बंगाल : मुर्शिदाबाद से सैकड़ों लोगों का पलायन
टैग : बिगड़े हालात - प्रशासन ने कहा, भागीरथी नदी पार कर मालदा

टैग : बिगड़े हालात - प्रशासन ने कहा, भागीरथी नदी पार कर मालदा में ली है पीड़ितों ने शरण
- दंगा प्रभावित परिवारों के लिए आश्रय और भोजन की व्यवस्था की गई
- तस्वीरों में मुर्शिदाबाद में दुकानें, होटल और घर जलते दिखाई दे
- भाजपा का दावा, 400 से अधिक लोगों ने किया पलायन
कोलकाता, एजेंसी।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में सांप्रदायिक हिंसा के बाद सैकड़ों लोग पलायन कर गए। अधिकारियों ने बताया कि हालात बिगड़ने के बाद प्रभावित लोग घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए, जिन्हें मालदा में शरण दी गई।
स्थानीय प्रशासन ने दंगा प्रभावित परिवारों को मालदा के स्कलों में ठहराया है, जहां पर उनके लिए भोजन की व्यवस्था की है। वहीं मुर्शिदाबाद से भागकर नावों से आने वालों की सहायता के लिए भागारथी नदी तट पर स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, शनिवार और रविवार को मालदा में आने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
दरअसल, शनिवार को मुर्शिदाबाद जिले में नए वक्फ कानून के विरोध में सुती, धुलियान, जंगीपुर और शमशेरगंज समेत कई इलाकों सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो गई। इसके बाद लोग लोग डर से दूसरे समुदाय के लोग घर छोड़कर भाग गए। मीडिया रिपोर्ट में आई तस्वीरों में मुर्शिदाबाद के इन इलाकों में दुकानें, होटल और घर जलते दिखाई दे रहे हैं।
शुभेंदु का दावा- 400 लोग पलायन को हुए मजबूर
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि हिंसा के बाद धुलियान से 400 लोग पलायन करने को मजबूर हुए हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा, धार्मिक कट्टरपंथियों के डर के कारण मुर्शिदाबाद से 400 से अधिक हिंदू नदी पार भागने और मालदा में शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं। भाजपा नेता ने कहा, टीएमसी की तुष्टीकरण की राजनीति ने कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा दिया है। हिंदुओं को शिकार बनाया जा रहा है। लोग अपनी ही जमीन पर जान बचाने के लिए भाग रहे हैं। उन्होंने जिले में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, राज्य पुलिस और जिला प्रशासन से आग्रह किया कि वे इन विस्थापित हिंदुओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें।
गांव की प्रधान बोलीं- 500 के पार हुई संख्या
हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों से जान बचाकर निकले पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। देवनापुर-सोवापुर ग्राम पंचायत की प्रधान सुलेखा चौधरी ने दावा किया कि हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद से नावों में लोग आ रहे हैं। शनिवार रात तक आने वाले लोगों की संख्या 500 के पार कर गई। इसमें से ज्यादातर महिलाएं हैं। सभी को इलाके के स्कूलों में आश्रय दिया गया है और भोजन की व्यवस्था की गई है।
अब तक 50 से ज्यादा नावें आईं
मालदा में एक स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधि ने बताया कि शनिवार से रविवार तक धुलियान, सुती और जंगीपुर जैसे इलाकों से दंगा प्रभावित लोगों को लेकर करीब 40-50 नावें आ चुकी हैं। इन सभी के लिए कालियाचक-3 ब्लॉक के पल्लरपुर गांव में जरूरी इंतजाम किए गए हैं। यहां लोग सुरक्षित हैं।
पीड़ितों ने बयां किया दर्द :::::
1. बम फेंके और नए कानून के लिए हमें दोषी माना
मुर्शिदाबाद से पलायन करने वाले पीड़ितों ने दिल दहला देने वाली दास्तान सुनाई। अपने परिवार के चार अन्य सदस्यों के साथ पलायन करने वाली युवती ने बताया कि दंगाइयों ने घरों में आग लगा दी गई। वहीं कुछ बाहरी लोगों के एक समूह पहुंचे और महिलाओं और लड़कियों से छेड़छाड़ करने लगे। महिला ने दावा किया, उन्होंने हम पर बम फेंके और हमें वक्फ कानून के लिए दोषी ठहराया। इसके बाद हमें तुरंत अपने घर छोड़ने के लिए कहा। उन्होंने हमारे घर के पुरुषों को पीटा। हम अपनी जान को लेकर डरे हुए थे और केंद्रीय बलों की मदद से अपने घरों से भागे।
2. भागते नहीं तो मारे जाते
एक अन्य बुजुर्ग महिला ने कहा, अचानक लोग तेजी से दौड़ते और चिल्लाते हुए आने लगे। उन्होंने हथियार लहराते हुए धमकाना शुरू कर दिया। 'हमने हमलावरों से हाथ जोड़कर माफी मांगी, लेकिन वे कुछ नहीं सुने और मारने-पीटने लगे। किसी तरह मेरा बेटा, बहू और पोता अपना कुछ सामान लेकर भागे। अगर वहां से नहीं निकलते तो मारे जाते।
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