वंदे भारत ट्रेन के इस रूट पर नॉन-वेज ब्रेकफास्ट बंद, यात्रियों में गुस्सा; IRCTC खामोश
चेन्नई की वंदे भारत ट्रेनों से नॉन-वेज नाश्ता हटा दिया गया है, जिससे यात्रियों में नाराजगी है। IRCTC और रेलवे की ओर से कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, जिससे भोजन विकल्पों और गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।

चेन्नई से नागरकोइल, मैसूर, बेंगलुरु और तिरुनेलवेली को जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में नॉन-वेज नाश्ते के विकल्प को चुपके से हटा दिया गया है, जिसके कारण यात्रियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। यात्रियों का कहना है कि उन्हें इस फैसले की जानकारी न तो दक्षिण रेलवे से मिली और न ही कैटरिंग एजेंसी ने कोई सूचना दी।
IRCTC ऐप पर टिकट बुकिंग के समय अब एक पॉपअप संदेश दिखता है- “नॉन-वेज विकल्प केवल लंच और डिनर के लिए उपलब्ध है।” यह सूचना यात्रियों की पर्सनल डिटेल और खाने की पसंद चुनने के बाद आती है। जब इस बारे में दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक आर.एन. सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, रेलवे के अन्य अधिकारियों ने इसे IRCTC ऐप की तकनीकी खामी बताया और कहा कि बुकिंग के समय नॉन-वेज विकल्प उपलब्ध होना चाहिए। लेकिन यात्री कह रहे हैं कि ट्रेन में असलियत कुछ और ही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई-नागरकोइल वंदे भारत एक्सप्रेस से शुक्रवार को यात्रा करने वाले डेविड मनोहर ने कहा, “बुकिंग के दौरान हमने पॉपअप देखा, लेकिन फिर भी बुक कर लिया। ट्रेन में हमें केवल शाकाहारी खाना ही परोसा गया। जब मैंने एक्स पर IRCTC से सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया कि नॉन-वेज विकल्प सिर्फ शाम की चाय के लिए उपलब्ध नहीं है। लेकिन बाद में वह पोस्ट डिलीट कर दी गई।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे शाकाहारी और मांसाहारी खाने में से चुनने का अधिकार है। IRCTC इसे बिना सूचना दिए रोक नहीं सकता।”
वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में कैटरिंग सेवा की जिम्मेदारी संभालने वाली सरकारी इकाई IRCTC की ओर से अब तक कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है। गौरतलब है कि इन ट्रेनों में खाने की कीमत पहले से ही किराए में शामिल होती है, लेकिन अब यात्री गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य यात्री मुरलीधरन ने कहा, “ट्रेन लॉन्च के समय फीडबैक फॉर्म दिया गया था। लेकिन अब शिकायत करने पर कोई जवाब नहीं मिलता। दाल बहुत पतली होती है, रोटियां बुज़ुर्ग यात्रियों के लिए बहुत सख्त होती हैं और चावल की मात्रा भी कम होती है। हमें पेट भरने लायक खाना ही नहीं मिलता।”
एक अन्य यात्री ने शिकायत की कि मेनू में उत्तर भारतीय व्यंजन ही ज्यादा होते हैं। उन्होंने कहा, “स्वाद हमारे इलाके के मुताबिक नहीं होता। कई यात्री तो खाना हाथ भी नहीं लगाते।” यात्रियों की ये नाराजगी अब सोशल मीडिया पर भी झलकने लगी है, लेकिन IRCTC और रेलवे प्रशासन की चुप्पी से असंतोष और बढ़ता जा रहा है। यात्रियों की मांग है कि इस मुद्दे पर जल्द से जल्द स्पष्टता लाई जाए और क्षेत्रीय स्वाद तथा विकल्पों का ध्यान रखते हुए मेनू में बदलाव किया जाए।