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DPS द्वारका ने क्यों काट दिए बच्चों के नाम? मचा बवाल,रेखा सरकार पर बरसे केजरीवाल

रिपोर्ट के अनुसार, अभिभावकों ने बताया कि मंगलवार को उनके बच्चों को स्कूल परिसर में घुसने नहीं दिया गया। गेट के बाहर पैरेंट्स को रोकने के लिए बाउंसर तक तैनात कर दिए गए थे। अब इस मसले पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेखा सरकार पर हमला बोला है।

Utkarsh Gaharwar लाइव हिन्दुस्तान, दिल्लीWed, 14 May 2025 11:11 AM
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DPS द्वारका ने क्यों काट दिए बच्चों के नाम? मचा बवाल,रेखा सरकार पर बरसे केजरीवाल

द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल ने बढ़ी हुई फीस न भर पाने के चलते 30 छात्रों को निकाल दिया। रिपोर्ट के अनुसार, अभिभावकों ने बताया कि मंगलवार को उनके बच्चों को स्कूल परिसर में घुसने नहीं दिया गया। गेट के बाहर पैरेंट्स को रोकने के लिए बाउंसर तक तैनात कर दिए गए थे। अब इस मसले पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेखा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आप सरकार के समय ऐसा कभी नहीं हुआ। किसी छात्र को निकाला नहीं जा सकता।

क्या है मामला?

दिल्ली के द्वारका में स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल ने बढ़ी हुई सालाना फीस जमा न कर पाने के कारण लगभग 30 स्कूली छात्रों को निकाल दिया। इसके बाद पैरेंट्स का आक्रोश फूट पड़ा। अभिभावकों ने बताया कि मंगलवार को उनके बच्चों को स्कूल परिसर में घुसने नहीं दिया गया। अभिभावकों के अनुसार,वे शिक्षा निदेशालय (डीओई) की ओर से स्वीकृत 93,400 रुपये की सालाना फीस के आधार पर मासिक किश्तें दे रहे थे। स्कूल ने हमसे 1,95,000 रुपये फीस मांगी थी।

यह घटना दिल्ली सरकार द्वारा हाल ही में निजी स्कूलों में मनमानी फीस वृद्धि को रोकने के उद्देश्य से एक मसौदा विधेयक को मंजूरी देने के बाद हुई है। यह विधेयक वर्तमान में लागू नहीं हुआ है। इसमें स्कूल,जिला और राज्य स्तर पर शुल्क नियामक समितियां स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसमें छात्रों को अलग करने या प्रवेश से वंचित करने जैसे ज़बरदस्ती कार्यों के लिए 50,000 का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।

केजरीवाल ने बोला हमला

दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने डीपीएस के इस रवैये से खासा नाराज दिखे। उन्होंने एक्स हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा कि आम आदमी पार्टी (आप) के समय में ऐसा कभी नहीं होने दिया गया। कोई भी स्कूल छात्रों को नहीं निकाल सकता था। आप सरकार हमेशा छात्रों और अभिभावकों की रक्षा के लिए खड़ी रही।

पैरेंट्स का विरोध

34 में से एक स्टूडेंट के पैरेंट्स दिव्या मत्ते ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया कि किसी तरह, हम मंगलवार को अपने बेटे को स्कूल में दाखिल कराने में कामयाब रहे,लेकिन उसे तुरंत कक्षा छोड़ने के लिए कहा गया। जब उसने मना कर दिया,तो कक्षा अध्यापिका ने उसे शारीरिक रूप से बाहर निकाल दिया।" उन्होंने आगे कहा,"फिर उसे स्कूल बस में बैठाया और दो घंटे बाद छोड़ दिया गया,जबकि हम अभी भी बाहर विरोध कर रहे थे। किसी ने हमें सूचित नहीं किया।

एक अन्य अभिभावक, पिंकी पांडे ने आरोप लगाया कि स्कूल ने अप्रैल से शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा स्वीकृत अधिकृत शुल्क लेना बंद कर दिया और बाद में अभिभावकों पर गैर-भुगतान का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,"हमने अप्रैल और मई के चेक जमा किए,लेकिन स्कूल ने उन्हें कभी जमा नहीं किया। फिर उन्होंने दावा किया कि हमने भुगतान नहीं किया और हमारे बच्चों का नाम काट दिया।" उन्होंने आगे कहा,"मेरी बेटी को एक बस में बैठा दिया गया और हमें घंटों तक पता नहीं चला कि वह कहां है।"