DIG fined Rs 5 lakh for giving wrong information in murder case in MP क्या ऐसे अफसर विभाग में रहने योग्य; हत्या मामले में गुमराह करने पर भड़का कोर्ट, 5 लाख का जुर्माना ठोंका, Madhya-pradesh Hindi News - Hindustan
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क्या ऐसे अफसर विभाग में रहने योग्य; हत्या मामले में गुमराह करने पर भड़का कोर्ट, 5 लाख का जुर्माना ठोंका

  • जांच में यह तथ्य सामने आया कि 17 सितंबर 2018 को रिकॉर्ड सुरक्षित रखने संबंधी जानकारी SP को भेज दी गई थी, फिर भी कोर्ट को गलत जानकारी दी गई। जिसके बाद HC ने DGP से पूछा कि क्या ऐसे अधिकारी विभाग में बने रहने योग्य हैं?

Sourabh Jain लाइव हिन्दुस्तान, ग्वालियर, मध्य प्रदेशThu, 17 April 2025 05:12 PM
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क्या ऐसे अफसर विभाग में रहने योग्य; हत्या मामले में गुमराह करने पर भड़का कोर्ट, 5 लाख का जुर्माना ठोंका

ग्वालियर के एक हत्या केस में कॉल डिटेल रिकॉर्ड और मोबाइल लोकेशन से जुड़ी जानकारी छुपाने पर हाई कोर्ट ने भोपाल के डीआईजी मयंक अवस्थी को कड़ी फटकार लगाते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच और अवमानना की कार्रवाई के आदेश दिए हैं। मामला तब का हैं जब वे एसपी दतिया थे।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने माना कि दतिया में पदस्थ रहते हुए उन्होंने ट्रायल कोर्ट को झूठी जानकारी दी कि हत्या के मामले से जुडी कॉल डिटेल के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखा गया है, जबकि बाद में पुलिस ने बताया कि वह डेटा सहेजना ही भूल गई। केस के आरोपी मानवेंद्र सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए दावा किया कि पुलिस ने उसे इस मामले में झूठा फंसाया है और जरूरी मोबाइल डेटा नष्ट कर दिया गया।

इस मामले की हुई जांच में तथ्य सामने आया कि 17 सितंबर 2018 को रिकॉर्ड सुरक्षित रखने संबंधी जानकारी एसपी को भेज दी गई थी, फिर भी कोर्ट को गलत जानकारी दी गई। जिसके बाद हाई कोर्ट ने डीजीपी से पूछा कि क्या ऐसे अधिकारी विभाग में बने रहने योग्य हैं और उन्हें फील्ड पोस्टिंग दी जा सकती है?

कोर्ट ने इस मामले को लेकर डीआईजी को 5 लाख रुपए क्षतिपूर्ति जमा करने का आदेश भी दिया है। इस आदेश के बाद डीआईंजी मयंक अवस्थी की मुसीबतें बढ़ गई हैं क्योंकि हाई कोर्ट ने ना केवल उनके खिलाफ डिपार्टमेंटल जांच करने का आदेश दिया है, बल्कि साथ कोर्ट की अवमानना का केस चलाने का आदेश भी जारी हो गया। इसके साथ ही फील्ड में उनकी पोस्टिंग को लेकर उनकी योग्यता पर भी सवाल उठाते हुए तल्ख टिप्पणियां की गई हैं।

कुछ समय पहले हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दीपार थाने के तत्कालीन प्रभारी को भी कोर्ट में तलब किया, लेकिन वे भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इस पर कोर्ट ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी और तत्कालीन थाना प्रभारी यतेन्द्र सिंह भदौरिया से जवाब मांगा था। इसके बाद 4 अप्रैल को इस मामले में बहस के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।कोर्ट ने डीआईजी को आदेश का एक महीने के भीतर पालन कराने के निर्देश दिए हैं।

रिपोर्ट- अमित कुमार

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