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CTET पास किए बिना नहीं पढ़ा सकेंगे शिक्षक, दिल्ली HC का फैसला सरकारी और निजी स्कूलों पर होगा लागू

बिना कोई दक्षता परीक्षा दिए अरसे से निजी और सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए अब सीटीईटी को पास करना जरूरी होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि कोई भी शिक्षक सीटीईटी परीक्षा को पास किए बगैर अपनी सेवा आगे बरकरार नहीं रख पाएगा।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हेमलता कौशिकSat, 1 March 2025 05:49 AM
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CTET पास किए बिना नहीं पढ़ा सकेंगे शिक्षक, दिल्ली HC का फैसला सरकारी और निजी स्कूलों पर होगा लागू

बिना कोई दक्षता परीक्षा दिए अरसे से निजी और सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे देशभर के शिक्षकों के लिए अब केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) को पास करना जरूरी होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि कोई भी शिक्षक इस पात्रता परीक्षा को पास किए बगैर अपनी सेवा आगे बरकरार नहीं रख पाएगा।

हाईकोर्ट के आदेशानुसार, नई नियुक्तियों में भी इस नियम का पालन करना जाना जरूरी होगा। हाईकोर्ट का यह आदेश देशभर में तकरीबन 5 लाख शिक्षकों पर असर डाल सकता है। चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को कहा कि चार सप्ताह के भीतर देशभर में इस परीक्षा के आयोजन को लेकर योजना तैयार करे। इस कार्ययोजना की विस्तृत जानकारी एक हलफनामे के तौर पर बेंच के समक्ष पेश की जाए।

एनसीटीई को सख्त कदम उठाने होंगे : बेंच ने कहा कि नर्सरी से आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों की नियुक्ति और पुराने शिक्षकों की सेवा को बरकरार रखने के लिए एनसीटीई को सख्त कदम उठाने ही होंगे। बेंच ने कहा कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के मद्देनजर शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 23(2) को लागू करना जनहित में है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी।

मान्यता प्राप्त संस्थानों से लेनी होगी डिग्री और डिप्लोमा : हाईकोर्ट ने इस आदेश में विशेषतौर पर कहा कि जो शिक्षक दशकों से पढ़ा रहे हैं और उन्होंने एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों से बीएड अथवा शिक्षण संबंधी डिग्री व डिप्लोमा नहीं लिया है तो उन्हें दोबारा मान्यता प्राप्त संस्थानों से अपनी बीएड व शिक्षण संबंधी डिप्लोमा करना होगा। इसके लिए उन शिक्षकों को समय दिया जाएगा। यह डिग्री लेने के बाद इन शिक्षकों को सीटीईटी परीक्षा पास करनी होगी। उसके बाद ही वह अपनी सेवा को विद्यालयों में जारी रख सकेंगे।

जनहित याचिका पर आदेश दिया

इस मामले में गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर ऑल की ओर से वकील खगेश बी. झा और वकील शिखा शर्मा बग्गा ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के खंड 4 में संशोधन किया। मगर कक्षा एक से आठवीं तक के लिए शिक्षक की नियुक्त करते समय न्यूनतम योग्यता माफ कर दी जा रही है, यदि उस शिक्षक की नियुक्ति अधिसूचना जारी होने से पहले हुई थी। जनहित याचिका में कहा गया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का यह निर्णय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाला है। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और आदेश दिया कि सभी शिक्षकों को सीटीईटी की परीक्षा से गुजरना होगा। उसके बाद ही वे अपनी नौकरी बचा पाएंगे।

हाईकोर्ट ने क्या-क्या कहा

● नई नियुक्तियों में भी इस नियम का पालन किया जाना आवश्यक होगा

● कोर्ट ने कहा, एनसीटीई चार सप्ताह में देशभर में परीक्षा की योजना तैयार करे

● सेवारत शिक्षकों के लिए बीएड या समकक्ष डिग्री अथवा शिक्षण संबंधी डिप्लोमा लेना अनिवार्य

● परीक्षा उत्तीर्ण किए बिना शिक्षकों की नौकरी बरकरार नहीं रह सकेगी

2015 में संशोध के साथ किया लागू

केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) को लेकर वर्ष 2010 में अधिसूचना जारी कर दी गई थी। इसके बाद वर्ष 2015 में इसमें संशोधन किया गया और इसे लागू किया गया। हालांकि, इसके बावजूद निजी और सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति बगैर पात्रता परीक्षा के जारी रही।