अदालती टिप्पणियों को हटाने से हाईकोर्ट का इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षाविद अशोक स्वैन की याचिका को खारिज कर दिया है। स्वैन ने अपने ओसीआई कार्ड रद्द करने के खिलाफ एकलपीठ की टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी। न्यायालय ने कहा कि एकलपीठ का फैसला...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षाविद अशोक स्वैन की एक याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में स्वैन ने अपने प्रवासी भारतीय नागरिकता(ओसीआई) कार्ड को रद्द करने के खिलाफ एकलपीठ द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने का आग्रह किया था।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि एकलपीठ के आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि यह फैसला स्वैन के खिलाफ आरोपों के गुण-दोष के आधार पर नहीं दिया जा रहा। पीठ ने एकलपीठ के फैसले पर गौर किया। एकलपीठ ने अपने फैसले में स्वैन का ओसीआई कार्ड रद्द करने के केन्द्र के आदेश को खारिज कर दिया था। खंडपीठ ने कहा कि निर्णय स्वैन के पक्ष में आया था, ऐसे में स्पष्ट है कि एकलपीठ की टिप्पणी कोई अपने फैसले को लेकर नहीं थी, बल्कि यह एकलपीठ की प्रथमदृष्टया राय थी। इसलिए खंडपीठ इस याचिका पर विचार नहीं करेगी। इस पर स्वैन के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति खंडपीठ से मांगी। पीठ ने कहा कि याचिका वापस ले ली गई है। इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
क्या था मामला
भारत में जन्मे स्वीडिश शिक्षाविद स्वैन ने अपनी याचिका में कहा था कि वह एकलपीठ की इस टिप्पणी से व्यथित हैं, जिसमें कहा गया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता के कुछ ट्वीट आपत्तिजनक संकेत दे रहे हैं। इसे भारत संघ के संवैधानिक तंत्र व वैधता को कमजोर करने वाला माना जा सकता है। हालांकि, एकलपीठ ने इन ट्वीट के आधार पर स्वैन का ओसीआई कार्ड रद्द करने की केंद्र के आदेश को नामंजूर कर दिया था।
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