एक हिंदू ने लिखा था पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान? केंद्रीय मंत्री ने बताया सच
- Pakistan: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान एक हिंदू ने लिखा था। हालांकि इसके बाद उसे बदल दिया गया। एक हिंदू से राष्ट्रगान लिखवाने का फैसला जिन्ना का ही था।

भारत और पाकिस्तान के विभाजन को लेकर कई तरह की ऐसी कहानियां और किस्से मिल जाते हैं जो लोगों को आश्चर्य में डाल देते हैं। ऐसा ही एक किस्से को बताते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को जब आजादी मिली थी तब उस वक्त उसका पहला राष्ट्रगान जगन्नाथ आजाद नामक एक हिंदू ने लिखा था। पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने ही आजाद के नाम पर हामी भरी थी।
न्यूज 18 के एक कार्यक्रम में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस बात के बारे में इतिहास और आज भी ज्यादा चर्चा नहीं होती है लेकिन यह सच है। 14 अगस्त 1947 को जब पाकिस्तान को आजादी मिलनी थी.. तो उसका राष्ट्रगान लिखे जाने के लिए एक पैनल बनाया गया था। उस पैनल में जगन्नाथ आजाद भी शामिल थे। इस पैनल में एक हिन्दू का नाम देखकर जिन्ना ने फैसला किया कि एक हिंदू के जरिए अगर पाकिस्तान का राष्ट्रगान लिखा जाएगा तो यह एक बेहतर संदेश देगा।
सिंह ने कहा कि इसके बाद यह राष्ट्रगान गाया गया। आजाद के इस गीत की शु्रुआत “सर ज़मीन-ए पाकिस्तान” से थी। यह पूरा गाना मातृभूमि को समर्पित था। हालांकि बाद में इसमें बदलाव कर दिया गया और फिर आजकल जो पाकिस्तान का राष्ट्रगान है वह हाफिज जालंधरी ने लिखा है।
कौन थे जगन्नाथ आजाद?
पंजाब के ईसा खेल में जन्मे जगन्नाथ आजाद एक प्रमुख उर्दू कवि और अल्लामा इकबाल की रचनाओं के विद्वान थे। जिन्ना ने नए पाकिस्तान में हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए उन्हें पाकिस्तान में बुलाकर गीत लिखने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक आजाद ने पांच दिनों के भीतर यह गाना तैयार किया और उसे तुरंत ही मंजूरी भी मिल गई। बाद में इसे पाकिस्तान रेडियो पर प्रसारित किया गया।
आजाद ने भी अपने कई इंटरव्यू में इस बात को स्वीकार किया था। हालांकि कई लेखों में इस बात का यह कहते हुए खंडन किया गया है कि इसका कोई दस्तावेज नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने आजाद के विभाजन के समय में अनुभवों को भी साझा करते हुए कहा,"आजाद बाद में अपने अनुभवों में यह भी कहते थे कि जिस समय उनका लिखा हुआ राष्ट्रगान वहां रेडियो पर बज रहा होता था उसी समय वह अपने भागने की तैयारी कर रहे थे। आजाद ने लिखा कि उनके कुछ मुस्लिम पड़ोसी वहां पर आते हैं औऱ उसके बाद कहते हैं कि सर आपका गाना यहां बज रहा है... यह बहुत सम्मान की बात है लेकिन हमें डर है कि यहां चल रहे दंगों की वजह से आपको कुछ हो सकता है.. और शायद ही हम आपको बचा पाएं।
इसके बाद आजाद भारत आ गए।