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नीला गमछा और आम्बेडकरवाद की बातें; क्यों इतने बदले नजर आए अखिलेश, क्या है संदेश

अखिलेश ने आज ना सिर्फ नीला गमछा गले में डाला बल्कि आंबेडकरवाद पर लंबी बातें कर ये संदेश देने की कोशिश की कि वह बाबा साहब का सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को PDA के कल्याण के लिए लागू करना चाहते हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 14 April 2025 08:39 PM
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नीला गमछा और आम्बेडकरवाद की बातें; क्यों इतने बदले नजर आए अखिलेश, क्या है संदेश

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज (सोमवार, 14 अप्रैल को) संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर बदले-बदले नजर आए। इस दौरान वह गले में नीला गमछा डाले और सिर पर लाल टोपी पहने नजर आए। उन्होंने आम्बेडकरवाद पर भी लंबी-चौड़ी बातें की। बाद में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर भी एक लंबी पोस्ट की, जिसमें उन्होंने न सिर्फ बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की जयंती के पावन अवसर पर सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी बल्कि उनके विचारों को साझा किया और कहा कि अब समय आ गया है कि सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए संकल्प लिया जाए।

उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘‘आइए, ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना के लिए अपने ‘स्वाभिमान-स्वमान’ की अनुभूति को और सुदृढ़ करके, एकजुट होकर बाबासाहेब की देन व धरोहर ‘संविधान और आरक्षण’ बचाने के ‘पीडीए’ के आंदोलन को नयी ताकत प्रदान करें व दोहराएं कि ‘संविधान ही संजीवनी’ है और ‘संविधान ही ढाल है’ और ये भी कि जब तक संविधान सुरक्षित रहेगा, तब तक हम सबका मान-सम्मान-स्वाभिमान और अधिकार सुरक्षित रहेगा।’’

‘पीडीए’ की एकजुटता ही सुनहरा भविष्य

उन्होंने आगे कहा, ‘‘आइए, ‘स्वमान’ के तहत हम अपने सौहार्दपूर्ण, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतांत्रिक मानक और मूल्यों के साथ ही अपनी ‘स्वयं की एकता’ के मूल्य को समझकर, इस ‘पीडीए’ रूपी एकजुटता की परिवर्तनकारी शक्ति का भी मान समझें।’’ यादव ने कहा, ‘स्वाभिमान-स्वमान’ के माध्यम से ही ‘पीडीए’ समाज के लोग अपनी निर्णायक शक्ति हासिल करके उत्पीड़न, अत्याचार और पीड़ा से मुक्त होकर, स्वाभिमान से जीने का हक और अधिकार हासिल कर पाएंगे और दमनकारी, उत्पीड़नकारी, वर्चस्ववादी, प्रभुत्ववादी, शक्तिकामी नकारात्मक ताक़तों को सांविधानिक जवाब दे पाएंगे।’’ सपा नेता ने कहा कि ‘पीडीए’ की एकता ही संविधान और आरक्षण बचाएगी, ‘पीडीए’ की एकजुटता ही सुनहरा भविष्य बनाएगी। आइए अपने ‘स्वाभिमान-स्वमान’ के इस संघर्ष को समारोह में बदल दें।

अखिलेश का क्या संदेश

दरअसल, 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। अपने MY समीकरण से आगे निकलते हुए अखिलेश यादव अब PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों की एकजुटता का वकालत करते रहे हैं। उन्हें भी इस बात का एहसास है कि कि अगर सत्ता पानी है तो सिर्फ MY समीकरण से यह संभव नहीं हो सकता। इसलिए दलितों को साथ लेना होगा। इसी मकसद से अखिलेश ने आज ना सिर्फ नीला गमछा गले में डाला बल्कि आंबेडकरवाद पर लंबी बातें कर ये संदेश देने की कोशिश की कि वह बाबा साहब का सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को PDA के कल्याण के लिए लागू करना चाहते हैं। उन्होंने लिखा, सामाजिक न्याय के राज की स्थापना के लिए सबसे पहली शर्त ये है कि :

- सबको एकजुट होकर स्वयं संविधान का सम्मान करते हुए, उसे उसके मूल मूल्यों और भावना के साथ लागू करने के लिए ‘पीडीए’ समाज को अपनी एकता की शक्ति दिखाते हुए, सत्ता पर भी हर तरह से शांतिपूर्ण दबाव डालना होगा।

- हम सबको मिलकर सामाजिक सुधार के लिए काम करना होगा और सामाजिक ग़ैर बराबरी व असमानता को दूर करने की शुरुआत अपने-अपने स्तर पर करनी होगी। हमें पढ़ाई-लिखाई के महत्व को समझना होगा और अपने ‘पीडीए’ समाज को लगातार आंतरिक संपर्क और संदेश के माध्यम से और भी अधिक जागरूक बनाना होगा। जिससे हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकर और भी सतर्क, सचेत व सजग हो सकें।

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- इसके लिए हमें अपने ‘पीडीए’ समाज को क़ानूनी कवच भी देना होगा। जो सक्षम, समर्थ नहीं हैं, उनके साथ हर थाने-कचहरी में खड़े होकर उनके हौसले को बढ़ाना होगा। जब उत्पीड़नकारियों को लगेगा कि 90% ‘पीडीए’ समाज सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर उनका विरोध कर सकता है तो वो अत्याचार करने से पहले सौ बार सोचेंगे।

बाबा साहब के आदर्श लागू करवाने होंगे: अखिलेश

आज के समय में ‘सामाजिक न्याय के राज’ की आवश्यकता और भी अधिक है क्योंकि हमें अब वर्चस्ववादियों के अन्याय और पक्षपातपूर्ण राज में और भी ज़्यादा सामाजिक असमानता, अन्याय-अत्याचार, अपमान, बेइज़्ज़ती और ज़लालत का सामना करना पड़ रहा है। हमें संविधान में दिये गये बाबासाहेब के विचारों और आदर्शों को और भी ताक़त से लागू करवाना होगा और ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना के लिए संकल्प उठाकर काम करना ही होगा, तभी नाइंसाफ़ी और ज़ुल्म का ये दौर नेस्तनाबूद होगा और ‘पीडीए’ के ‘स्वाभिमान-स्वमान’ का नया सवेरा आयेगा। हमें अपना भविष्य ख़ुद बनाना होगा। ‘सामाजिक न्याय का राज’ ही हम सबके मतलब ‘पीडीए समाज’ के सुनहरे भविष्य की गारंटी है। (भाषा इनपुट्स के साथ)