देश में बढ़ रहे छात्रों की खुदकुशी के मामले, सुप्रीम कोर्ट ने बना दी टास्क फोर्स; 4 महीने में मांगी रिपोर्ट
- शैक्षणिक संस्थानों में स्टूडेंट्स की खुदकुशी को लेकर टास्क फोर्स गठित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के ही रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बनाई गई है।

देश के बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थानों, कोचिंग और हॉस्टल में बढ़ते स्टूडेंट्स की खुदकुशी के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसपर गहरी चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कैंपस में छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में एक टास्कफोर्स गठित कर दी है। जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि पिछले दो महीने में कॉलेज के हॉल्टल में यौन शोषण, रैगिंग, भेदभाव और अन्य वजहों से कई छात्र खुदकुशी कर चुके ैहं। कोर्ट ने कहा कि 19 मार्च को गुजरात की लॉ यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट ने खुदकुशी कर ली।
बेंच ने कहा कि आईआईटी पटना में पिछले महीने इसी तरह की घटना हुई। स्टूडेंट ने पढ़ाई के प्रेशर में जान दे दी। ओडिशा के इंजीनियरिंग कॉलेज में एक नेपाली स्टूडेंट की जान चली गई। उसने साथी स्टूडेंट पर ही यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया था। केरल के इंजीनियरिंग कॉलेज में रैगिंग की वजह से स्टूडेंट ने सुसाइड कर ली।
इस बेंच में शामिल जस्टिस आर महादेवन ने कहा, हमें सुसाइड के पैटर्न पर चर्चा करनी चाहिए। हमें इस बात की चिंता है कि बहुत सारे छात्र भेदभाव, रैगिंग और यौन शोषण के चलते जान दे देते हैं। विश्वविद्यालयों और छात्रों के अभिभावकों को मिलकर प्रयास करने के दिशानिर्देश तय करने के लए यह टास्कफोर्स बनाई गई है। इस टास्कफोर्स की अगुआई जस्टिस रिटायर्ड एस रवींद्र भट करेंगे। इसमें उच्च क्षिक्षा विभाग के सेक्रेटरी के अलावा सचिव सामाजिक न्याय, सचिव महिला एवं बाल विकास और सचिव कानून भी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स से स्टूडेंट्स की खुदकुशी के पीछे के कारणों को पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को बताने को कहा है। टास्क फोर्स को चार महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी। आईआईटी दिल्ली के हॉस्टल में 2023 में दो स्टूडेंट्स ने खुदकुशी कर ली थी। इसके बाद उनके माता पिता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और आरोप लगाया कि कैंपस में शोषण की वजह से उन्होंने ये कदम उठाया था। इसके बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्जन नहीं की और कानूनी जांच की बात कहकर केस को बंद कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मृतक बच्चों के मां-बाप शोषण के आरोप लगाए थे तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। केवल जांच के बाद केस को बंद करना पर्याप्त नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की जांच से यही पता चल पाता है कि मौत कैसे हुई है। वहीं खुदकुशी के पीछे की वजह का पता ही नहीं लग पाता है।