मेडिकल बिल में छूट नहीं दी तो बनाने लगा अस्पतालों को निशाना, कैसे पकड़ा गया शातिर बीटेक चोर
दिल्ली पुलिस ने एक शातिर चोर को पकड़ा है, जो अस्पतालों को निशाना बनाता था। दरअसल, कोविड के दौरान इलाज कराने पर एक अस्पताल ने उसे मेडिकल बिल में छूट नहीं दी। इससे वह कर्ज में डूब गया। उसके बाद वह अस्पतालों में चोरी करने लगा।

दिल्ली पुलिस ने एक शातिर चोर को पकड़ा है, जो अस्पतालों को निशाना बनाता था। दरअसल, कोविड के दौरान इलाज कराने पर एक अस्पताल ने उसे मेडिकल बिल में छूट नहीं दी। इससे वह कर्ज में डूब गया। उसके बाद वह अस्पतालों में चोरी करने लगा।
पुलिस ने गुरुवार को बताया कि उसने 31 साल के एक बीटेक ग्रेजुएट को गिरफ्तार किया है, जो अस्पतालों में चोरी करता था। पुलिस ने बताया कि कथित तौर पर कोविड-19 के इलाज के कारण कर्ज में डूब जाने के बाद वह मेडिकल बिरादरी के खिलाफ दुश्मनी रखने लगा। उसे दिल्ली-एनसीआर, जयपुर, मुंबई और पुणे के अस्पतालों में चोरियों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि एमआईटी पुणे से कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट विकास ने पुलिस को बताया कि 2021 में कोरोना महामारी के दौरान वह बीमार पड़ गया। उसने पुणे के एक अस्पताल में इलाज कराया। उसने अस्पताल प्रशासन से मेडिकल बिलों में छूट देने का अनुरोध किया, जिसे नकार दिया गया। इससे वह भारी कर्ज में डूब गया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि तब से ही वह मेडिकल बिरादरी के खिलाफ रंजिश रखने लगा और बदले की भावना से अस्पतालों से महंगे उपकरण चुराने लगा। अधिकारी ने बताया कि विकास ने द्वारका में मणिपाल अस्पताल, वसंत कुंज में फोर्टिस अस्पताल और नोएडा में मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को निशाना बनाने की बात कबूल की है।
दक्षिण-पूर्व दिल्ली के डीसीपी रवि कुमार सिंह ने एक बयान में कहा कि उसे सरिता विहार स्थित अपोलो अस्पताल में शिकायत दर्ज होने के बाद पहाड़गंज स्थित एक होटल से गिरफ्तार किया गया। अपोलो अस्पताल में 10 अप्रैल को ऑन्कोलॉजी ओपीडी से एक लैपटॉप और मोबाइल फोन चोरी हो गया था।
डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और निगरानी के जरिए आरोपी को ट्रैक किया। अधिकारी ने बताया कि उसके पास से चार लैपटॉप, एक मोबाइल फोन, एक एयरपॉड, एक जोड़ी महंगे चश्मे, 6100 रुपए नकद और चोरी का सामान बेचने के लिए फर्जी बिल बनाने में इस्तेमाल की गई जाली बिल बुक बरामद की गई।
आरोपी की कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए डीसीपी ने कहा कि विकास ऑनलाइन प्रमुख अस्पतालों की खोज करता था। खाली ओपीडी और डॉक्टरों के चैंबर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को स्कैन करता था। उसके बाद विजिटर बनकर चोरी को अंजाम देता था। वह ट्रैकिंग से बचने के लिए वाई-फाई का उपयोग करता था। अधिकारी ने बताया कि 8 अप्रैल को दिल्ली पहुंचने से पहले उसने जयपुर में 21 दिन इसी तरह की चोरियां कीं। उन्होंने बताया कि आरोपी पुणे और मुंबई में हुई चोरी की छह वारदातों से भी जुड़ा है।