फीस बढ़ोतरी पर बच्चों की बात सुनेगा दिल्ली हाईकोर्ट, 5 छात्रों ने जज को लिखा पत्र
स्कूल की बढ़ी फीस नहीं भर पाने पर कथित रूप से प्रताड़ना का शिकार पांच छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश को चिठ्ठी लिखी है। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर जिलाधिकारी व शिक्षा निदेशालय को जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

स्कूल की बढ़ी फीस नहीं भर पाने पर कथित रूप से प्रताड़ना का शिकार पांच छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश को चिठ्ठी लिखी है। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर जिलाधिकारी व शिक्षा निदेशालय को जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने इस मामले में दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) द्वारका के खिलाफ दायर शिकायत पर जिलाधिकारी व दिल्ली शिक्षा निदेशालय को 5 मई को जवाब देने को कहा है। इससे पूर्व बेंच ने पहले मौखिक तौर पर बच्चों से बात करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन फिर आदेश जारी किया कि बच्चों को बुलाने से पहले संबंधित विभाग व अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखें।
हालांकि, इस मामले की सुनवाई के दौरान इन पांच छात्रों के अभिभावक कोर्टरूम में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि बच्चे इस समय स्कूल के बुरे बर्ताव का सामना कर रहे हैं। उन्हें लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा है। बेंच ने अभिभावकों को सुनने के बाद संबंधित जिले के जिलाधिकारी व शिक्षा निदेशालय को इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने को कहा है। यह मामला गत वर्ष राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीआर) द्वारा स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर सुनवाई से जुड़ा है। हालांकि एनसीपीआर के आदेश पर निचली अदालत ने रोक लगा दी थी।
50 फीसदी फीस जमा कर बैठाएं : दिल्ली हाईकोर्ट में नौ छात्र के अभिभावकों द्वारा फीस बढ़ोतरी को लेकर दायर याचिका पर निर्देश दिया है कि छात्र के अभिभावक बढ़ी फीस की 50 फीसदी रकम जमा करा दें। जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने छात्रों के अभिभावकों के वकील खगेश बी झा की दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि स्कूल बच्चों को तत्काल क्लास में बैठने की अनुमति दे, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।
सात छात्रों को तत्काल कक्षा में बैठने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर एपीजे स्कूल, शेख सराय को कहा है कि वह बढ़ी फीस ना भर पाने के कारण स्कूल से निकाले गए सात छात्रों को तत्काल कक्षा में बैठने की इजाजत दें। साथ ही बेंच ने इस मामले में शिक्षा निदेशालय से पूछा है कि वह बताएं बगैर निदेशालय की अनुमति के क्या स्कूल फीस बढ़ाने का अधिकारी है। इस पर निदेशालय के वकील ने जवाब के लिए समय मांगा। इस पर बेंच ने निदेशालय को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।