यमुना प्राधिकरण की औद्योगिक-टॉय पार्क प्लॉट योजना में गड़बड़ी, साढ़े चार साल बाद 16 आवंटन रद्द
यमुना प्राधिकरण ने सेक्टर-33 में औद्योगिक और टॉय पार्क की योजना में गड़बड़ी सामने आने पर 16 आवंटियों के प्लॉट आवंटन निरस्त कर दिए हैं। एक से अधिक प्लॉट आवंटन के मामले में यह कार्रवाई की गई।

यमुना प्राधिकरण ने सेक्टर-33 में औद्योगिक और टॉय पार्क की योजना में गड़बड़ी सामने आने पर 16 आवंटियों के प्लॉट आवंटन निरस्त कर दिए हैं। एक से अधिक प्लॉट आवंटन के मामले में यह कार्रवाई की गई।
यमुना प्राधिकरण ने वर्ष 2020 में औद्योगिक और टॉय पार्क के लिए कुल 855 प्लॉटों की योजना निकाली थी। सेक्टर-29 में औद्योगिक पार्क के लिए 712 और सेक्टर-33 में टॉय पार्क के लिए 143 प्लॉट थे। इन दोनों योजना में कुल 2785 आवेदन प्राप्त हुए। वेरिफिकेशन में 2290 आवेदन पत्र योग्य और 495 अयोग्य मिले। 9 अक्टूबर 2020 को योजना के तहत 855 प्लॉटों के लिए ड्रॉ की प्रक्रिया हुई। इसमें 700 आवेदन सफल हुए। ड्रॉ की तिथि पर ही प्राधिकरण को एक ही परिवार के एक से अधिक आवेदन सफल होने की सूचना मिली। ऐसे में 43 आवंटनों को जांच के घेरे में रखा गया।
एसीईओ की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन कर जांच कराई गई। इसमें पाया गया कि 43 आवंटनों में से एक आवंटी ने पूर्व में ही प्लॉट सरेंडर कर दिया था। 42 आवंटनों में से कुल 16 आवंटन एक ही परिवार के हैं। यह योजना के नियम और शर्तों के अनुसार मल्टीपल अलॉटमेंट की श्रेणी में आते हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर इन आवंटनों को अब निरस्त कर दिया गया है।
इस तरह से पकड़ में आया मामला : केएल वेजिटेबल ऑयल प्रोडेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ओर से अमित अग्रवाल ने आवेदन किया था। इन्हें सेक्टर-29 में दो हजार वर्गमीटर का प्लॉट नंबर ए-179 आवंटित हुआ। इनके शेयर होल्डर्स में विजय कुमार अग्रवाल का अंशदान 16.73 प्रतिशत, रविंद्र अग्रवाल का 17.43 प्रतिशत, विरेंद्र का 16.21 प्रतिशत, अमित अग्रवाल का 15.04 और शम्मी अग्रवाल का 13.61 और संजीव अग्रवाल का 15.65 प्रतिशत दिखाया गया था। जांच में पाया गया कि फर्म के कुल 28 अंशधारकों में से छह अंशधारकों की 90 प्रतिशत शेयर होल्डिंग है। ये मैसर्स रविंद्र ऑयल एंड गीनिंग मिल्स के साझेदार हैं। अर्थात एक कंपनी के हैं। शेयर धारक दूसरी संस्था में भी साझेदार हैं। ऐसे में प्राधिकरण ने इसे मल्टीपल आवंटन का केस मानते हुए प्लॉट का आवंटन निरस्त कर दिया। इसी तरह की गड़बड़ी अन्य 15 मामलों में भी मिली है।
आवासीय योजना में गड़बड़ी हो चुकी : यमुना प्राधिकरण की पिछले वर्ष जुलाई में 361 आवासीय प्लॉटों की योजना आई थी। योजना में दो लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया था। इनमें 10 प्लॉट पर व्यावसायिक आरक्षण का लाभ मिलना था। इस श्रेणी में 10 आवेदकों ने आवंटित किए क्योस्क (व्यावसायिक श्रेणी) का कंपलीशन सर्टिफिकेट मई से लेकर जुलाई महीने की अलग-अलग तारीख में जारी कर लिया, जबकि मौके पर कोई निर्माण नहीं हुआ था। मामले का खुलासा होने के बाद प्राधिकरण ने इन सभी 10 क्योस्क के आवंटियों के कंपलीशन सर्टिफिकेट को अवैध करार दिया था। प्लॉट में आरक्षण के लिए अयोग्य भी कर दिया गया था।
20 फीसदी रकम काटी जाएगी
प्राधिकरण इन आवंटियों की जमा राशि में से 20 प्रतिशत काटकर बाकी रकम वापस करेगा। प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ आवंटियों ने काफी रकम जमा करा दी थी। चूंकि इस योजना के ब्रॉशर में ही जिक्र किया गया था कि एक परिवार के दो व्यक्ति आवेदन नहीं कर सकते। ऐसे में इनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
अरुणवीर सिंह, सीईओ, यमुना प्राधिकरण, ''कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2020 में औद्योगिक भूखंड की दो योजनाएं आईं थीं। इनमें 43 भूखंड आवंटन को जांच के घेरे में रखा गया। जांच में 16 आवंटन एक ही परिवार के सदस्यों के मिले। इन सभी आवंटन को निरस्त कर दिया है।''