सीएनजी ऑटो को ई-वाहन में नहीं बदलवा पा रहे मालिक
- कोरोना काल में फिटनेस, परमिट नवीनीकरण के काम अटकने पर लगे जुर्माने की रकम नहीं करा पाए जमा

नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। दिल्ली के परिवहन विभाग ने बीते साल ग्रामीण सेवा में संचालित सीएनजी ऑटो को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने का आदेश जारी किया, लेकिन करीब 3000 से ज्यादा सीएनजी ऑटो मालिक इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कोरोना काल में फिटनेस और परमिट नवीनीकरण में देरी होने पर लगाए गए जुर्माने की रकम इतनी ज्यादा हो गई कि ये ऑटो मालिक उसे जमा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में इन ऑटो को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के आदेश जारी होने के सात माह बाद भी सिर्फ एक वाहन कनवर्ट हो पाया है। दरअसल, कोरोना काल के दौरान लंबे समय ग्रामीण सेवा के ऑटो का संचालन नहीं हो पाया।
कैपिटल ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष चंदू चौरसिया का कहना है कि इस अवधि में ऑटो मालिकों की आमदनी खत्म हो गई और इसकी वजह से वे परमिट नवीनीकरण और फिटनेस नहीं करा पाए। कागजी प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से दिल्ली में ऑटो-टैक्सी मालिकों पर प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाता है। इसी कारण ऑटो मालिकों पर जुर्माने की रकम लाखों में पहुंच गई और वे इस रकम को जमा नहीं कर पाए हैं। इसको जमा किए बिना सीएनजी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तित कर नया पंजीकरण कराना संभव नहीं हो पा रहा है।
सरकार जुर्माना माफ करके राहत दे: यूनियन
ग्रामीण सेवा के ऑटो चालकों की यूनियन का कहना है कि जिस तरह से कोरोना काल में कई अन्य सेक्टरों को सरकार की ओर से राहत दी गई है, उसी तरह ऑटो चालकों को चालान और जुर्माने की रकम माफ करके राहत दी जाए। यूनियन का कहना है कि भले ही दिल्ली सरकार उन्हें नए इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी न दें, लेकिन जुर्माने की रकम माफ कराई जाए। इसके बाद ही सीएनजी ऑटो मालिक अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तित करा सकेंगे। यूनियन का कहना है कि वर्ष 2019 में चालान की रकम भी पांच गुना तक बढ़ा दी गई थी, जिसकी वजह से ऑटो मालिकों पर जुर्माने की रकम लगातार बढ़ती गई।
रूटों का पुनर्निर्धारण कराया जाए
ऑटो यूनियन के अध्यक्ष का कहना है कि ग्रामीण सेवा में तकरीबन सात हजार ऑटो पंजीकृत थे, लेकिन कई रूटों पर सड़कें इतनी खराब हैं कि उन पर वाहनों को चला पाना मुश्किल है। इसकी वजह से यूनियन की ओर से लंबे समय से रूटों के पुनर्निर्धारण की मांग की जा रही है, लेकिन परिवहन विभाग सुनवाई नहीं कर रहा है। रूटों पर दिक्कतें बढ़ने की वजह से ग्रामीण सेवा के तकरीबन चार हजार ऑटो का संचालन बंद हो चुका है। वे सिर्फ फाइलों में चल रहे हैं।
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