Former Governor Satypal Malik Faces CBI Investigation Amid Corruption Allegations सत्यपाल मलिक पर आरोप, क्या है पूरा मामला, India News in Hindi - Hindustan
Hindi NewsIndia NewsFormer Governor Satypal Malik Faces CBI Investigation Amid Corruption Allegations

सत्यपाल मलिक पर आरोप, क्या है पूरा मामला

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जिनकी जांच अब सीबीआई कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अस्पताल जाकर उनका हालचाल लिया। मलिक के अनुसार, उन्हें दो फाइलें पास...

डॉयचे वेले दिल्लीSat, 24 May 2025 05:06 PM
share Share
Follow Us on
सत्यपाल मलिक पर आरोप, क्या है पूरा मामला

अस्पताल में भर्ती पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक अब सीबीआई की जांच का सामना कर रहे हैं.क्या हैं बीजेपी समर्थक से आलोचक बने मलिक पर आरोप?शुक्रवार, 23 मई की शाम को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अस्पताल जाकर जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की.उन्होंने मलिक के स्वास्थ्य की जानकारी ली और डॉक्टरों से चर्चा की.बाद में उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं सत्यपाल मलिक जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं.मैं इस सत्य की लड़ाई में उनके साथ हूं"जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर अब भारत की जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने औपचारिक रूप से कार्रवाई शुरू कर दी है.बीते सोमवार को सीबीआई ने एक हाईड्रल परियोजना के कॉन्ट्रैक्ट में कथित भ्रष्टाचार के मामले में मलिक समेत सात लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था.यह मामला मलिक के खुद के लगाए गए आरोपों के आधार पर 2022 में दर्ज किया गया था.फिलहाल 78 वर्षीय सत्यपाल मलिक नई दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में यूरिनरी इन्फेक्शन और सेप्सिस के इलाज के लिए भर्ती हैं.बीते कुछ वर्षों से मलिक भारतीय जनता पार्टी की खुलकर आलोचना करते आए हैं. क्या थे मलिक के आरोप?अक्टूबर 2021 में, राज्यपाल पद छोड़ने के दो साल बाद, मलिक ने आरोप लगाया था कि उन्हें दो फाइलें पास करने के बदले 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी, जिनमें एक फाइल रिलायंस ग्रुप से जुड़ी थी और दूसरी एक आरएसएस पदाधिकारी से.मलिक ने राजस्थान के झुंझुनूं में एक कार्यक्रम में कहा था, "मुझे एक सचिव ने कहा कि यह डील संदिग्ध है, लेकिन इसमें 150-150 करोड़ का फायदा हो सकता है.मैंने कहा कि मैं पांच कुर्ते-पायजामे लेकर आया था, और उन्हीं के साथ वापस जाऊंगा"यह आरोप जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के साथ मिलकर शुरू की गई स्वास्थ्य बीमा योजना और किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (एचईपी) में हुए कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा है.क्या है पूरा मामला?इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने इस मामले पर एक रिपोर्ट छापी है, जिसके मुताबिक आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के साथ पुरानी बीमा योजना समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक नई योजना शुरू की थी.शुरुआत में सिर्फ एक कंपनी ने बोली लगाई, जिसके बाद सरकार ने ट्रिनिटी रीइंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड (टीआरबीएल) को दोबारा टेंडर प्रक्रिया के लिए नियुक्त किया.इस बार सात कंपनियों ने बोली लगाई और सबसे कम प्रीमियम (8,777 रुपये) की पेशकश करने वाली आरजीआईपीएल को सितंबर 2018 में ठेका दिया गया.यह मलिक के राज्यपाल बनने के कुछ ही दिन बाद हुआ.योजना 1 अक्टूबर से शुरू हुई और आरजीआईपीएल को 61 करोड़ रुपये एडवांस के रूप में दिए गए.यह भुगतान कथित रूप से मुख्य सचिव और राज्यपाल की अनुमति के बिना किया गया, जिससे राजभवन में चिंता बढ़ गई. कर्मचारियों की शिकायतों और प्रीमियम की उच्च दरों के कारण मलिक ने योजना को रद्द कर दिया और इसे "भ्रष्टाचार से भरा" करार दिया.हालांकि 2021 में जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने कहा कि कोई अनियमितता नहीं मिली, लेकिन 44 करोड़ रुपये की वसूली की सिफारिश की.2022 में वित्त विभाग ने कॉन्ट्रैक्ट में अनियमितताओं की पुष्टि की, जिसके बाद जांच सीबीआई को सौंप दी गई.सीबीआई की एफआईआर में आरजीआईपीएल और टीआरबीएल को आरोपी बनाया गया.साथ ही अज्ञात वित्त विभाग अधिकारी, निजी व्यक्ति और अन्य सरकारी अधिकारियों पर धोखाधड़ी और साजिश के आरोप लगे.मामले का दूसरा हिस्सा जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (सीवीपीपीएल) द्वारा 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य के ठेके से जुड़ा है, जो पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को 2019 में दिया गया था.इसमें बांध, टनल और पावरहाउस जैसे कार्य शामिल थे.सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सीवीपीपीएल की 47वीं बोर्ड मीटिंग में ई-टेंडरिंग और रिवर्स ऑक्शन के जरिए प्रक्रिया दोबारा शुरू करने का फैसला लिया गया था, लेकिन 48वीं मीटिंग में अचानक पुरानी प्रक्रिया को बहाल कर ठेका पटेल इंजीनियरिंग को दे दिया गया.बीजेपी के साथ रिश्तों में खटाससत्यपाल मलिक पहले बीजेपी के करीबी माने जाते थे. उन्हें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में 23 अगस्त 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने नियुक्त किया था.उस समय भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार थी और सत्यपाल मलिक की यह नियुक्ति केंद्र सरकार की सिफारिश पर हुई थी.वह जम्मू-कश्मीर के आखिरी पूर्णकालिक राज्यपाल थे, क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान ही जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा (अनुच्छेद 370) समाप्त कर दिया गया और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित कर दिया गया।

इसके बाद, 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन लागू हुआ और सत्यपाल मलिक को गोवा का राज्यपाल बना दिया गया और वहां से मेघालय भेज दिया गया.2022 में सत्यपाल मलिक ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई कदमों की आलोचना की थी और उसके बाद से वह लगातार बोलते रहे हैं.उनके रुख में बदलाव 2021-22 में हुए किसान आंदोलन के बाद खासतौर पर देखने को मिला.किसान आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की खुलकर आलोचना की.उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री से जब मैंने किसानों की बात की, तो वह घमंड में थे, उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी" उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने किसानों की बात नहीं मानी तो "यह सरकार गिर जाएगी"इसके अलावा उन्होंने पुलवामा में 2019 में सैनिकों के एक काफिले पर हमले को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना की थी.उन्होंने कहा था कि सरकार ने लापरवाही बरती और उनकी चेतावनी के बावजूद जरूरी कदम नहीं उठाए.

इंडिया न्यूज़ , विधानसभा चुनाव और आज का मौसम से जुड़ी ताजा खबरें हिंदी में | लेटेस्ट Hindi News, बॉलीवुड न्यूज , बिजनेस न्यूज , क्रिकेट न्यूज पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।