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यमुना सिटी में कैसी है भूखंडों की स्थिति, लाइव लोकेशन से लेकर सुविधाओं तक की मिलेगी ऑनलाइन जानकारी

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में आवंटियों को भूखंड की वास्तविक लोकेशन और वहां उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं की जानकारी ऑनलाइन मिलेगी। इसके लिए प्राधिकरण ‘यीडा वन मैप’ पोर्टल जून में लॉन्च करने जा रहा है।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, ग्रेटर नोएडाWed, 23 April 2025 02:22 PM
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यमुना सिटी में कैसी है भूखंडों की स्थिति, लाइव लोकेशन से लेकर सुविधाओं तक की मिलेगी ऑनलाइन जानकारी

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में आवंटियों को भूखंड की वास्तविक लोकेशन और वहां उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं की जानकारी ऑनलाइन मिलेगी। इसके लिए प्राधिकरण ‘यीडा वन मैप’ पोर्टल जून में लॉन्च करने जा रहा है। यमुना प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया कि यह पोर्टल गुरुग्राम की नियो-जियो कंपनी विकसित कर रही है।

कंपनी ने सेक्टर-16, 21, 24, 24ए, 28, 29, 32, 33, 17ए का जियोग्राफिकल सर्वेक्षण कर 11 महीनों में डाटा जुटाया है। इसमें प्रत्येक आवासीय, औद्योगिक, संस्थागत और ग्रुप हाउसिंग भूखंड की सही लोकेशन के साथ-साथ वहां मौजूद सड़क, सीवर, जल, बिजली और गैस आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं के बारे में जानकारी शामिल है। पोर्टल की खास बात यह है कि इससे न सिर्फ भूखंडों की वर्तमान स्थिति की जानकारी मिलेगी, बल्कि शहर में बीते 10 वर्षों में आए भौगोलिक और बुनियादी ढांचे के बदलावों को भी देखा जा सकेगा।

अधिकारियों का कहना है कि अक्सर आवंटी की भूखंड लेने के बाद मूलभूत सुविधाएं न मिल पाने की शिकायत रहती है। इस पोर्टल के जरिए आवंटी ऑनलाइन इन सभी सुविधाओं के बारे में पता लगा सकेगा। इस बारे में शिकायत मिलने पर अधिकारी भी दफ्तर में बैठकर ही इसकी पड़ताल कर सकेंगे।

अवैध गतिविधियों की जानकारी हो सकेगी

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में इस समय सबसे ज्यादा जमीन की मांग है। ऐसे में यहां मिट्टी खनन समेत जमीन पर अवैध प्लॉटिंग बढ़ गई है। बीते दिनों ही दनकौर के पास सेक्टर-17 में मिट्टी माफिया ने यीडा की टीम पर हमला कर उनकी गाड़ी को जेसीबी से क्षतिग्रस्त कर दिया था। वहीं, कई क्षेत्रों में अवैध कॉलोनी काटने की शिकायतें आती हैं। पोर्टल वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी देता रहेगा।

भूजल स्तर और मिट्टी की गुणवत्ता भी पता चलेगी

दावा है कि पोर्टल को आधुनिक तरीके से अपडेट किया जाएगा। यह पोर्टल आवंटी को ऑनलाइन मिट्टी की गुणवत्ता और भूजल के स्तर के बारे में भी जानकारी देगा। अक्सर देखा जाता है कि परियोजना को विकसित करने के लिए खास तौर पर बेसमेंट के निर्माण में दो से तीन फुट खुदाई के बाद ही पानी निकलना शुरू हो जाता है, इसको लेकर बिल्डर कई बार जिला प्रशासन और प्राधिकरण से शिकायत कर चुके हैं।

ऐसे काम करेगा यह पोर्टल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) समय-समय पर सैटेलाइट के माध्यम से तमाम प्रकार का डाटा एकत्र करता है। प्राधिकरण भी समय-समय पर इसरो से एकत्र शहर के जियो ग्राफिकल डाटा को खरीदता है। अब उक्त डाटा को पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। फिलहाल प्राधिकरण ने एक वर्ष में दो बार डाटा खरीदने की योजना बनाई है, जिसे कंपनी को देकर ऑनलाइन कराया जाएगा।

यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा, "पोर्टल लगभग तैयार है, लेकिन सभी भूखंडों का आवंटन नंबर समेत डाटा अपलोड करने में समय लगेगा। यह पोर्टल जून तक लॉन्च किया जाएगा, जिससे प्राधिकरण और आवंटियों की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।"