Child Sexual Violence in India Alarming Statistics Reveal 30 8 Girls Affected भारत में हर तीसरी नाबालिग लड़की यौन हिंसा की शिकार, Delhi Hindi News - Hindustan
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भारत में हर तीसरी नाबालिग लड़की यौन हिंसा की शिकार

भारत में नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा की स्थिति गंभीर है। 2023 में हर तीसरी नाबालिग लड़की और हर आठवें नाबालिग लड़के ने यौन हिंसा का सामना किया। यह रिपोर्ट 1990 से 2023 के बीच 200 से अधिक देशों में...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 8 May 2025 02:50 PM
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भारत में हर तीसरी नाबालिग लड़की यौन हिंसा की शिकार

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत में नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा की स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है। वर्ष 2023 में हर तीसरी नाबालिग लड़की और हर आठवें नाबालिग लड़के ने 18 वर्ष से पहले यौन हिंसा का सामना किया। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन में यह चौंकाने वाला दावा किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, भारत में 30.8 फीसदी लड़कियां और 13 फीसदी लड़के बाल्यावस्था में यौन शोषण के शिकार बने। यह रिपोर्ट 1990 से 2023 के बीच 200 से अधिक देशों में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाओं का विश्लेषण करती है। अध्ययन उन पहले शोधों में से एक है, जिसने बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के वैश्विक आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

शोधकर्ताओं ने कहा, यौन हिंसा के वैश्विक आंकड़ों का सही तरीके से अनुमान लगाना महत्वपूर्ण है, ताकि रोकथाम और जन जागरूकता अभियानों को प्रभावी तरीके से चलाया जा सके। हालांकि, वर्तमान में उपलब्ध आंकड़े सीमित देशों तक ही सीमित हैं और मापने में कई चुनौतियां सामने आती हैं। दुनिया में हर पांचवीं लड़की प्रभावित वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो हर पांचवीं लड़की और सात में से एक लड़का 18 वर्ष से पहले यौन हिंसा का शिकार हो जाते हैं। 2023 में यौन हिंसा का वैश्विक अनुमान 18.9 फीसदी लड़कियों और 14.8 फीसदी लड़कों के लिए था। इसके साथ ही यह पाया गया कि दुनियाभर में लगभग 70 प्रतिशत पुरुषों और महिलाओं ने 18 वर्ष से पहले यौन हिंसा का सामना किया था। यहां स्थिति सबसे बुरी 1. दक्षिण एशिया : लड़कियां प्रभावित लड़कियों के लिए यौन हिंसा की दर सबसे अधिक थी। भारत में यह दर 30.8 फीसदी तक पहुंची, जबकि बांग्लादेश में 9.3 फीसदी थी। 2. अफ्रीका : लड़के पीड़ित नाबालिग लड़कों में यौन हिंसा की दर अधिक है। जिम्बाब्वे में यह दर लगभग आठ फीसदी से लेकर कोटे डी आइवरी में 28 फीसदी तक पहुंची है। असर -मानवाधिकार हनन -जीवनभर मानसिक समस्या -अवसाद, चिंता -आत्महत्या की प्रवृति -समाज से अलगाव सुझाव -बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना -स्कूलों और घरों में यौन शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना -सहायता के लिए मजबूत सिस्टम तैयार करना -सर्वे और निगरानी तंत्र को मजबूत करना

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