Menstruating Dalit girl in Tamil Nadu made to take exam outside class दलित छात्रा को पीरियड्स आ रहे थे, इसलिए सीढ़ियों पर बैठाकर दिलाया एग्जाम; स्कूल ने मां को बताया जिम्मेदार, India Hindi News - Hindustan
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दलित छात्रा को पीरियड्स आ रहे थे, इसलिए सीढ़ियों पर बैठाकर दिलाया एग्जाम; स्कूल ने मां को बताया जिम्मेदार

  • इस घटना ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में भी चिंता बढ़ा दी है। दलित संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, कोयंबटूरFri, 11 April 2025 06:54 AM
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दलित छात्रा को पीरियड्स आ रहे थे, इसलिए सीढ़ियों पर बैठाकर दिलाया एग्जाम; स्कूल ने मां को बताया जिम्मेदार

तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के सेंगुट्टईपलायम गांव में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां कक्षा 8 में पढ़ने वाली एक 13 वर्षीय दलित छात्रा को सिर्फ इसलिए स्कूल की सीढ़ियों पर बैठाकर परीक्षा देने को मजबूर किया गया क्योंकि वह माहवारी (पीरियड्स) में थी। इस अमानवीय व्यवहार का वीडियो छात्रा की मां ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर शेयर किया, जो अब तेजी से वायरल हो गया है।

छात्रा अरुंथथियार समुदाय से ताल्लुक रखती है। वीडियो में वह बता रही है कि जैसे ही उसकी शिक्षिका ने स्कूल की प्रिंसिपल को बताया कि वह मासिक धर्म में है, तो उसे कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई। वीडियो में उसकी मां की आवाज भी सुनाई देती है, जो गुस्से और दुख में पूछती हैं – “अगर किसी को पीरियड्स हो जाएं तो क्या वह क्लासरूम में नहीं बैठ सकती? क्या उसे सड़क पर बैठकर परीक्षा देनी चाहिए?”

इस मामले को लेकर जिले के स्कूल शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। जिला अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

प्रारंभिक जांच में क्या सामने आया?

स्कूल शिक्षा विभाग और पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह दावा किया गया है कि छात्रा की मां ने खुद ही अलग व्यवस्था की मांग की थी, क्योंकि यह उनकी बेटी की पहली माहवारी थी। पुलिस के अनुसार, “छात्रा को 5 अप्रैल को पीरियड्स शुरू हुए थे। 7 अप्रैल को उसने विज्ञान और 9 अप्रैल को सामाजिक विज्ञान की परीक्षा सीढ़ियों पर बैठकर दी।”

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हालांकि, छात्रा की मां इस व्यवस्था से आहत नजर आईं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अलग व्यवस्था की मांग की थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि उनकी बेटी को बिना डेस्क या कुर्सी के, खुले में बैठाकर परीक्षा दिलाई जाए। उन्होंने इस पर कड़ा एतराज जताया है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “स्कूल प्रबंधन कह रहा है कि यह फैसला मां की सहमति से लिया गया था, लेकिन मां ने वीडियो में जिस प्रकार आपत्ति जताई है, वह दिखाता है कि उसे इस तरीके से अंजान रखा गया। हमने स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्वतंत्र जांच भी जारी है।”

इस घटना ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में भी चिंता बढ़ा दी है। दलित संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की है और ऐसी घटनाओं को "मानवाधिकारों का उल्लंघन" बताया है। कई लोगों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और शिक्षा में समावेशिता व संवेदनशीलता की ओर ध्यान आकर्षित किया है।