मातृत्व अवकाश प्रजनन अधिकारों का है अभिन्न अंग
प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ‘मातृत्व लाभ

प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ‘मातृत्व लाभ को प्रजनन अधिकारों का हिस्सा है और मातृत्व अवकाश उन लाभों का अभिन्न अंग है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सरकार तीसरे बच्चे के जन्म होने पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार नहीं कर सकती है। जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने यह फैसला मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द करते हुए दिया है, जिसमें सरकारी स्कूल की शिक्षिका को तीसरे बच्चे के जन्म होने पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार के नीति के मुताबिक 2 बच्चों तक ही मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जा सकता है।
यह फैसला, उन 11 फैसलों में से एक है, जो जस्टिस ओका ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर सुनाया है। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस ओका ने कहा कि ‘मातृत्व लाभ प्रजनन अधिकारों का हिस्सा हैं और मातृत्व अवकाश उन लाभों का अभिन्न अंग है। इसलिए, उच्च न्यायालय के दो जजों के खंडपीठ द्वारा पारित फैसले को खारिज किया जाता है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ‘यह सही है कि मातृत्व अवकाश मौलिक अधिकार नहीं है लेकिन वैधानिक अधिकार या सेवा शर्तों से प्राप्त अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु के सरकारी स्कूल की शिक्षिका की याचिका पर यह फैसला दिया है। उन्होंने उच्च न्यायालय के दो जजों की खंड पीठ के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें तीसरे बच्चे के जन्म होने पर उन्हें मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इनकार कर दिया था। यह है मामला सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली शिक्षिका की पहली शादी से दो बच्चे थे और तलाक के बाद दोनों बच्चे अपने पिता की कस्टडी में थे। इस बीच शिक्षिका ने 2018 में दूसरी शादी की और उसके बाद उन्होंने तीसरे बच्चे को जन्म दिया। तीसरे बच्चे के जन्म के लिए उन्होंने मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया। नौकरी मिलने के बाद यह पहला बच्चा था। मातृत्व अवकाश नहीं दिए जाने के बाद महिला ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने महिला के हक में फैसला दिया। एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ‘मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 5 में प्रसव की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगाई गई है, जिसके लिए मातृत्व लाभ का दावा किया जा सकता है। एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि 2 से अधिक जीवित बच्चों वाली महिलाओं या दो से अधिक अधिक बच्चों वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश की अवधि के संदर्भ में लाभ दिया जाता है, न कि उन बच्चों की संख्या के संदर्भ में जिनके लिए मातृत्व अवकाश लिया जा सकता है। एकल पीठ ने कहा था कि 2 या इससे कम जीवित बच्चों वाली महिलाओं को 26 सप्ताह की अवकाश मिल सकती है जबकि अधिक बच्चों वाली महिलाओं को 12 सप्ताह की छुट्टी मिलती है। एकल पीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ने अपने पहले के बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश लिया हीं नहीं था क्योंकि वे सरकारी सेवा में आने से पहले पैदा हुए थे। एकल पीठ ने कहा था कि भले ही राज्य सरकार ने सेवा नियमों में मातृत्व लाभ के लिए 2 बच्चे का मानदंड तय किया है, लेकिन यह केंद्रीय कानून के प्रतिकूल होने के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 254 के तहत अमान्य होंगे। लेकिन उच्च न्यायालय के दो जजों की पीठ ने सरकार की अपील पर एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए कहा था कि तीसरे बच्चे के लिए महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता है।
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