DU में शिक्षकों की वरिष्ठता अब उम्र के आधार पर होगी तय, एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने लिया फैसला
दिल्ली यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने संबंधित कॉलेजों और संस्थानों के विभागों में शिक्षकों (सहायक प्रोफेसर-लेक्चरर) की वरिष्ठता नियमों को पारित कर दिया है। इसके तहत अब शिक्षकों की वरिष्ठता आयु जन्मतिथि के आधार पर निर्धारित की जा सकती है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने संबंधित कॉलेजों और संस्थानों के विभागों में शिक्षकों (सहायक प्रोफेसर-लेक्चरर) की वरिष्ठता नियमों को पारित कर दिया है। इसके तहत अब शिक्षकों की वरिष्ठता आयु जन्मतिथि के आधार पर निर्धारित की जा सकती है। डीयू के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी की अध्यक्षता में इस विषय पर कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी की रिपोर्ट पर विचार के बाद यह नियम पारित कर दिए गए।
कमेटी ने पाया कि कॉलेजों के बीच बहुत सारी चिंताएं हैं कि वरिष्ठता निर्धारित करते समय कौन सी पद्धति अपनाई जाए। खासकर तब जब सभी मामलों में सापेक्ष योग्यता और अन्य चीजें समान होती हैं।
सभी पहलुओं पर विचार के बाद कमेटी ने राय दी कि जो शिक्षक उम्र में बड़ा है, उसे उस शिक्षक से वरिष्ठ माना जाएगा, जो उम्र में छोटा है। यदि उम्र भी समान है तो वरिष्ठता एपीआई स्कोर के आधार पर तय होगी। इससे पूर्व कार्यकारी परिषद की बैठक के आरंभ में पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भारत सरकार द्वारा आपरेशन सिंदूर को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया।
आर्मी अस्पताल में शुरू होगा नया कोर्स : डीयू के चिकित्सा विज्ञान संकाय के तहत आर्मी अस्पताल दिल्ली कैंट में नया कोर्स बीएससी (न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजी) इसी शैक्षणिक सत्र से शुरू किया जाएगा। रेडियोलॉजी विभाग के तहत इस कोर्स की अवधि तीन वर्ष व एक वर्ष की इंटर्नशिप (वैकल्पिक) होगी।
हिंदी-अंग्रेजी विभाग में पत्रकारिता में एमए
डीयू के हिंदी और अंग्रेजी विभागों में भी अब पत्रकारिता में एमए की पढ़ाई कराई जाएगी। पिछले दिनों डीयू के दक्षिणी परिसर के पत्रकारिता विभाग में स्टूडियों का उद्घाटन करते हुए कुलपित ने घोषणा की थी कि डीयू पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा के अलावा स्नातकोत्तर का पाठ्यक्रम शुरू करेगा। इसके लिए कमेटियों का गठन किया गया है।
हर कोर्स चार साल का
एनईपी-2020 के तहत स्नातक में चौथे वर्ष को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि हर कोर्स चार साल का ही है, लेकिन इसमें विद्यार्थियों के पास मल्टीपल एक्जिट और मल्टीपल एंट्री का विकल्प उपलब्ध है। पहले की एजूकेशन पॉलिसी में तीन वर्ष के कोर्स को बीच में छोड़ने पर विद्यार्थियों को कुछ नहीं मिलता था, लेकिन नई शिक्षा नीति में बीच में कोर्स छोड़ने पर सर्टिफिकेट से लेकर डिग्री तक मिल सकती है।