बोले लखनऊ:: 15 हजार व्यापारियों के लिए शौचलय तक नहीं
Lucknow News - लखनऊ के चौक सराफा मार्केट में करीब तीन हजार दुकानें हैं, लेकिन सार्वजनिक शौचालय की कमी है। ग्राहक और दुकानदार मजबूरी में गलियों में शौच करते हैं, जिससे दुर्गंध फैलती है। आलमबाग बाजार में भी केवल एक...
लखनऊ की सबसे बड़ी और पुरानी चौक सराफा मार्केट की तंग गलियों में छोटी-बड़ी करीब तीन हजार दुकानें है, लेकिन एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। मजबूरी में लोग लघुशंका के लिए गलियों के कोने और नुक्कड़ ढूंढते हैं। ऐसे में दिनभर दुर्गंध फैली रहती हैं। इससे 15 हजार कारोबारियों और 50 ग्राहकों का निकलना मुश्किल हो जाता है। हालांकि चौक कोतवाली के पास एक पब्लिक टॉयलेट बना है, लेकिन उसकी हालत भी काफी खराब है। ज्यादातर दुकानदार और ग्राहक वहां जाने से कतराते हैं। यही हाल आलमबाग बाजार का है। यहां आलमबाग चौराहे से लेकर अवध चौराहे तक सिर्फ एक पब्लिक टॉयलेट है। इससे करीब पांच हजार दुकानदार मजबूरी में नटखेड़ा, तालकटोरा, सिंगार नगर की गलियों, बिजली के ट्रांसफार्मर और खंभों के पीछे खड़े होकर लघुशंका करते हैं। बोले लखनऊ के तहत हिन्दुस्तान टीम ने शनिवार को दोनों प्रमुख बाजारों में स्थानीय कारोबारियों के साथ संवाद किया। इस दौरान परेशान कारोबारियों ने कहा कि सार्वजनिक जगहों पर कई जगह अतिक्रमण है। इसे हटाकर टॉयलेट निर्माण किया जा सकता है। कई बार महापौर से लेकर विधायक तक नये पब्लिक टॉयलेट बनवाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
चौक: गोल दरवाजा से लेकर अकबरी गेट तक सिर्फ एक यूरिनल
लखनऊ, हिन्दुस्तान टीम।
लखनऊ का सबसे पुराना और प्रमुख चौक सराफा बाजार है। गोल दरवाजा से लेकर अकबरी गेट की तंग गलियों में छोटी-बड़ी करीब 02 हजार दुकानें है और 10 हजार से अधिक कारोबारी है। रोजाना यहां न सिर्फ लखनऊ बल्कि आसपास के जिलों के लगभग 40 हजार ग्राहक आते हैं। इसके बावजूद सिर्फ चौक कोतवाली के बगल में एक यूरिनल है। उसकी भी हालत बहुत खराब है। चौक सराफा एसोसिएशन के वरिष्ठ महामंत्री विनोद माहेश्वरी ने बताया कि चौक बाजार में न सिर्फ शहर के बल्कि दूसरे जिलों से भी ग्राहक खरीदारी करने आते हैं। यहां पर ज्वैलरी, फुटवियर, चिकन कपड़ों का थोक कारोबार होता है। इसके बावजूद गोल दरवाजा से लेकर अकबरी गेट तक सिर्फ एक चौक कोतवाली के पास यूरिनल है, जिससे व्यापारियों के साथ दुकानों में काम करने वाले पुरुष व महिला कर्मचारियों और मार्केट में खरीदारी करने आने वाले ग्राहकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जो यूरिनल बने हुए हैं, उनकी हालत भी बहुत अच्छी नहीं है।
चौक सराफा बाजार में रोजाना 15 हजार से अधिक ग्राहक आते हैं। साथ ही त्योहारों के आसपास यह फुटफॉल करीब 15 हजार से अधिक पहुंच जाता है। सहालग के सीजन में भी ग्राहकों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। व्यापारियों का कहना है कि ग्राहकों की संख्या को देखते हुए मार्केट एरिया में यूरिनल की संख्या जल्द से जल्द बढ़ाए जाने पर फोकस किया जाना चाहिए।
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शौचालय के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है
चौक में कंचन मार्केट और चौक कोतवाली के पास शौचालय बना है। वहां भी देखरेख के अभाव में स्थिति खराब है। महिलाओं को अधिक दिक्कत होती है। उन्हें शौचालय के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। इसकी वजह से दुकानदार तो छोड़िए खरीदारी के लिए आने वाली महिलाओं को कितना कष्ट उठाना पड़ रहा है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। व्यापारिक संगठनों की मांग और आम जनता की समस्याओं की ओर नगर निगम ने कभी गौर ही नहीं किया।
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गलियों में जगह की कमी, तो सड़क पर बने पब्लिक टॉयलेट
सराफा कारोबारियों ने बताया कि चौक की तंग गलियों में पब्लिक टॉयलेट के लिए जगह मिलना मुश्किल है। ऐसे में गोल दरवाजा और अकबरी गेट की तरफ पब्लिक टॉयलेट बनवाया जा सकता है। व्यापारी पूरा सहयाोग करेंगे।
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इंफो-- चौक
दुकान 03 हजार
कारोबारी 15 हजार
ग्राहक 50 हजार
चौक सराफा एसोसिएशन का पक्ष
चौक गोल दरवाजा से लेकर अकबरी गेट तक सिर्फ एक शौचालय है। उसकी भी हालत ठीक नहीं है। जबकि यहां तीन हजार दुकान है। सुबह से शाम तक 50 हजार से अधिक ग्राहक खरीदारी करने आते हैं। मैंने विधायक से लेकर महापौर तक चार नये शौचालय निर्माण की मांग की लेकिन अभी कुछ नहीं हुआ।
विनोद माहेश्वरी
वरिष्ठ महामंत्री, चौक सराफा एसोसिएशन
चौक कोतवाली के पास एक शौचालय मैंने नये शौचालय निर्माण के लिए महापौर और स्थानीय विधायक को प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा पुराने शौचालय का नवनिर्माण के लिए भी प्रस्ताव दिया है। सहमति बन गई है। उम्मीद है कि जल्द निर्माण किया जाएगा।
अनुराग मिश्रा, पार्षद, चौक
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आलमबाग: शौच के लिए या तो लंबी दूरी तय करियें, या फिर गलियों के कोंने, नुक्कड़ ढूंढते हैं
लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता।
आलमबाग बाजार कानपुर रोड की सबसे प्रमुख बाजार है। यहां आशियाना, हिन्द नगर, कृष्णानगर, सिंगार नगर जैसी कॉलोनियों के बसने पर सबसे ज्यादा ग्राहक इसी बाजार की तरफ अपना रूख करते हैं, लेकिन आलमबाग चौराहे से सिंगार नगर तक करीब दो किलोमीटर दायरे में लगभग पांच हजार दुकानें है। इसके बावजूद सिर्फ एक शौचालय है। जबकि यहां सुबह से शाम तक करीब 45-50 हजार ग्राहक आते है।
व्यापारियों के मुताबिक आलमबाग बाजार में फुटकर के अलावा थोक व्यापार होता है। लोग हजारों की तादात में घरेलू सामान लेने पहुंचते हैं। व्यापारियों से लेकर ग्राहकों तक के लिए शौचालय की सबसे बड़ी समस्या है। कारोबारियों का दावा है कि शौच के लिए या तो लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, या फिर गलियों के कोंने, नुक्कड़ ढूंढते हैं। वहीं टॉयलेट जाते हैं। सबसे बड़ी समस्या ग्राहकों और खास तौर से महिलाओं को होती है। महिला कर्मचारी भी इस समस्या से हर रोज जूझती हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि शौचालय के लिए कई बार जिम्मेदारों से सामूहिक रूप से जाकर कहा गया, लेकिन किसी ने समस्या हल नहीं की।
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इंफो- आलमबाग
दुकान 05 हजार
कारोबारी 25 हजार
ग्राहक 50 हजार
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चौक के व्यापारियों से बातचीत
मेरे ज्वेलरी शॉप पर ज्यादातर महिलाएं ग्राहक आती हैं। महिला ग्राहकों के लिए दूर-दूर तक यहां कोई साफ सुथरा टॉयलेट नहीं है। जो आसपास के बारे में जानकारी रखते हैं, वो दूर किसी अन्य चौराहे पर साफ टॉयलेट का इस्तेमाल करने जाते हैं।
विपुल रस्तोगी
एक व्यापारी के लिए ग्राहक ही सबकुछ हैं। जब कोई दूर-दराज से आया ग्राहक टॉयलेट की दिशा पूछता है, तो सार्वजनिक टॉयलेट्य की हालत सोचकर बताने में शर्म आती है। इसपर किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा।
- अंकुर दीक्षित
कोतवाली के सामने जो सार्वजनिक टॉयलेट है, उसमें सफाई बिल्कुल नहीं होती, गंदगी के नाते उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। कभी इमरजेंसी में जाना पड़ता है, नाक बंद करके टॉयलेट जाता हूं।
-आनंद रस्तोगी
सुबह से देर शाम तक मुझे दुकान पर रहना होता है। ऐसे में अनैच्छिक क्रियाओं के लिए भी परेशान होना पड़ता है। टॉयलेट लगने पर या तो दूर का रास्ता देखना पड़ता, या फिर यहां के गंदे टॉयलेट में मजबूरन बीमारियां लेने जाता हूं।
- चंदन रस्तोगी
चौक कोतवाली के सामने स्थित टॉयलेट में महिला व पुरुष के लिए एक ही मुख्य द्वार है। उसका उपयोग करने जाता हूं तो सोचना पड़ता है कि कोई महिला कपड़े न बदल रहीं हों, कई बार अन्य पुरुष अचानक चले जाते तो महिलाएं असहज महसूस करती हैं।
-गौरव गुप्ता
लाल जी टंडन ने हम व्यापारियों के लिए एक बेहतर टॉयलेट तो बनवाया था, लेकिन देखरेख के आभाव में आज उसकी स्थिति बदतर है। उसका इस्तेमाल करने से पहले कई बार सोचना पड़ता है।
-अमृत जैन
मुझे यहां के टॉयलेट्स का उपयोग करने से बीमारियों का डर बना रहता है। बदहाली और गंदगी इतनी है कि नाक बंद करके ना जाओ तो जा ही न पाएं। यूटीआई का खतरा बना रहता है।
- शैलेन्द्र तक्कड़
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आलमबाग के कारोबारी
बाजार में सार्वजनिक शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। जरुरत पड़ने पर इधर-उधर जाना पड़ता है। शौचालय बाजार से काफी दूर है। वहां जाने में काफी समय लगता है। हम रोज इस समस्या से जूझते हैं।
कुंदन भागवानी
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शौचालय की बड़ी समस्या है। आवश्यकता पर या तो घर जाना पड़ता है। या फिर बाजार से काफी दूर बस अड्डे के पास जाना पड़ता है। यह हमारी हर रोज की परेशानी है। ग्राहक भी परेशान होते हैं।
अमरजीत
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वैसे तो बाजार में कई समस्या हैं, लेकिन हम लोगों को सबसे बड़ी दिक्कत शौचालय न होने की है। कभी दुकानों के पीछे जगह ढूंढनी पड़ती है तो कभी सड़क के किनारे ही कहीं जाना पड़ता है।
मनीष आरोड़ा
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शौचालय की व्यवस्था के लिए कई बार हमने खुद नगर निगम से मांग की, लेकिन अभी तक कोई हम नहीं निकला है। बाहर ही इधर उधर टॉयलेट के लिए जाना पड़ता है। यह समस्या हमेशा से बनी हुई है।
उपकार सिंह
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इतना बड़ा बाजार है। हजारों दुकानें हैं, लेकिन शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। दुकान पर आने वाले ग्राहक जब शौचालय के बारे में पूछते हैं तो कोई जवाब नहीं होता है। हम तो इस समस्या से हर रोज परेशान होते हैं।
कैलाश बत्रा
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शौचालय नहीं होने से लोग बाजार में ही कहीं सड़क के किनारे तो कहीं किसी दुकान के पीछे टॉयलेट करने जाते हैं। मुझे और मेरे कर्मचारियों को दुकान से करीब एक किलो मीटर दूर शौचालय इस्तेमाल के लिए जाना पड़ता है।
विवेक सक्सेना
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बाजार की साइड में एक किलो मीटर से पहले कोई शौचालय नहीं है। शौचालय के लिए मैने स्वयं शिकायत की। जन प्रतिनिधियों से भी इसकी मांग की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
रंजीत सिंह
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हमारी दुकान के आसपास कोई भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है। हम खुले में टॉयलेट जाने को मजबूत हैं। यह समस्या हमारी अकेले की नहीं है। सैकड़ों दुकानदारों की यह समस्या है। यह समस्या कब दूर होगी, कुछ पता नहीं है।
नवल अग्रवाल
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हम दुकानदारों का काम किसी तरह चल जाता है, लेकिन बाजार आने वाले लोगों को दुश्वारियां होती हैं। शौचालय के लिए जमीन भी है, जिस पर अतिक्रमण है। उसे खाली करा कर शौचालय बनाया जा सकता है, लेकिन जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
दिवाकर तिवारी
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कानपुर रोड पर आलमबाग से अवध चौराहे तक जाने वाली साइड पर कहीं भी शौचालय नहीं है। दूसरे साइड में आलमबाग बस अड्डे के पास शौचालय हैं। हमारे अलावा अन्य व्यापारी भी यहीं पर शौचालय इस्तेमाल के लिए जाते हैं।
अमित चौधरी
या तो पेशाब करने के लिए लंबी दूरी तय करें या फिर गलियों के
कारोबारियों का दावा है कि शौच के लिए या तो लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, या फिर गलियों के कोंने, नुक्कड़ ढूंढते हैं। वहीं टॉयलेट जाते हैं। सबसे बड़ी समस्या ग्राहकों और खास तौर से महिलाओं को होती है। महिला कर्मचारी भी इस समस्या से हर रोज जूझती हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि शौचालय के लिए कई बार जिम्मेदारों से सामूहिक रूप से जाकर कहा गया, लेकिन किसी ने समस्या हल नहीं की।
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