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हिन्दू-मुस्लिम बयान वाले जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ ऐक्शन तेज, CJI संजीव खन्ना ने उठाया कदम

  • सी रविचंद्रन बनाम जस्टिस एएम भट्टाचार्य और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में फैसला दिया था। तब कहा गया था कि अगर मामला हाईकोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत का होता है, तो उस हाईकोर्ट के सीजेआई जांच के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश से चर्चा करते हैं।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानThu, 9 Jan 2025 06:35 AM
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हिन्दू-मुस्लिम बयान वाले जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ ऐक्शन तेज, CJI संजीव खन्ना ने उठाया कदम

विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में टिप्पणी को लेकर जांच का सामना कर रहे जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ऐक्शन मोड में है। खबर है कि तलब किए जाने के करीब 3 सप्ताह बाद अब भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। खबर है कि अब तक जस्टिस यादव ने इस मामले में माफी नहीं मांगी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यादव ने कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय का जिक्र कर टिप्पणी कर दी थी। अब इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई खन्ना ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली को पत्र लिखा। सीजेआई ने इसके जरिए मामले में नई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। 17 दिसंबर को ही कॉलेजियम और जस्टिस यादव के बीच मुलाकात के दौरान स्पष्टिकरण मांगा गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक के बाद से ही जस्टिस यादव अपनी बात पर अड़े हुए हैं और अब तक माफी नहीं मांगी है।

सी रविचंद्रन बनाम जस्टिस एएम भट्टाचार्य और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में फैसला दिया था। तब कहा गया था कि अगर मामला हाईकोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत का होता है, तो उस हाईकोर्ट के सीजेआई जांच के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश से चर्चा करते हैं।

महाभियोग को चुनौती दे रही याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जस्टिस यादव के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि उच्च न्यायालय को राज्यसभा के सभापति को निर्देश जारी करना चाहिए कि वह 55 सांसदों द्वारा राज्यसभा महासचिव को पेश किए गए प्रस्ताव पर आगे की कार्यवाही शुरू न करें।

पीठ ने कहा कि जनहित याचिका दबे कुचले वर्ग के लोगों की आवाज उठाने के लिए दायर की जाती है, किन्तु इस प्रकरण में ऐसा नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि जनहित याचिका दायर करने के लिए जो सीमाएं तय की गयी हैं, यह याचिका उससे बाहर है इसलिए यह सुनवाई योग्य नहीं है।

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