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MP में बढ़ेगी चीतों की संख्या, जानिए अगले महीने किस अफ्रीकी देश से आएंगे कितने चीते

  • ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत चीतों को अब गांधी सागर अभयारण्य में भी चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित किया जाएगा। गांधी सागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है, इसलिए दोनों राज्यों के बीच इंटर स्टेट चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक समझौता किया गया है।

Sourabh Jain भाषा, भोपाल, मध्य प्रदेशSat, 19 April 2025 03:00 PM
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MP में बढ़ेगी चीतों की संख्या, जानिए अगले महीने किस अफ्रीकी देश से आएंगे कितने चीते

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चीता परियोजना की समीक्षा के लिए शुक्रवार को एक बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिण अफ्रीकी देश बोत्सवाना से आठ चीतों को दो चरणों में भारत लाया जाएगा। इनमें से चार तो अगले महीने यानी मई में ही आएंगे। इस बैठक में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद रहे।

इस बारे में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में NTCA के अधिकारियों के हवाले से कहा गया, ‘दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और केन्या से ज्यादा चीतों को भारत लाने की कोशिशें जारी हैं। आठ चीतों को दो चरणों में भारत लाया जाएगा। मई 2025 तक बोत्सवाना से चार चीतों को भारत लाने की योजना है। इसके बाद चार और चीतों को लाया जाएगा। वर्तमान में, भारत और केन्या के बीच एक समझौते पर सहमति बनायी जा रही है।’

बैठक में NTCA के अधिकारियों ने बताया कि देश में चीता परियोजना पर अब तक 112 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत मध्यप्रदेश में चीता पुनर्वास में खर्च किया गया है। इस समीक्षा बैठक में यह भी बताया गया कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत चीतों को अब गांधी सागर अभयारण्य में भी चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित किया जाएगा। गांधी सागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है, इसलिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच अंतरराज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक समझौता किया गया है।

भोपाल निवास स्थित समत्व भवन में मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रोजेक्ट चीता की समीक्षा बैठक ली।

वर्तमान में ‘चीता मित्रों’ की क्षमता बढ़ाने के लिये उन्हें कूनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभयारण्य में विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बैठक में वन अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में 26 चीते हैं, जिनमें से 16 खुले जंगल में और 10 पुनर्वास केंद्र (बाड़ों) में हैं।

अधिकारियों ने कहा कि चीतों की निगरानी के लिए ‘सैटेलाइट कॉलर आईडी’ का उपयोग करके 24 घंटे निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि मादा चीता ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा ने शावकों को जन्म दिया है। इतना ही नहीं, KNP में पर्यटकों की संख्या दो साल में दोगुनी हो गई है।

अधिकारियों ने कहा, ‘राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कूनो में चीता सफारी शुरू करने की अनुमति मांगी है। वन क्षेत्रों या ईको सेंसिटिव जोन में सफारी शुरू करने के लिए यह अनुमति जरूरी है। इस याचिका पर फैसला होना बाकी है।’

अधिकारियों के मुताबिक पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को 17 सितंबर, 2022 को केएनपी में छोड़ा गया था। उनके मुताबिक फरवरी 2023 में, 12 और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में, KNP में 26 चीते हैं, जिनमें भारत में जन्मे 14 शावक शामिल हैं।

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