पोप पैकेज ::: राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पोप फ्रांसिस के निधन पर देश के नेताओं और धार्मिक संस्थाओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने उन्हें आशा की मशाल बताया। ममता बनर्जी और सिद्धारमैया ने भी...

पोप फ्रांसिस के निधन पर देश के नेताओं के साथ ही विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं की प्रतिक्रिया ----------------------------------
-‘पोप फ्रांसिस आशा की मशाल थे जिन्होंने प्रेम व करुणा से मानवता का मार्गदर्शन किया।
एन.चंद्रबाबू नायडू, (मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश)
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-‘हम पोप के निधन से दुखी हैं। यह एक भयानक क्षति है। दुख की इस घड़ी में हम देश व पूरे विश्व के अपने इसाई भाई-बहनों के साथ हैं।
ममता बनर्जी, (मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल)
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-‘शांति व करुणा के प्रतीक पोप फ्रांसिस के जाने से बहुत दुखी हूं। उनका जीवन गरीबों के लिए प्रेम का संदेश और विश्व के लिए एक उम्मीद था।
सिद्धारमैया, (मुख्यमंत्री, कर्नाटक)
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-‘गरीबों के प्रति समर्पण, वंचितों को गले लगाने व न्याय, शांति और अंतर धार्मिक संवाद के पक्षधर होने के कारण पोप को कैथोलिक समाज के बाहर भी सम्मान मिला। वह अपने पीछे कर्म में करुणा व मानवता में विश्वास की विरासत छोड़ गए हैं।
-एम.के.स्टालिन, (मुख्यमंत्री, तमिलनाडु)
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-‘ पोप के ज्ञान, करुणा, शांति और एकता की निरंतर खोज ने अनगिनत जीवन को प्रभावित किया है। वह महज एक धार्मिक नेता नहीं थे बल्कि आशा व विनम्रता की मशाल थे।
-प्रेम सिंह तमांग, (मुख्यमंत्री, सिक्किम)
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-‘पोप के निधन से पूरा विश्व दुखी है। वह अंतर-धार्मिक समझ और जुड़ाव के निरंतर समर्थक थे। वह वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए भी एक बहुत प्रभावशाली शक्ति थे, जिन्होंने सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने, आर्थिक असमानताओं को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों जैसे कार्यों का सक्रिय रूप से समर्थन किया।
-मल्लिकार्जुन खरगे, (कांग्रेस अध्यक्ष)
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-‘पोप फ्रांसिस करुणा, न्याय और शांति की वैश्विक आवाज थे। वह दलित व हाशिए पर पड़े लोगों के साथ खड़े रहे। पोप हमेशा असमानता के खिलाफ निडरता से बोले और प्रेम व मानवता के संदेश से विभिन्न धर्मों के लाखों लोगों को प्रेरित किया।
-राहुल गांधी, (सांसद, कांग्रेस)
-‘वह प्यार और करुणा के सच्चे अवतार थे। वह सदैव सत्य के साथ खड़े रहे, निडर होकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और गरीबों व हाशिए पर स्थित लोगों के लिए काम किया।
-प्रियंका गांधी वाड्रा, (महासचिव, कांग्रेस)
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-‘पोप फ्रांसिस सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता व मानवीय गरिमा की अथक आवाज थे। पोप फ्रांसिस ने विनम्रता और खुलेपन के साथ अंतर धार्मिक संवाद को बढ़ावा दिया। शांति और आपसी सम्मान के उनके ऐतिहासिक संकेतों ने विविध धार्मिक परंपराओं के बीच समझ और एकजुटता को गहरा किया।
- द कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया
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-‘पोप आशा, करुणा व एकता की मशाल के रूप में याद किए जाऐंगे। दुख की इस घड़ी में हम रोमन कैथोलिक चर्च के सदस्यों के साथ खड़े हैं।
-महंत स्वामी महाराज, (बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था)
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-‘ यह युनिवर्सल चर्च के लिए एक बुरी खबर है। लेकिन यह ईश्वर का आभार जताने का भी क्षण है क्योंकि उसने हमें एक महान इंसान का नेतृत्व प्रदान किया, एक भगवान का इंसान।
-फादर हेनरी फलकाओ, (निदेशक सेंट जोसेफ वाज रिन्युअल सेंटर, ओल्ड गोवा)
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-‘सबसे ऊपर पोप ने शांति की कामना की, चाहें तमाम देश और उनके नेता ने कुछ भी कहा।
-फादर रेलिन डी सूजा (रेक्टर ऑफ डॉन बास्को, फटोरदा, गोवा)
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