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आरोपी को आने-जाने में दिक्कतें हो रहीं, सस्पेंड करें LOC सर्कुलर; सोने की तस्करी केस में CBI को निर्देश

  • सीबीआई ने आरोपी महिला पूर्णिमा गुप्ता की याचिका का विरोध किया और कहा कि वह ना केवल आरोपी कंपनी इट्स माई नेम प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक है, बल्कि सोने के गहनों को बेईमानी से दोबारा आयात करने से हुए फायदे को पाने वाली प्रमुख लाभार्थी भी है।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीFri, 18 April 2025 07:57 PM
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आरोपी को आने-जाने में दिक्कतें हो रहीं, सस्पेंड करें LOC सर्कुलर; सोने की तस्करी केस में CBI को निर्देश

दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को एक महिला के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर (LOC) को निलंबित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह निर्देश देते हुए कहा कि इस वजह से महिला की स्वतंत्र आवाजाही में बाधा आ रही है। प्रधान जिला न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने पूर्णिमा गुप्ता नाम की महिला को राहत देते हुए जांच एजेंसी को यह निर्देश दिए। गुप्ता ने अपने खिलाफ जारी सर्कुलर पर रोक लगाने की मांग की थी।

यह मामला एक प्रसिद्ध ज्वेलरी समूह से जुड़ी दिल्ली स्थित एक कंपनी का है, जिस पर साल 2018-19 में तस्करी रैकेट चलाते हुए सैकड़ों किलोग्राम सोना देश में लाने का आरोप है। इस सोने को प्रदर्शनी के उद्देश्य से निर्यात किया गया था। इसी मामले में सीबीआई जांच चल रही है। आरोपों के अनुसार यह सोना ज्वेलरी की सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिए देश में लाया गया था।

इस मामले की शुरुआत तब हुई थी, जब साल 2019 में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक आरोपी के पास से लगभग 50 किलोग्राम सोने के आभूषण जब्त किए गए थे। जिसके बाद पूर्णिमा गुप्ता, इट्स माई नेम प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

अदालत ने आवेदक महिला को राहत देते हुए कहा, 'चूंकि आवेदक को उच्च न्यायालय द्वारा जांच में शामिल होने से छूट दी गई है और आरोपपत्र की सुनवाई पर स्थगन आदेश (उच्च न्यायालय के) के मद्देनजर उसकी इस अदालत में उपस्थिति आवश्यक नहीं है। ऐसे में आवेदक के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर का अस्तित्व किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा और आवेदक की स्वतंत्र आवाजाही में बाधा उत्पन्न करेगा।'

उधर सीबीआई ने गुप्ता की याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि वह ना केवल आरोपी कंपनी इट्स माई नेम प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक है, बल्कि सोने के गहनों को बेईमानी से दोबारा आयात करने से हुए फायदे को पाने वाली प्रमुख लाभार्थी भी है।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि गुप्ता ने जांच में सहयोग नहीं किया और उससे पूछताछ भी नहीं की जा सकी। सीबीआई ने इस बात की आशंका जताई कि अगर लुकआउट सर्कुलर रद्द कर दिया जाता है और उसे विदेश यात्रा की अनुमति दी जाती है, तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि वह मुकदमे के लिए वापस नहीं आएगी। हालांकि कोर्ट ने एजेंसी की दलीलों को नहीं माना।

अदालत ने कहा कि गुप्ता के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर बिना किसी आधार के जारी किया गया है। न्यायाधीश ने कहा, 'आवेदक की समाज में भी पैठ है और रिकॉर्ड में ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे पता चले कि वह इस प्रक्रिया से बच सकती है या उसके भागने का खतरा है।'

जज ने कहा कि गुप्ता के पक्ष में दिल्ली उच्च न्यायालय का एक आदेश था, जिसमें सीबीआई से कहा गया था कि वह उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम न उठाए। उन्होंने कहा कि हालांकि महिला के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है, लेकिन अभी तक उसका संज्ञान नहीं लिया गया है, तथा मामले को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका पहले से ही लंबित पड़ी है। जज ने कहा कि आवेदक जो कि एक आरोपी भी था, लेकिन इसके बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया गया।