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पिछले 11 दिन से कहां 'गायब' थे मनीष सिसोदिया, फोन भी था बंद; बताई पूरी बात

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद से आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 8 March 2025 10:08 AM
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पिछले 11 दिन से कहां 'गायब' थे मनीष सिसोदिया, फोन भी था बंद; बताई पूरी बात

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद से आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से वह पूरी तरह 'गायब' थे और फोन भी बंद था। अब मनीष सिसोदिया ने बताया है कि वह पिछले 11 दिनों से विपश्यना केंद्र में थे। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी पंजाब में विपश्यना में जुटे हुए हैं।

सिसोदिया ने शनिवार को एक्स पर कहा, 'पिछले 11 दिन से राजस्थान के एक गांव में विपश्यना ध्यान शिविर में था। मौन, एकांत, और अपने ही अंतर्मन का अवलोकन। फोन भी बंद था, बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटा हुआ। आज सुबह ही शिविर पूरा हुआ।' सिसोदिया ने कहा कि अब वह नए जोश के साथ वापसी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'आज शाम तक दिल्ली लौटूंगा, नई ऊर्जा और नए जोश के साथ। और संकल्प वही—देश के हर बच्चे को शानदार शिक्षा मिले। अच्छी शिक्षा हर बच्चे को न सिर्फ सफल बल्कि एक बेहतर इंसान बनाए। शिक्षा के मानवीयकरण का काम भी तो आगे बढ़ाना है।'

पूर्व मुख्यमंत्री ने विपश्यना के बारे में कहा, 'यह सिर्फ ध्यान नहीं, एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है। दिन में 12+ घंटे केवल अपनी सांसों को देखना, बिना किसी प्रतिक्रिया के बस अपने मन और शरीर को समझना। गौतम बुद्ध की वही सीख-चीजों को वैसे ही देखना, जैसी वे वास्तव में हैं, न कि जैसी हम उन्हें देखना चाहते हैं। इस यात्रा में कोई संवाद नहीं। न फोन, न किताबें, न लेखन, न ही किसी से नज़रों का सामना। पहले कुछ दिन दिमाग़ भागता है, बेचैन होता है, लेकिन धीरे-धीरे समय ठहरने लगता है। एक अजीब-सी शांति हर हलचल के बीच जन्म लेने लगती है।'

सिसोदिया ने कहा कि शिविर में 75% लोग 20-35 वर्ष की उम्र के थे। जब आखिरी दिन बातचीत की, तो पता चला कि सफलता की दौड़ थकान, उलझती ज़िंदगियां और भीतर की बेचैनी उन्हें इतनी कम उम्र में ही इस राह पर ले आई है। उनकी शिकायत थी कि जिस शिक्षा ने उन्हें सफलता की इस दौड़ के लायक बनाया है उसमें इस थकान और इन उलझनों से निपटने का मंत्र भी सिखा दिया जाता तो हर पढ़े लिखे इंसान की ज़िंदगी कितनी खुशहाल भी हो सकती है।

पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा, 'मुझे खुशी है कि दिल्ली का शिक्षा मंत्री रहते हुए स्कूलों मे हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के तहत रोज़ाना हर बच्चे के लिए #HappinessClass शुरू करा सका। यह शिक्षा के मानवीयकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है जिसका ज़िक्र विपासना ध्यान में दस दिन बिताने के बाद के बाद ये युवा कर रहे थे।'