Christian Cemeteries Struggle for Survival in Sahibganj Amid Neglect and Theft उपेक्षा से अस्तित्व खोता जा रहा ब्रिटिशकालीन ईसाई कब्रिस्तान, Sahibganj Hindi News - Hindustan
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उपेक्षा से अस्तित्व खोता जा रहा ब्रिटिशकालीन ईसाई कब्रिस्तान

साहिबगंज शहर में इसाईयों के कब्रिस्तान अपनी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रशासनिक उपेक्षा के कारण ये कब्रिस्तान जंगल में तब्दील हो गए हैं। यहां चोरी और गंदगी के कारण स्थिति गंभीर हो गई है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, साहिबगंजSat, 19 April 2025 12:51 AM
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उपेक्षा से अस्तित्व खोता जा रहा ब्रिटिशकालीन ईसाई कब्रिस्तान

साहिबगंज। साहिबगंज शहर में इसाईयों के कई कब्रिस्तान इस समय अपना वजूद बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। प्रशासनिक संरक्षण व उपेक्षा के कारण शहर के ईसाई कब्रिस्तान जंगल व सांपों का बेसरा बन गया है। दरअसल, शहर में दो दो ईसाई कब्रिस्तान हैं। एक पश्चिमी रेलवे क्रॉसिंग के पास अंजुमननगर से सटे क्षेत्र में एवं दूसरा नार्थ कॉलोनी चर्च रोड में रेलवे के पावर हाउस के पास। पश्चिमी फाटक के पास वाला कब्रिस्तान सबसे पुराना है। रेलवे परिसर का कब्रिस्तान इससे बाद का बताया जाता है। कुछ साल पहले तक यहां कई ब्रिटिश शासक व उनके परिजनों का कब्र मौजूद थे। कई कब्र संगमरमर , बेशकीमती पत्थर, तांबा, पीतल आदि से डिजाइन बने थे। यहां सबसे पुराना कब्र 1832 का था। इस कब्रिस्तान में 203-04 तक ईसाई समाज के लोग शव को दफनाने आते थे। हालांकि बीते करीब दो दशक से यहां पर शव दफनाने से सभी लोग परहेज करने लगे हैं। चोरों ने यहां के पक्के कब्र को खोद कर उसकी ईंटे निकाल ली है। कब्र पर लगे संगमरमर उखाड़ ले गए हैं। कब्रों पर लगे विभिन्न पत्थर, धातु आदि के क्रुस को भी चोरी कर ली है। अब आसपास के लोग इस स्थान का उपयोग कचरा फेंकने, गंदगी करने में करते हैं। जरुरत है ऐतिहासिक महत्व के इस ईसाई कब्रिस्तानको संरक्षित-सुरक्षित रखने की।

धरमपुर कब्रिस्तान में है करीब 120 साल पुराना कब्र

पतना। धरमपुर कब्रिस्तान में करीब 120 साल पुराना कब्र मौजूद है। ईस्टर संडे को लेकर ईसाई कब्रिस्तान की साफ-सफाई का काम पूरा हो चुका है। दरअसल, प्रखंड के धरमपुर स्थित सीएनआई चर्च का स्थापना पादरी डिप्टी कॉल ने 1880 में की थी। शुरुआत में चर्च को जुबली गिरजाघर के नाम से जाना जाता था, इसके बाद चर्च को नॉर्थ ऑफ इंडिया नाम से जाना जाने लगा। चर्च के दक्षिणी भाग में ईसाई कब्रिस्तान स्थित है। इस कब्रिस्तान में करीब 120 साल पुराना कब्र मौजूद है। यहां कई विदेशी ईसाई मिशनरियों के भी कब्र हैं। कब्रिस्तान में 3 मई 1903 में दफनाया गया सबसे पूराना कब्र जोय नारायण का है । पूराना कब्र में हेब्बार्लटन मैथ्यू 21 फरवरी 1918 व 23 नवम्बर 1918 को इडिथ जॉन टिलोट नामक एक बच्चे का कब्र शामिल हैं।

प्रभु यीशु पुनरूत्थान का प्रतीक है ईस्टर

मसीह विश्वासियों के अनुसार ईस्टर संडे प्रभु यीशु मसीह के पुनरूत्थान की खुशी में मनाया जाता है। उनके पुनरूत्थान की याद में मसीह विश्वासी अपने अपने पूर्वजों के कब्रों की सफाई कर उनके सम्मान में प्रार्थना करते हैं ।

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