चलते चलते - नया दौर, नई सोच, नई पीढ़ी- एआई से जीने वाली जनरेशन
अमनदीप सिंह वक्त के साथ-साथ बदल पीढ़ियां भी बदल रही हैं। देश में

अमनदीप सिंह वक्त के साथ-साथ बदल पीढ़ियां भी बदल रही हैं। देश में एक नई क्रांति ने जन्म लिया है, नाम है जनरेशन एआई। जनरेशन एआई अब केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बन चुकी है। नीचे कुछ प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं जो दिखाते हैं कि कैसे यह जनरेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके नई दिशा में अग्रसर हो रही है। 1. मेलानिया ट्रंप ने अपनी आत्मकथा को एआई से सुनाया क्या हुआ: अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप (डोनल्ड ट्रंप की पत्नी) ने अपनी आत्मकथा मेलानिया : द ऑडियोबुक को एआई की मदद से अपनी ही आवाज में रिकॉर्ड कराया।
कैसे: इलेवन लैब्स के एआई टूल्स का उपयोग करके उनकी आवाज की नकल तैयार की गई, जिससे 7 घंटे से अधिक की ऑडियोबुक बनाई गई। हर शब्द पर वही भावना सुनाई देगी जैसे मेलानिया असल जिंदगी में बोलती हैं। क्यों खास: यह प्रकाशन जगत में एआई के उपयोग का एक नया अध्याय है, जहां लेखक अपनी उपस्थिति को और अधिक व्यक्तिगत बना सकते हैं। 2. स्टूडेंट ने बनाया अपना वर्चुअल क्लासरूम क्या: 16 साल के भारतीय छात्र ने चैटजीपीटी और एआई टूल्स से बिना कोडिंग सीखे खुद का ऑनलाइन स्कूल प्लेटफॉर्म बनाया। कैसे: एआई से वेबसाइट डिजाइन, कंटेंट तैयार, लोगो डिजाइन तक सब कुछ एक हफ्ते में हो गया। क्यों खास: अब 10वीं का छात्र भी स्टार्टअप खोल सकता है, एआई टीचर के साथ। 3. चैटजीपीटी के सहारे जीत क्या : अमेरिका के क्रिस्टोफर ब्रोक ने बिना किसी वकील के, चैटजीपीटी और क्लोड2 की मदद से कोर्ट में अपना केस लड़ा और जीता। मामला उनके प्रॉपर्टी पर बने एक शेड से जुड़ा था, जिसे स्थानीय प्रशासन ने अवैध बताया था। कैसे : AI की सहायता से उन्होंने कानूनी दस्तावेज तैयार किए और सफलतापूर्वक अपना पक्ष रखा। क्यों खास: बिना वकील, सिर्फ एआई की मदद से मुकदमा जीत लिया। ये सब केवल घटनाएं नहीं, बल्कि उस बदलते युग की निशानियां हैं जहां इंसान और मशीन साथ सोचने लगे हैं। जेनरेशन एआई अब आवाज, दिमाग, और फैसलों में घुल चुकी है...और ये शुरुआत भर है। ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- जनरेशन एआई सिर्फ उम्र की बात नहीं है, ये सोच और तकनीक के इस्तेमाल का तरीका है। हम एआई को सिर्फ एक टूल की तरह नहीं, बल्कि अपने पार्टनर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं – कुछ नया बनाने, समस्याओं को सुलझाने और अलग तरीके से सोचने के लिए। लेकिन इसके साथ खतरे भी हैं। सही ज्ञान और नियमों के साथ, AI आने वाले 5–10 सालों में शिक्षा, इलाज और रोजगार में बड़ा बदलाव ला सकता है। – सौरभ मणि त्रिपाठी, साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस और एआई एक्सपर्ट
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