इंडिया अलायंस के सुर में सुर क्यों मिलाने लगी नवीन पटनायक की BJD, चुनावी प्रक्रिया पर क्या खुन्नस
बीजू जनता दल के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और विपक्षी दलों की ओर से लगाए गए अनियमितताओं के आरोपों पर सुर में सुर मिलाया।

कई मौकों पर मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में मददगार रहे और पूर्व में NDA गठबंधन का हिस्सा रहे ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) ने विपक्षी इंडिया अलायंस का राग अलापना शुरू कर दिया है। BJD ने चुनाव आयोग से चुनाव प्रक्रिया की CAG या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से ऑडिट करवाने की मांग की है और आरोप लगाया है कि पिछले साल हुए ओडिशा विधानसभा चुनावों में बूथों पर कुल वोटों की संख्या और EVM में दर्ज कुल वोटों की संख्या में उसे अंतर दिखा है।
बीजू जनता दल के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और विपक्षी दलों की ओर से लगाए गए अनियमितताओं के आरोपों पर सुर में सुर मिलाया और इसके मद्देनजर चुनाव प्रक्रिया के स्वतंत्र ऑडिट का सुझाव दिया। पिछले साल संपन्न लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ओडिशा में डाले गए वोटों के बीच पाई गई कथित विसंगतियों के बारे में शिकायत करने वाली बीजद ने इस मुद्दे पर मंगलवार को चुनाव आयोग को अपना दूसरा ज्ञापन सौंपा है।
चुनाव आयोग से मिला BJD प्रतिनिधिमंडल
बीजद नेताओं ने कहा कि निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र लेखा परीक्षकों या भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के जरिए पूरी चुनाव प्रक्रिया का समय-समय पर ऑडिट कराना चाहिए और इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए, जैसा कि कई देशों में किया जा रहा है, जहां लोकतांत्रिक रूप से चुनाव होते हैं। पार्टी नेताओं ने आयोग से आग्रह किया कि वह चुनाव प्रक्रिया की सह-निगरानी के लिए नागरिक समूहों को शामिल करने के वास्ते एक तंत्र विकसित करे। उन्होंने आयोग से कहा कि वह चुनाव प्रक्रिया में भरोसा सुनिश्चित करने के लिए बूथ स्तर पर मतदान के साथ-साथ मतगणना के दौरान समवर्ती ऑडिट करने के लिए एक तंत्र तैयार करे।
पिछले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली बीजद ने उन्नत मतगणना मशीनों की मदद से हर मतदान केंद्र पर सभी वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम पर डाले गए वोट के साथ मिलान करने का भी सुझाव दिया है। ओडिशा के सभी बूथ से फॉर्म-17सी की प्रतियां नहीं मिलने की शिकायत करते हुए BJD ने सुझाव दिया कि जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्धारित शुल्क का भुगतान करने पर किसी भी नागरिक को फॉर्म-17सी भाग एक और दो तथा सभी वीवीपैट पर्चियों की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए 30 दिन की समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।
आयोग को दूसरी बार सौंपा ज्ञापन
पार्टी प्रतिनिधिमंडल की ओर से सौंपे गए ताजा ज्ञापन में दिसंबर 2024 में निर्वाचन आयोग को दिए गए ज्ञापन का जवाब देने का आग्रह किया गया है। इसमें कहा गया है कि बीजद को इस मुद्दे पर आयोग से कोई जवाब नहीं मिला है। हालांकि, बीजद नेता अमर पटनायक ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि उन्हें सोमवार रात निर्वाचन आयोग से जवाब मिला और पार्टी इसका विस्तृत अध्ययन नहीं कर पाई है।उन्होंने कहा, “सरसरी निगाह से देखने पर ऐसा लगता है कि यह हमारी ओर से उठाई गई गंभीर चिंता का यांत्रिक जवाब है।”
EPIC पर कांग्रेस-तृममूल ने संसद में उठाया मुद्दा
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के संसद में मतदाता पहचान पत्र क्रमांक के दोहराव का मुद्दा उठाए जाने से जुड़े सवाल पर बीजद नेताओं ने कहा कि वे विपक्षी दलों की चिंताओं से सहमत हैं और उनकी तरफ से दिए गए सुझाव इस संबंध में भी मददगार हो सकते हैं। बीजद ने दावा किया है कि पिछले साल संपन्न विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान पीठासीन अधिकारियों द्वारा भरे गए फॉर्म 17-सी और निर्वाचन अधिकारियों द्वारा भरे गए फॉर्म-20 के बीच गंभीर विसंगतियां पाई गई हैं। पार्टी ने कहा है कि सभी 21 संसदीय क्षेत्रों और संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में डाले गए मतों की संख्या में विसंगतियां पाई गई हैं, जबकि राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए मतदान एक साथ हुआ था। उन्होंने कहा है कि ढेंकनाल में मतों की संख्या में 4,056, जबकि कंधमाल में 3,521 और बलांगीर में 2,701 का अंतर दर्ज किया गया है।
INDIA अलायंस भी उठा चुका है मामला
बता दें कि बीजद से पहले कांग्रेस,शिवसेना (UBT), एनसीपी (शरद पवार) और आप समेत इंडिया अलायंस के कई सहयोगी दलों ने भी इसी तरह का मुद्दा उठाया है और चुनाव आयोग से शिकायतें की हैं कि कई बूथों पर दर्ज मतदाताओं से ज्यादा वोट ईवीएम में दर्ज हुए हैं। महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में करारी हार के बाद महाविकास आघाड़ी (एमवीए) में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाया है, जिसमें दावा किया गया है कि राज्य में कुल वयस्क आबादी से ज्यादा पंजीकृत मतदाता थे। तीनों पार्टियों ने दावा किया है कि मई में हुए लोकसभा चुनाव और नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बीच 39 लाख नए मतदाता जुड़े हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)