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साल 2000 से चली आ रही प्रक्रिया को किया नजरअंदाज, जम्मू-कश्मीर पुलिस से कहां हुई चूक?

20 मार्च 2000 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के चित्तिसिंहपुरा गांव में हुए नरसंहार में 35 सिख पुरुषों की निर्मम हत्या कर दी गई थी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, श्रीनगरThu, 24 April 2025 09:13 AM
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साल 2000 से चली आ रही प्रक्रिया को किया नजरअंदाज, जम्मू-कश्मीर पुलिस से कहां हुई चूक?

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद संभावित इलाकों का जोखिम मूल्यांकन न करना जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक बड़ी चूक के रूप में देखा जा रहा है। यह मैपिंग हर बार किसी बड़े विदेशी नेता की यात्रा से पहले एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत की जाती रही है। इस प्रक्रिया को खासतौर से साल 2000 के चित्तिसिंहपुरा नरसंहार के बाद से अपनाया जा रहा है।

क्या था चित्तिसिंहपुरा नरसंहार?

20 मार्च 2000 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के चित्तिसिंहपुरा गांव में हुए नरसंहार में 35 सिख पुरुषों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। यह घटना रात करीब 7:45 बजे हुई। कथित तौर पर सेना की वर्दी में आए हथियारबंद आतंकवादियों ने गांव के सिख पुरुषों को गुरुद्वारे के बाहर इकट्ठा होने का आदेश दिया। इसके बाद, उन्हें लाइन में खड़ा कर गोली मार दी गई। यह हमला भारत में सिख समुदाय के खिलाफ सबसे भीषण आतंकी घटनाओं में से एक माना जाता है।

इस नरसंहार का समय भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे (19-25 मार्च 2000) के दौरान हुआ था। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जोड़ी गई, हालांकि जांच में कई विवाद और अनसुलझे सवाल सामने आए। इस घटना ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा प्रोटोकॉल को और सख्त करने की आवश्यकता पर बल दिया गया था।

क्या है मानक संचालन प्रक्रिया?

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस SOP के तहत, हर बार जब कोई शीर्ष विदेशी गणमान्य व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का दौरा करता है, तो उन क्षेत्रों की पहचान की जाती है जो आतंकवादी हमलों की दृष्टि से संवेदनशील माने जाते हैं। इनमें प्रमुख पर्यटक स्थल, धार्मिक स्थल और भीड़भाड़ वाले इलाके शामिल होते हैं। इन जगहों को या तो आम जनता के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाता है या वहां अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की जाती है।

हालांकि, इस बार वेंस की यात्रा से पहले ऐसा कोई सुरक्षा मानचित्रण नहीं किया गया। सुरक्षा तंत्र से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ToI को बताया, "अगर यह मैपिंग की गई होती, तो पिकनिक स्पॉट्स जैसे पहलगाम और खासकर बैसारन में अस्थायी पुलिस पिकेट्स लगाए जाते। वहां हाल के दिनों में पर्यटकों की बड़ी संख्या देखी जा रही है। पुलिस की मौजूदगी एक रोकथाम का काम करती और अगर हमला होता भी, तो जवाबी कार्रवाई तेज होती।"

जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने भी माना कि SOP के तहत हर बार ऐसी तैयारी होती है, लेकिन इस बार भ्रम इस बात को लेकर था कि क्या SOP उपराष्ट्रपतियों जैसे वरिष्ठ लेकिन शीर्ष नहीं माने जाने वाले प्रतिनिधियों की यात्रा पर भी लागू होता है, या केवल राष्ट्राध्यक्षों की यात्राओं के लिए ही। यह अस्पष्टता अब सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, विशेषकर तब जब केंद्र सरकार आतंकवाद रोधी रणनीतियों को सख्ती से लागू करने के दावे कर रही है।

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जेडी वेंस का भारत दौरा

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने 21 से 24 अप्रैल 2025 तक भारत की चार दिवसीय यात्रा की, जिसका उद्देश्य भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था। नई दिल्ली में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापार, रक्षा सहयोग और उन्नत तकनीकों पर चर्चा की। इसके बाद, वेंस ने जयपुर का दौरा किया, जहां उन्होंने सांस्कृतिक विरासत को करीब से देखा, और आगरा में ताजमहल का भ्रमण किया। यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने और क्षेत्रीय स्थिरता पर विचार-विमर्श के लिए महत्वपूर्ण मानी गई, हालांकि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चूक और पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने इस दौरे पर सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर सवाल खड़े किए।