रेस्टोरेंट ने ग्रेवी फ्री में नहीं दी तो भड़का ग्राहक, खटखटाया अदालत का दरवाजा; क्या आया फैसला
केरल के कोच्चि में यह कानूनी विवाद तब शुरू हुआ, जब पिछले साल नवंबर में एक ग्राहक ने परोटा और बीफ ऑर्डर किया। परोटा मैदा से बनता है और अपनी रूखी बनावट के कारण ग्रेवी के साथ खाया जाता है, ताकि यह नरम और स्वादिष्ट हो सकते।

केरल के कोच्चि में स्थानीय उपभोक्ता अदालत से एक रेस्तरां मालिक को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि रेस्टोरेंट को ग्राहकों को मुफ्त में ग्रेवी देने की कोई बाध्यता नहीं है। यह कानूनी विवाद पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ, जब एक ग्राहक ने कोच्चि के पर्शियन टेबल रेस्तरां में परोटा और बीफ ऑर्डर किया। यह केरल का एक लोकप्रिय डिश है। परोटा मैदा से बनता है और अपनी परतदार बनावट के लिए जाना जाता है। इसे नरम करने और स्वाद बढ़ाने के लिए अक्सर ग्रेवी के साथ खाया जाता है। कई रेस्टोरेंट और होटल सूखे बीफ के साथ अलग से ग्रेवी देते हैं। कुछ जगहों पर प्याज से बनी ग्रेवी दी जाती है, जबकि कहीं-कहीं तो बीफ को ही करी के रूप में तैयार किया जाता है।
रेस्तरां मालिक ने घटना को याद करते हुए बताया कि ग्राहक ने पहले ग्रेवी नहीं मांगी थी। उन्होंने कहा, 'बाद में उसने ग्रेवी की मांग रखी। हमने बताया कि हम आम तौर पर मुफ्त ग्रेवी नहीं देते, लेकिन अगर बीफ के साथ ग्रेवी का ऑर्डर हो तो हम मुहैया कराते हैं। इस पर वह नाराज हो गया और बहस करने लगा। हमने उसके सामने अपनी बात रखी, जिसके बाद वह चला गया।' मालिक ने कहा कि हमें बाद में पता चला कि उसने स्थानीय अधिकारियों से शिकायत की थी, जिन्होंने हमारे रेस्तरां का दौरा किया। जब उसका कोई नतीजा नहीं निकला, तो उसने उपभोक्ता अदालत में याचिका दायर कर दी।
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
अदालत ने सुनवाई के दौरान रेस्तरां के तर्क को स्वीकार करते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया। मालिक ने खुशी जताते हुए कहा, 'हमें अच्छा लगा कि अदालत ने हमारे तर्क को समझा कि मुफ्त ग्रेवी देना हमारे लिए व्यवहारिक नहीं है। हमारा मासिक वेतन खर्च पहले से ही काफी है और मुफ्त ग्रेवी देने से हमारा खर्च और बढ़ेगा, जो व्यवसाय के लिए टिकाऊ नहीं होगा।' इस फैसले के बाद, केरल के होटलों और रेस्तरां में ग्राहक मुफ्त ग्रेवी की मांग को अधिकार के रूप में नहीं ले सकते। यह फैसला रेस्तरां मालिकों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।