकिन हमारे हॉस्टलों में बच्चे नहीं आते। क्योंकि, कम रेंट में अवैध रूप से हॉस्टल चल रहे हैं। -अजय कुमार शहर में नई-नई बिल्डिंग और घरों के मालिक बिना किसी लाइसेंस के हॉस्टल चला रहे हैं, जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। -संजीव रंजन फिलहाल एक साल के लिए ही रजिस्ट्रेशन जारी होता है। हर बार इसे रिन्यू करवाना होता है, जिसमें बार-बार एक ही प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है। -बालकृष्ण साव हॉस्टलों में बाहर के खानों पर लगाम लगाया जाए, ताकि हम भारी नुकसान से बच सकें। हमें भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। -अजय गुप्ता बिना रजिस्टर हॉस्टल हैं। वे बच्चों को सुविधाएं भी ढंग की नहीं देते। सुविधाओं में निगम सुधार करे और बच्चों को सही सुविधा उपलब्ध कराए। -कुलदीप सिंह नगर निगम तय शुल्क लेता है, लेकिन नियमित रूप से कचरा नहीं उठाया जाता। इससे छात्रों को गंदगी और दुर्गंध से गुजरना पड़ता है। -जितेंद्र गुप्ता जिनके पास लाइसेंस नहीं हैं, उनकों हॉस्टलों को बंद कराना चाहिए। फ्लैट मालिक फ्लैट में बिना लाइसेंस बच्चों को रख लेते हैं । -अजय कुमार

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।