डोनाल्ड ट्रंप के 27% वाले झटके से भी क्यों खुश मोदी सरकार, क्यों चीन को मात देने की उम्मीद
- भारत को चीन पर 54-79% का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है। इसी तरह, वियतनाम और बांग्लादेश के मुकाबले भी भारतीय कपड़ा निर्यात को मजबूती मिलेगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में घोषित 27% जवाबी टैरिफ को लेकर मोदी सरकार ने संतुलित और सुनियोजित रुख अपनाने का फैसला किया है। ट्रंप सरकार के फैसले से भारत के श्रम-प्रधान उद्योगों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। चीन, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले भारत को बढ़त मिलेगी। सरकार इस प्रभाव का आकलन करने में जुटी है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में वाणिज्य मंत्रालय और अन्य विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय बैठक चल रही है, जिसके बाद आधिकारिक बयान जारी किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, भारत को चीन पर 54-79% का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है। इसी तरह, वियतनाम और बांग्लादेश के मुकाबले भी भारतीय कपड़ा निर्यात को मजबूती मिलेगी। यही वजह है कि चीन को पीछे छोड़ने की उम्मीद के साथ मोदी सरकार इसे न सिर्फ एक चुनौती के रूप में, बल्कि एक अवसर के तौर पर भी देख रही है।
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रंप सरकार के टैरिफ वाले फैसले से कुछ श्रम-प्रधान क्षेत्रों को अप्रत्याशित लाभ होगा। हालांकि, भारत इस फैसले को लेकर कोई जल्दबाजी में प्रतिक्रिया नहीं देगा। हिंदुस्तान टाइम्स ने गुरुवार को बताया था कि भारत अमेरिकी आयात पर जवाबी टैरिफ नहीं लगाएगा।
किन सेक्टर्स पर असर?
प्रारंभिक आकलन के मुताबिक, ऑटो कंपोनेंट्स, केमिकल्स, झींगा निर्यात और स्टील उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जबकि फार्मा सेक्टर मौजूदा स्थिति में कोई बड़ा नुकसान नहीं झेलेगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा, "भारत की प्रतिक्रिया संतुलित और पेशेवर होगी। कुछ देशों की तरह हम अमेरिकी आयात पर जवाबी कार्रवाई की धमकी नहीं देंगे।" भारत अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में तत्काल कोई कटौती नहीं करेगा और इसका जवाब द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के तहत ही देगा।
BTA वार्ता पर नजर
अमेरिका और भारत के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही है, जिसके तहत दोनों देश व्यापार को 200 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रख रहे हैं। अधिकारी ने कहा, "जब दोनों देशों के नेता 2025 के शरद ऋतु तक BTA पर हस्ताक्षर करने की योजना बना चुके हैं, तो किसी जल्दबाजी की जरूरत नहीं है।"
शेयर बाजार ने दिखाई मजबूती
प्रारंभिक प्रतिक्रिया के बाद भारतीय शेयर बाजार में तेज रिकवरी देखी गई, क्योंकि निवेशकों ने प्रतिस्पर्धात्मक लाभों को समझा। एक अधिकारी ने बताया, "स्थिति उतनी गंभीर नहीं है जितना पहले सोचा जा रहा था, इसलिए किसी जल्दबाजी भरी प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं है।" भारत, कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ की तरह अमेरिका के टैरिफ का जवाब तत्काल कड़े कदमों से नहीं देगा। इसके बजाय, नई दिल्ली दीर्घकालिक रणनीति अपनाएगा और अपने अन्य मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) के आधार पर आगे बढ़ेगा।
भारत का संतुलित रुख
अधिकारियों के अनुसार, भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को प्रभावित किए बिना, सोच-समझकर प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने कहा, "हमने UAE और ऑस्ट्रेलिया के साथ सफलतापूर्वक FTAs किए हैं और अब यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, न्यूजीलैंड, ओमान और पेरू के साथ बातचीत जारी है। भारत-अमेरिका BTA भी इसी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेगा।"
क्या आगे होगा?
सरकार अभी तक चार संभावित विकलपों का मूल्यांकन कर रही है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि भारतीय निर्यात पर प्रभाव किस प्रकार पड़ेगा। विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय उत्पादों को चीन, मैक्सिको और यूरोपीय संघ के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है। भारत का व्यापारिक दृष्टिकोण "जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाने" का है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि दीर्घकालिक लाभ बना रहे।