पश्चिम बंगाल में क्यों रोका गया MGNREGA का फंड, हाई कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार
- कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि आखिर पश्चिम बंगाल का मनरेगा फंड स्थायी तौर पर क्यों रोक दिया है। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक महीने के भीतर जवाब मांगा है।

पश्चिम बंगाल में MGNREGS का फंड रोकने को लेकर कोलकाता हाई कोर्ट ने केंद्र के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि जिन चार जिलों में नोडल अधिकारियों ने फंड के दुरुपयोग की बात कबूली है उनको छोड़कर बाकी में मनरेगा का फंड क्यों रोका गया है। चीफ जस्टिस टीएस शिवागनानम और जस्टिस चैताली चटर्जी की खंड बीठ ने कहा कि प्रावधान के मुताबिक इस तरह से स्थायी तौर पर फंडो को नहीं रोकना चाहिए।
चीफ जस्टिस ने कहा कि धारा 27 (2) के मुताबिक जांच लंबित रहने तक फंड को रोका जा सकता है लेकिन राज्य और केंद्र की यह भी जिम्मेदारी है कि समस्या का निदान ढूंढकर फिर से फंड को बहाल किया जाए। बेंच ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है कि जिन लोगों को तीन साल से रोजगार नहीं दिया जा सका उन्हें बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं उपलब्ध करवाया गया है।
हाई कोर्ट ने जवाब फाइल करने के लिए 15 मई तक का समय दिया है। बता दें कि 9 मार्च 2022 से ही पश्चिम बंगाल को मनरेगा का फंड नहीं मिल रहा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हुगली, पूर्वी बर्दवान, मालदा और दार्जिलिंग में फंड के दुरुपयोग का मामला सामने आया था। इन चार जिलों से 5.37 करोड़ में से 2.37 करोड़ की वसूली हो चुकी है।
एएसजी अशोक कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र की टीम ने 15 जिलों में मनरेगा का खातों की जांच की है। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट को केवल चार जिलों की जानकारी दी गई है। कोर्ट ने कहा कि आखिर चार जिलों को छोड़कर बाकी में केंद्र सरकार ने स्कीम को रिन्यू क्यों नहीं किया।